Caste Census: मोदी की विपक्षी दलों पर जाति की गुगली?, क्यों नहीं जम रही राहुल-उमर केमिस्ट्री!
By हरीश गुप्ता | Updated: October 17, 2024 05:28 IST2024-10-17T05:28:05+5:302024-10-17T05:28:05+5:30
Caste Census: आखिर मुसलमान भी जाति के आधार पर बंटे हुए हैं और मुसलमानों में ऐसे लोग हैं जो लगभग अछूत और बहिष्कृत हैं.

file photo
Caste Census: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राहुल गांधी समेत विपक्षी दलों को चुप करा दिया है, जो बिना किसी देरी के जाति जनगणना कराने की मांग कर रहे थे. मोदी ने कांग्रेस पर राजनीतिक लाभ के लिए हिंदू समाज को जाति के आधार पर बांटने का आरोप लगाया. लेकिन यह तो बस शुरुआत थी. मोदी ने गुगली तब डाली जब उन्होंने पूछा कि कांग्रेस ने मुसलमानों और दूसरे धर्मों की जाति जनगणना कराने की मांग क्यों नहीं की. आखिर मुसलमान भी जाति के आधार पर बंटे हुए हैं और मुसलमानों में ऐसे लोग हैं जो लगभग अछूत और बहिष्कृत हैं.
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि मोदी शायद भारत के पहले राजनीतिक नेता हैं, जिन्होंने यह मुद्दा उठाया है कि कांग्रेस ने मुसलमानों के बीच जाति जनगणना क्यों नहीं कराई या इस मुद्दे को क्यों नहीं उठाया. उन्होंने आश्चर्य जताया कि हिंदुओं को क्यों निशाना बनाया जा रहा है. कहा जाता है कि मुसलमान कई जातियों में बंटे हुए हैं.
इनमें पसमांदा बहुत गरीब हैं और पिछड़े हुए हैं. राहुल गांधी ने मोदी के बयान पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. लेकिन कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री देश को धार्मिक आधार पर बांटने की राह पर हैं. लेकिन मोदी के बयान से सरकार की मंशा का पता चलता है कि अगर अन्य धर्मों के लिए भी ऐसी जनगणना स्वीकार्य हो तो वह जाति जनगणना कराने पर विचार कर सकती है.
यह एक और भानुमती का पिटारा खोलने जैसा होगा और बहुत गर्मागर्मी होगी. एनडीए में भाजपा के सहयोगी दलों ने भी इस मुद्दे पर चुप्पी साध रखी है. शायद यह मुद्दा संसद के शीतकालीन सत्र में उठ सकता है जो 23 नवंबर को महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनावों के नतीजे आने के बाद आयोजित किया जाएगा. मोदी की गुगली ने आरएसएस नेतृत्व को खुश कर दिया है.
क्यों नहीं जम रही राहुल-उमर केमिस्ट्री!
विपक्ष के नेता राहुल गांधी नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष और अब मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के प्रति कुछ हद तक उदासीन नजर आ रहे हैं. यह कल्पना से परे है कि राहुल गांधी ने भारी मुश्किलों के बावजूद केंद्र शासित प्रदेश में विधानसभा चुनाव में बड़ी जीत के लिए उमर अब्दुल्ला को बधाई नहीं दी. उन्होंने उन्हें व्यक्तिगत रूप से फोन भी नहीं किया.
इसके बजाय, उन्होंने जम्मू-कश्मीर में इंडिया गठबंधन की जीत पर डॉ. फारुक अब्दुल्ला को फोन किया, जबकि उमर अब्दुल्ला ने गठबंधन को बहुमत मिलने पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को फोन किया. वैसे तो अब्दुल्ला परिवार के गांधी परिवार के साथ बेहद मधुर संबंध रहे हैं, लेकिन उमर अब्दुल्ला राज्य में गठबंधन सहयोगी के तौर पर राहुल गांधी की कार्यशैली से बेहद नाराज हैं.
यह तय हुआ था कि कांग्रेस जम्मू क्षेत्र की सीटों पर ध्यान केंद्रित करेगी और भाजपा से सीधा मुकाबला करेगी जबकि नेशनल कॉन्फ्रेंस नया कश्मीर में भाजपा और उसके समर्थकों से लड़ेगी. लेकिन राहुल गांधी ने नया कश्मीर के इलाकों में प्रचार करना चुना, खासतौर पर उन सीटों पर जहां कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस के बीच दोस्ताना मुकाबला चल रहा था. उमर को इस बारे में बोलना पड़ा और उन्होंने कांग्रेस नेताओं के एक अक्तूबर को होने वाले अंतिम चरण के मतदान से एक सप्ताह पहले 26 सितंबर को जम्मू में प्रचार न करने पर सवाल उठाया.
उमर अब्दुल्ला ने कहा, ‘‘मुझे उम्मीद है कि राहुल कश्मीर में एक या दो सीटों पर प्रचार करने के बाद जम्मू पर ध्यान केंद्रित करेंगे. आखिरकार कांग्रेस कश्मीर में क्या करती है, यह महत्वपूर्ण नहीं है. कांग्रेस जम्मू में क्या करती है, यह महत्वपूर्ण है.’’ राहुल ने न केवल हरियाणा में बल्कि जम्मू में भी कांग्रेस का सबसे खराब प्रदर्शन दिखाया. राहुल गांधी ने भी यह सुनिश्चित करके मतभेदों का स्पष्ट संकेत दिया कि कांग्रेस सरकार में शामिल नहीं होगी. हालांकि वे उमर अब्दुल्ला के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुए.
नेशनल कॉन्फ्रेंस की जीत पर राहुल की चुप्पी
हरियाणा और जम्मू-कश्मीर के नतीजे आने के बाद 8 अक्तूबर को राहुल गांधी की चुप्पी ने कई लोगों को चौंका दिया. आखिरकार, उन्होंने अगले दिन विधानसभा चुनाव के नतीजों पर सोशल मीडिया पर एक पोस्ट डाली जिसमें हरियाणा में कांग्रेस की चौंकाने वाली हार के कारणों का विश्लेषण करने का वादा किया गया, लेकिन जम्मू-कश्मीर में पार्टी के प्रदर्शन का कोई जिक्र नहीं किया.
उन्होंने नेशनल कॉन्फ्रेंस का कोई जिक्र नहीं किया, जिसने 49 में से 42 सीटें जीतीं, जबकि कांग्रेस मुश्किल से छह सीटें जीत पाई. राहुल गांधी ने न केवल उमर अब्दुल्ला से बात करने से परहेज किया, बल्कि चुनाव नतीजों के एक दिन बाद ‘एक्स’ पर भी नेशनल कॉन्फ्रेंस का कोई जिक्र नहीं किया.
कांग्रेस के खराब प्रदर्शन का कारण राहुल गांधी द्वारा चुनाव प्रचार के दौरान उमर अब्दुल्ला के साथ किसी भी संयुक्त रैली को संबोधित न करना बताया जा रहा है, हालांकि फारूक अब्दुल्ला कांग्रेस नेता के साथ उनकी पिछली यात्रा में एक सार्वजनिक बैठक में शामिल हुए थे. उमर अब्दुल्ला इस बात से नाराज हैं कि कांग्रेस ने जम्मू क्षेत्र पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया है, जहां उसका सीधा मुकाबला भाजपा से था.
और अंत में
भाजपा मुख्यालय में उस समय लोग चौंक गए जब पार्टी के नेता और महासचिव विनोद तावड़े ने प्रधानमंत्री मोदी का स्वागत करते हुए मंच से नारा लगाया, ‘‘मोदी जी विकास करो हम तुम्हारे साथ हैं’’. यह अवसर हरियाणा चुनावों में पार्टी की ऐतिहासिक जीत का जश्न मनाने का था और इसका श्रेय पूरी तरह से मोदी को दिया गया. तावड़े ने नारा लगाया और भीड़ ने जयकारे लगाए, हालांकि कुछ लोगों को आश्चर्य हुआ कि नारा क्यों लगाया गया. शायद, तावड़े जश्न से पहले मोदी और अन्य लोगों के साथ बंद कमरे में हुई बैठक का हिस्सा थे.



