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ब्लॉग: अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के अल्पसंख्यक दर्जे का सवाल

By शशिधर खान | Updated: February 8, 2024 13:09 IST

एएमयू का अल्पसंख्यक दर्जा का दावा न्यायोचित है या नहीं, यह सवाल सुप्रीम कोर्ट के फैसल पर अटका है।

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ठळक मुद्देएएमयू के अल्पसंख्यक दर्जे का मामला अभी भी सुप्रीम कोर्ट में अटका पड़ा हैसुप्रीम कोर्ट ने केंद्र के अल्पसंख्यक दर्जे विरोधी दलील को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया37 वर्षों से यह विवाद सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की संविधान पीठ के पास उलझा हुआ है

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) का अल्पसंख्यक दर्जा का दावा न्यायोचित है या नहीं, यह सवाल सुप्रीम कोर्ट के फैसल पर अटका है। केंद्रीय विश्वविद्यालय एएमयू को अल्पसंख्यक शिक्षा संस्था का दर्जा देने के पक्षधरों और केंद्र सरकार की उसके विरोध में दलीलें सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। इसका मतलब अभी इसमें समय लग सकता है क्योंकि 37 वर्षों से यह विवाद सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की संविधान पीठ के 1967 के फैसले के बावजूद सुलझ नहीं पाया है।

यह मामला तीसरी बार सुप्रीम कोर्ट के पास पहुंचा है। अभी सुनवाई के दौरान भारत के प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली सात जजों की संविधान पीठ ने कहा कि 1967 के सुप्रीम कोर्ट फैसले की समीक्षा की जाएगी। चीफ जस्टिस ने संकेत दिया है कि वे इस सवाल का जवाब प्रस्तुत करनेवाला फैसला देने के पक्ष में हैं।

एएमयू को भारतीय संविधान के तहत अल्पसंख्यक दर्जा वाला संस्थान दिलाने के पक्ष में दी गई दलीलों पर चीफ जस्टिस ने सवाल उठाए। ठीक उसी प्रकार इसके विरोध में केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के तर्कों पर भी प्रधान न्यायाधीश ने टिप्पणी की।

सुप्रीम कोर्ट पीठ ने 1967 के जिस सुप्रीम कोर्ट फैसले की जांच करने की बात कही, उसमें एएमयू का अल्पसंख्यक दर्जा दावा समाप्त कर दिया गया था। सीजेआई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि इस बात की जांच की जाएगी कि वो फैसला सही था या नहीं।

1967 को अजीज बाशा बनाम संघीय सरकार वाले मुकदमे में सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की संविधान पीठ का फैसला एएमयू विवाद में मील का पत्थर माना जाता है। शीर्ष कोर्ट के विद्वान जजों ने सीधा फैसला सुनाया कि ‘एएमयू न तो मुस्लिम समुदाय का स्थापित किया हुआ है, न ही यह संस्था इस समुदाय के अधीन रही।’ सुप्रीम कोर्ट जजों ने कहा कि इसीलिए एएमयू को संविधान की धारा-301(1) के अंतर्गत अल्पसंख्यकों की रक्षा के लिए अल्पसंख्यक संस्थान का नियंत्रण नहीं मिल सकता।

हालांकि जब संसद ने 1981 में एएमयू (संशोधन) अधिनियम पारित किया तो इस संस्थान को अल्पसंख्यक दर्जा वापस मिल गया, लेकिन जनवरी 2006 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एएमयू यूनिवर्सिटी को अल्पसंख्यक का दर्जा देने वाले प्रावधान को रद्द कर दिया था।

तब केंद्र में कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ अपील दायर की, जबकि यूनिवर्सिटी ने भी अलग से याचिका दायर की थी। वहीं साल 2016 में भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि वह पूर्ववर्ती यूपीए सरकार द्वारा दायर अपील वापस ले लेगी।

टॅग्स :Aligarh Muslim Universityसुप्रीम कोर्टsupreme courtCentral Government
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