जम्मू-कश्मीर में चार साल से चली आ रही भारतीय जनता पार्टी-पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (BJP-PDP) के गठबंधन का अंत हो गया। भाजपा की तरफ से गठबंधन तोड़ने के पीछे घाटी की हालातों का हवाला दिया गया है। जैसा कि हर बड़ी खबर के बाद सोशल मीडिया में रिएक्शन की बाढ़ आती है, ठीक वैसे ही गठबंधन टूटने की खबर के बाद भी हुआ। सोशल मीडिया इस समय पीडीपी-भाजपा गठबंधन टूटने को लेकर पटा पड़ा है। रिएक्शन देना अच्छी बात है। लेकिन जिस तरह के रिएक्शन है वो सोचना का विषय है।
गठबंधन जिस वजह से भी टूटी हो, लोगों के निशाने पर महबूबा मुफ्ती रहीं। उनको लेकर लोगों ने काफी सेक्सिएट कमेंट किए। लोगों की तरफ से ज्यादातर कमेंट जो आए उनमें एक महिला होने के नाते टारगेट किया गया था।
‘महबूबा को मिला तलाक।’
‘महबूबा और भाजपा के लिव इन रिलेशनशिप का अंत।’
‘इतिहास में पहली बार महबूबा को मिला तलाक।’
‘मोदी टू महबूबा हमें ये रिश्ता मंजूर नहीं है।’
‘महबूबा मुफ्ती ने अखिलेश यादव को कॉल करके टाइल्स, टोंटी उखाड़ने के टिप्स पूछा।’
सेक्सिएट का मतलब समझते हैं ना! सरल शब्दों में कहे तो, जिसमें जेंडर की वजह से आपको टारगेट किया जाता हो या आपका मजाक उड़ाया जाता हो। हमारा भारतीय समाज भरा पड़ा है ऐसे लोगों से।
सोनिया गांधी जिन्हें विदेशी होने या उनकी हिंदी उच्चारण को लेकर ना सिर्फ ट्रोल किया जाता है, बल्कि मर्याद की हद पार करते हुए गंदी बातें भी कही जाती है। खुद भाजपा के एक नेता ने सोनिया गांधी पर टिप्पणी करते हुए उन्हें अपशब्द तक कहा था। अगर उनके विदेशी होने पर बात करें तो सोनिया गांधी किसी भी भारतीय से ज्यादा भारतीय लगती हैं। चाहे पहनावे की बात करें या अपनी सरजमीं छोड़ भारत के हर कल्चर को अपनाने की बात हो। भले ही वो राजनीति के लिए ही सही लेकिन उन्होंने अपनाया तो है। पिछले दिनों कांग्रेस कार्यकर्ता सम्मेलन में दिए गए उनके भाषण को लेकर लोगों ने उन्हें खूब ट्रोल किया था। जहां वो इंदिरा गांधी के शासनकाल का जिक्र करते हुए ‘बदलकर रखा’ दिया जैसे शब्द का प्रयोग कर रही हैं। लेकिन सोशल मीडिया पर उस फुटेज को ये कहकर शेयर किया जा रहा था कि सोनिया गांधी ने 60 साल में पहली बार कांग्रेस की सच्चाई सामने लाई हैं। इंदिरा गांधी ने देश का ‘बलात्कार’ करके रख दिया है।
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क्या आपने कभी पीएम मोदी, योगी आदित्यनाथ का मजाक उडाया है? इनदोनों ही नेताओं की ना तो व्याकरण अच्छी है और ना ही उच्चारण। सिर्फ ये दोनों ही क्यों देश में अभी के समय में बहुत से ऐसे नेता है, जिनकी ना तो हिंदी अच्छी है और ना उच्चारण। क्या आपने कभी दक्षिण के नेताओं को हिंदी ना आने के लिए ट्रोल किया है? जबकि वो तो भारत का ही हिस्सा हैं। इटली की एक महिला हिंदुस्तान आकर ना सिर्फ यहां की संस्कृति में ढलती है बल्कि देवनागरी भी पढ़ती है। इस बात को अप्रेशिएट करने की बजाए लोगों सोनिया गांधी को उच्चारण के लिए ट्रोल करते हैं। हालांकि सोनिया गांधी अगर भारत की भी होती तभी वो इतना ही ट्रोल होती, क्योंकि उनके ट्रोल होने पीछे उनका उच्चारण नहीं बल्कि महिला होना है।
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सोनिया गांधी का उदाहरण अगर हटा दें तो आप बसपा सुप्रीमो मायावती को ले लीजिए। भारतीय राजनीति में महिलाओं में क्रिटिसाइज की जाने वाली लिस्ट का ये फेवरेट चेहरा हैं। लोगों ने इनके चेहरा, कपड़ों से लेकर बोलने तक के स्टाइल को लेकर काफी भद्दे मजाक बनाए हैं। मायावती की फोटो पर फनी टेक्सट लिखकर दोस्तों को टैग कर शादी का मजाक उड़ाया जाता है। मायावती आज जिस पोजिशन पर हैं उस स्ट्रगल पर बहुत कम लोग ही बात करते दिखेंगे लेकिन उनकी लुक्स पर खूब बातें होती है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को भी उनके हिंदी के लिए ट्रोल किया जाता रहा है। भाजपा नेता स्मृति ईरानी को लेकर भी कांग्रेस के नेता संजय निरुपमा ने अपशब्द कहें थे।
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वहीं कर्नाटक के नए मुख्यमंत्री कुमारस्वामी जैसे नेताओं की खूबसूरत बीवी की फोटो शेयर करके कहा जाता है कि पैसा हो तो कुछ भी मुमकिन है। यहां भी औरत ही टारगेट होती है। पैसों के लिए महिलाएं किसी भी शादी कर लेंगी। राजनीति में महबूबा मुफ्ती इसका पहला उदाहरण नहीं है। हमारे माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी रेणुका चौधरी की हंसी को लेकर उनकी तुलना ताड़का से करते हैं और उनके इस भद्दे कमेंट पर पूरा संसद ताली पीटकर हंसता है। पीएम मोदी द्वारा की गई वो टिप्पणी दिखाता है कि भारतीय पुरुष किसी भी ओहदे पर चल जाए लेकिन उनके अंदर महिलाओं के लेकर जो कुंठा है, वो नहीं बदलती।
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