लाइव न्यूज़ :

ब्लॉग: कुपोषणमुक्त भारत के लिए एनीमिया को पूरी गंभीरता से लेने की जरूरत, घटने के बजाय बढ़ता ही जा रहा

By नीरजा चौधरी | Updated: December 2, 2021 14:49 IST

एनीमिया के दुष्परिणाम बहुत ज्यादा हैं. इससे शरीर में ऊर्जा की कमी होती है, उत्पादकता प्रभावित होती है और सबसे महत्वपूर्ण बात यह कि रक्ताल्पता वाली महिलाओं से पैदा होने वाले बच्चे कुपोषित होते हैं. इसलिए कुपोषणमुक्त भारत का सपना तब तक साकार नहीं हो सकता जब तक कि हम इसके बारे में जागरूक नहीं होते.

Open in App
ठळक मुद्देभारत में हर दूसरी महिला (57) और हर चौथा पुरुष एनिमिक है.कुपोषणमुक्त भारत का सपना तब तक साकार नहीं हो सकता जब तक कि हम इसके बारे में जागरूक नहीं होते.पोलियो की तरह एनीमिया से छुटकारा पाने की जरूरत.

पांचवें चरण के राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस-5) से अगर कोई संदेश स्पष्ट रूप से सामने आ रहा है, तो वह यह है कि अब हमें एनीमिया को पूरी गंभीरता से लेने की जरूरत है, क्योंकि यह देश में चिंता का एक प्रमुख कारण बनकर उभर रहा है. यह घटने के बजाय बढ़ता ही जा रहा है.

पिछले पांच वर्षो में पांच साल से कम उम्र के बच्चों में, किशोर लड़कियों में और यहां तक कि पुरुषों में भी एनीमिया बढ़ गया है. भारत में हर दूसरी महिला (57) और हर चौथा पुरुष एनिमिक है.

एनीमिया के दुष्परिणाम बहुत ज्यादा हैं. इससे शरीर में ऊर्जा की कमी होती है, उत्पादकता प्रभावित होती है और सबसे महत्वपूर्ण बात यह कि रक्ताल्पता वाली महिलाओं से पैदा होने वाले बच्चे कुपोषित होते हैं. इसलिए कुपोषणमुक्त भारत का सपना तब तक साकार नहीं हो सकता जब तक कि हम इसके बारे में जागरूक नहीं होते.

मैंने एक बार संयुक्त राष्ट्र के एक विशेषज्ञ से पूछा था कि भारत में कुपोषण के आंकड़े उप सहारा अफ्रीका की तुलना में भी खराब क्यों हैं जबकि हम अफ्रीका के कई हिस्सों के विपरीत एक बढ़ती अर्थव्यवस्था और लोकतंत्र हैं. तब उन्होंने इसका कारण बताया था कि ‘कम वजन वाली एनिमिक महिलाएं कमजोर बच्चों को जन्म देती हैं.’

एनएफएचएस-5 को हल्के में नहीं लिया जा सकता. यह स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़े हैं. इसके पहले हिस्से में दिसंबर 2020 में 22 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की जानकारी दी गई थी और शेष राज्यों के आंकड़े 24 नवंबर, 2021 को जारी किए गए.

इस कहानी की कुछ अच्छी बातें भी हैं, लेकिन ये बहुत कम हैं. जैसे भारत की कुल प्रजनन दर (टीएफआर) में गिरावट. यह एक महिला द्वारा पैदा होने वाले बच्चों की औसत संख्या है. वर्तमान में यह 2.0 पर है, जबकि 2015-16 में एनएफएचएस-4 के दौरान 2.2 थी. यह परिवार नियोजन कार्यक्रम की सफलता को दर्शाता है और वह भी बिना किसी दबाव के. 

एक और उत्साहजनक प्रवृत्ति उन महिलाओं की संख्या में वृद्धि है जिनके पास बैंक खाता है जिसे वे स्वयं संचालित करती हैं. यह 2015-16 के 53 प्रतिशत से उल्लेखनीय रूप से बढ़कर 79 प्रतिशत हो गई है.

बच्चों के बौनेपन में भी कमी आई है, लेकिन यह मामूली (38 प्रतिशत के मुकाबले 35 प्रतिशत) ही है. हालांकि, भारत में तीन राज्यों- ओडिशा, मध्य प्रदेश और यूपी-जिनका पिछले कुछ वर्षो में सबसे खराब प्रदर्शन रहा है, ने इस बार बेहतर प्रदर्शन किया है. 

ओडिशा में स्टंटिंग दर में 10 प्रतिशत की गिरावट आई है. राजनीतिक इच्छाशक्ति प्रबल हो और पर्याप्त पोषण मिले तो कितना फर्क पड़ सकता है, ओडिशा इसका प्रबल उदाहरण है.

लेकिन एनीमिया गंभीर चिंता का कारण बना हुआ है. महाराष्ट्र जैसे राज्य में भी, जिसे अपनी सामाजिक भूमिका में प्रगतिशील माना जाता है, परिस्थिति बहुत अच्छी नहीं है. 

महाराष्ट्र में बच्चों में एनीमिया पांच साल पहले के 53.8 प्रतिशत से बढ़कर एनएफएचएस-5 में 68.9 प्रतिशत पाया गया है, जो 15 प्रतिशत अधिक है. किशोर लड़कियों (15-19 आयु वर्ग) में, यह करीब 8 प्रतिशत बढ़कर 49.7 प्रतिशत के मुकाबले 57 प्रतिशत से भी अधिक हो गया है.

महाराष्ट्र का प्रदर्शन अपेक्षानुरूप नहीं होने के कारणों में से एक शहरी क्षेत्र की उपेक्षा है. महाराष्ट्र 50 प्रतिशत शहरी है. गुजरात भी तेजी से शहरीकरण की ओर बढ़ने वाला राज्य है. 

उदाहरण के लिए, शहरों में आंगनवाड़ियों के लिए या काम के लिए शहरों में आने वाले प्रवासियों के लिए बुनियादी ढांचा पर्याप्त नहीं है. बच्चों में मोटापा बढ़ रहा है (जंक फूड इसका एक कारण है) और यह दोहरी मार है.

यह नीति निमार्ताओं के लिए, राजनीतिक दलों के लिए, नागरिक समाज के लिए और वास्तव में हम सभी के लिए एक चेतावनी है, क्योंकि दांव पर हमारा भविष्य है. सरकार ने तीन साल पहले एनीमिया मुक्त भारत की घोषणा की थी. 

यह संभव है कि एनएफएचएस-5 (जो 2019-21 में किया गया) में सरकार द्वारा शुरू किए गए कार्य का पूरी तरह से आकलन नहीं हो पाया हो, लेकिन यह स्पष्ट है कि अब तक जो कुछ भी किया गया है, वह या तो काम नहीं कर रहा है या पर्याप्त नहीं है. 

महिलाओं और लड़कियों को आयरन और फॉलिक एसिड दिए जाने का प्रावधान है. लेकिन ऐसा लगता है कि यह सिर्फ कागजों पर ही है. महिलाएं या तो आयरन की गोलियां ले नहीं ले रही हैं या गोलियां खराब हैं. हमें पूरे देश में लौह तत्व से भरपूर खाद्य पदार्थो की पैदावार लेने की जरूरत है, इसकी जिलेवार मैपिंग की जानी चाहिए.

एनएफएचएस-5 दिखाता है कि हम देश में कुपोषण को खत्म करने के लिए उतना काम नहीं कर पा रहे हैं जितनी उम्मीद थी. एनएफएचएस-4 की तुलना में गंभीर रूप से कमजोर बच्चों की संख्या में वृद्धि हुई है, और इसके लिए उपचार के साथ-साथ निरंतर पोषण और देखभाल दोनों की आवश्यकता है.

हम बहुत कम हासिल कर पा रहे हैं, जैसे कि स्टंटिंग के बारे में 2 या 3 प्रतिशत का सुधार पर्याप्त नहीं है. दांव पर हमारा भविष्य है. यदि 60 प्रतिशत से अधिक बच्चे और प्रजननक्षम आधी महिलाएं एनिमिक हैं, तो निश्चित ही समस्या गंभीर है.

हमें उसी दृढ़ संकल्प और उत्साह के साथ एनीमिया को मिटाने की जरूरत है, जैसा कि हमने पोलियो से छुटकारा पाने के लिए किया था. इस बारे में सबसे पहले प्रधानमंत्री और राज्यों के मुख्यमंत्री एनएफएचएस के नवीनतम चरण के विस्तृत आंकड़ों से युक्त श्वेतपत्र जारी कर सकते हैं. यह पता लगाया जाना चाहिए कि काम अपेक्षित ढंग से क्यों नहीं हो पा रहा है और उनमें आवश्यक सुधार किया जाना चाहिए.

टॅग्स :भारतहेल्थ बजट इंडिया
Open in App

संबंधित खबरें

भारतPutin Visit India: भारत का दौरा पूरा कर रूस लौटे पुतिन, जानें दो दिवसीय दौरे में क्या कुछ रहा खास

भारत‘पहलगाम से क्रोकस सिटी हॉल तक’: PM मोदी और पुतिन ने मिलकर आतंकवाद, व्यापार और भारत-रूस दोस्ती पर बात की

भारतPutin India Visit: एयरपोर्ट पर पीएम मोदी ने गले लगाकर किया रूसी राष्ट्रपति पुतिन का स्वागत, एक ही कार में हुए रवाना, देखें तस्वीरें

भारतPutin India Visit: पुतिन ने राजघाट पर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दी, देखें वीडियो

भारतPutin Visit India: राष्ट्रपति पुतिन के भारत दौरे का दूसरा दिन, राजघाट पर देंगे श्रद्धांजलि; जानें क्या है शेड्यूल

भारत अधिक खबरें

भारतशशि थरूर को व्लादिमीर पुतिन के लिए राष्ट्रपति के भोज में न्योता, राहुल गांधी और खड़गे को नहीं

भारतIndiGo Crisis: सरकार ने हाई-लेवल जांच के आदेश दिए, DGCA के FDTL ऑर्डर तुरंत प्रभाव से रोके गए

भारतबिहार विधानमंडल के शीतकालीन सत्र हुआ अनिश्चितकाल तक के लिए स्थगित, पक्ष और विपक्ष के बीच देखने को मिली हल्की नोकझोंक

भारतBihar: तेजप्रताप यादव ने पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ कुमार दास के खिलाफ दर्ज कराई एफआईआर

भारतबिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का नाम हुआ लंदन के वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज, संस्थान ने दी बधाई