ब्लॉग: कच्चातिवु द्वीप फिर सवालों के घेरे में

By शोभना जैन | Published: April 10, 2024 11:02 AM2024-04-10T11:02:48+5:302024-04-10T11:14:57+5:30

श्रीलंका स्थित कच्चातीवु द्वीप एक बार फिर भारत श्रीलंका संबंधों को लेकर सुर्खियों में है। भारत में आम चुनाव  की वजह से घरेलू राजनीति खासी गर्म है।

Blog: Katchatheevu Island again under the scanner | ब्लॉग: कच्चातिवु द्वीप फिर सवालों के घेरे में

फाइल फोटो

Highlightsश्रीलंका स्थित कच्चातीवु द्वीप एक बार फिर भारत श्रीलंका संबंधों को लेकर सुर्खियों में हैचुनाव से ठीक पहले श्रीलंका स्थित कच्चातिवु द्वीप का विवाद भारत में खासा मुद्दा बना हुआ है इसके स्वामित्व को लेकर दोनों देशों के बीच यह मुद्दा डिप्लोमेसी से इतर राजनीति हो गई है

श्रीलंका स्थित कच्चातीवु द्वीप एक बार फिर भारतश्रीलंका संबंधों को लेकर सुर्खियों में है। भारत में आम चुनाव  की वजह से घरेलू राजनीति खासी गर्म है और अहम बात यह है कि इस बार चुनाव से ठीक पहले श्रीलंका स्थित कच्चातिवु द्वीप के स्वामित्व को लेकर दोनों देशों के बीच इस मुद्दे पर डिप्लोमेसी से इतर राजनीति हो गई है।

दरअसल स्वामित्व के इस विवाद का हल खोजने की शुरुआत 1921 में हुई जब ब्रिटिश शासन व्यवस्था के अधीनस्थ मद्रास और सीलोन (तत्कालीन श्रीलंका) की तत्कालीन सरकारों के बीच बातचीत की शुरुआत हुई और पचास साल बाद स्वामित्व का मसला एक तरह से हल कर लिया गया।

भारत और श्रीलंका के बीच 1974 में यह समझौता हुआ था। इस समझौते के तहत ही दोनों देशों ने समुद्री सीमा भी तय कर ली थी। दस्तावेजों के अनुसार कच्चातिवु को श्रीलंका को दिए जाने के साथ ही श्रीलंका ने  निकटवर्ती जल क्षेत्र वेज बैंक क्षेत्र पर भी अपना दावा छोड़ दिया।

इस समझौते के तहत दो साल के बाद ही भारत को वेज बैंक पर नियंत्रण मिल गया. वेज बैंक कन्याकुमारी से लगभग 50 किमी दूर दक्षिण में स्थित 10 हजार वर्ग किमी में फैला इलाका है। भारत और श्रीलंका दोनों देशों के मछुआरे इस क्षेत्र में मछली पकड़ने जाते थे।

हालांकि इसके बावजूद दोनों देशों में विशेष तौर पर भारतीय मछुआरों के बीच एक भ्रम की स्थिति बनी रही। समझौते के तहत आर्टिकल 5 में कच्चातिवु द्वीप पर भारतीय मछुआरे और तीर्थयात्री बिना किसी पासपोर्ट वगैरह के आराम से आ-जा सकेंगे। इसके साथ ही आर्टिकल 6 में बताया गया था कि दोनों देशों के जहाज इस इलाके में बिना किसी रोक-टोक के आ-जा सकेंगे।

इसी समझौते के तहत भारतीय मछुआरे लंबे समय तक कच्चातिवु द्वीप और उसके आसपास मछलियां पकड़ते रहे और कई मर्तबा श्रीलंकाई नौसेना उन्हें गिरफ्तार कर लेती रही है। श्रीलंकाई नौसेना की ओर से पिछले कई सालों से भारतीय मछुआरों को पकड़ने की खबरें आती रही हैं। भारत सरकार के आंकड़ों के मुताबिक पिछले साल ही श्रीलंकाई समुद्री इलाके से 240 भारतीय मछुआरों को गिरफ्तार किया गया है। साल 2014 में 800 से ज्यादा भारतीय मछुआरों को गिरफ्तार किया गया था।

भले ही साल 2014 के बाद भारतीय मछुआरों की गिरफ्तारी कम हुई हो लेकिन जलीय जीव को लेकर विवाद अभी भी खत्म नहीं हुआ है। श्रीलंका से जब-जब कोई शीर्ष स्तरीय राजनैतिक शिष्टमंडल भारत आता है या भारत से जाता है तो यह मुद्दा चर्चा का एक अहम बिंदु होता रहा है। जान जोखिम में डाल कर वहां के जल क्षेत्र में मछलियां पकड़ने गए देश के मछुआरों को लेकर भारत की  चिंता स्वाभाविक है। जरूरत है कि इस मुद्दे को राजनीति से परे रख कर मानवीय आधार पर श्रीलंका से बात की जाए।

Web Title: Blog: Katchatheevu Island again under the scanner

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