ब्लॉग: जिम्मेदार और मजबूत विपक्ष चाहता है मतदाता

By विश्वनाथ सचदेव | Updated: June 5, 2024 11:20 IST2024-06-05T11:14:46+5:302024-06-05T11:20:55+5:30

पिछले दो आम चुनाव के विपरीत इस बार सत्तारूढ़ गठबंधन को उतनी सफलता नहीं मिली, जितनी की वह आशा कर रहा था। ऐसा नहीं है कि भाजपा के नेतृत्व को इस बात का अंदेशा नहीं था कि उसकी उम्मीदें पूरी तरह से पूरी नहीं हो सकतीं।

Blog: Voters want responsible and strong opposition | ब्लॉग: जिम्मेदार और मजबूत विपक्ष चाहता है मतदाता

फाइल फोटो

Highlightsचार सौ पार के नारों को गुंजाते भाजपा नेतृत्व को शायद ही अहसास था कि नतीजे ऐसे आएंगेभाजपा के नेतृत्व को इस बात का आकलन करना ही होगा कि उसकी आशाएं पूरी क्यों नहीं हुई?देश के मतदाता ने भाजपा की नीतियों पर सवालिया निशान लगा दिया है

एक बार फिर एग्जिट पोल के नतीजों ने धोखा दे दिया। पिछले दो आम चुनाव के विपरीत इस बार सत्तारूढ़ गठबंधन को उतनी सफलता नहीं मिली, जितनी की वह आशा कर रहा था। ऐसा नहीं है कि भाजपा के नेतृत्व को इस बात का अंदेशा नहीं था कि उसकी उम्मीदें पूरी तरह से पूरी नहीं हो सकतीं, पर निश्चित रूप से उसे ऐसे नतीजों का अनुमान तो नहीं होगा। चार सौ पार के नारों को गुंजाते भाजपा नेतृत्व को शायद ही अहसास था कि नतीजे ऐसे आएंगे।

अब भाजपा वाले यह कह रहे हैं कि चार सौ पार वाला नारा तो एक चुनावी शगूफा था, अपने कार्यकर्ताओं को उत्साहित करने और माहौल बनाने के लिए यह सब तो करना ही पड़ता है। यह एक राजनीतिक सच्चाई हो सकती है, पर एक सच्चाई यह भी है कि भाजपा के नेतृत्व को इस बात का आकलन करना ही होगा कि उसकी आशाएं पूरी क्यों नहीं हुई? इस और ऐसे प्रश्नों के तत्काल उत्तर देना शायद जल्दबाजी होगी, पर यह तय है कि देश के मतदाता ने भाजपा की उन नीतियों पर सवालिया निशान लगा दिया है जिनके सहारे भाजपा अति विश्वास से ग्रस्त लगने लगी थी।

ऐसा नहीं है कि भाजपा को कुछ उल्टा होने की आशंका नहीं थी। ऐसा न होता तो वह हर संभव दिशा से समर्थन जुटाने की कोशिश न करती। जिस तरह इस चुनाव से पूर्व भाजपा ने छोटे-छोटे दलों के साथ समझौते किए और भाजपा नेतृत्व की कटु आलोचना करने वालों को भी अपने पाले में लिया, वह यही बताता है कि भाजपा एनडीए का आधार और आकार बढ़ाने का हर संभव प्रयास करना चाहती थी। यहां यह स्वीकारना होगा कि मोदी ने भाजपा के प्रचार का सारा बोझ अपने कंधे पर ले रखा था।

चुनाव परिणाम का एक चेहरा यह भी है कि मतदाता संविधान और जनतांत्रिक मूल्यों में विश्वास करता है- तानाशाही प्रवृत्तियों से बचना चाहता है वह। यह बात भाजपा के नेतृत्व को समझनी होगी साथ ही यह बात भी रेखांकित हुई है कि मतदाता को हल्के में नहीं लिया जा सकता और न ही यह मानकर चला जा सकता है कि वह राजनेताओं की मुट्ठी में है।
एक और बात जो समझने लायक है, वह यह कि मतदाता ऐसी सरकार के पक्ष में है जो अपनी ताकत के गुमान में न रहे और साथ ही वह एक जिम्मेदार और मजबूत विपक्ष भी चाहता है।

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