बिहार की राजनीति सांप-सीढ़ी का खेल, गौरीशंकर राजहंस का ब्लॉग
By गौरीशंकर राजहंस | Updated: November 19, 2020 13:38 IST2020-11-19T13:36:58+5:302020-11-19T13:38:32+5:30
भाजपा ने जानबूझकर अपने दो विधायकों को उपमुख्यमंत्री बनवाया है. इनमें से एक तारकिशोर प्रसाद हैं जो चार बार कटिहार से विधायक चुने गए हैं और दूसरी रेणु देवी हैं जो चार बार की विधायक रह चुकी हैं.

सुशील मोदी की आहत भावनाओं पर मरहम लगाने के लिए उन्हें रामविलास पासवान की जगह राज्यसभा में भेजा जाएगा. (file photo)
बिहार के चुनाव में कई नई-नई बातें उभर कर आई हैं. पहली बार बिहार में दो उपमुख्यमंत्री बनाए गए हैं. लोगों को हैरानी भी हुई क्योंकि नीतीश कुमार और सुशील मोदी की जोड़ी पंद्रह वर्षों से सफलतापूर्वक काम कर रही थी. सुशील मोदी निराश भी हुए परंतु उन्होंने अपनी भावना को छिपाकर यही कहा कि कार्यकर्ता के रूप में उनका स्थान कोई नहीं ले सकता है.
भाजपा ने जानबूझकर अपने दो विधायकों को उपमुख्यमंत्री बनवाया है. इनमें से एक तारकिशोर प्रसाद हैं जो चार बार कटिहार से विधायक चुने गए हैं और दूसरी रेणु देवी हैं जो चार बार की विधायक रह चुकी हैं. तारकिशोर प्रसाद ओबीसी से आते हैं और रेणु देवी अति पिछड़ी नोनिया जाति से हैं.
दोनों उपमुख्यमंत्रियों को शपथ दिलाकर भाजपा ने यह दर्शाने का प्रयास किया कि नीतीश कुमार नाम के मुख्यमंत्री होंगे. शासन की असल बागडोर तो भाजपा के हाथ में ही होगी. खबर है कि नीतीश कुमार भाजपा के इस फैसले का विरोध भी नहीं कर पाए. यह भी खबर है कि सुशील मोदी की आहत भावनाओं पर मरहम लगाने के लिए उन्हें रामविलास पासवान की जगह राज्यसभा में भेजा जाएगा और बहुत उम्मीद है कि उन्हें कोई केंद्रीय मंत्रलय भी दिया जाए. परंतु इस जोड़तोड़ से जदयू के समर्थक बहुत संतुष्ट नहीं दीख रहे हैं.
बिहार विधानसभा के चुनाव ने सबसे अधिक कांग्रेस पार्टी को आहत किया. उसकी सीटें भी कम आईं. कांग्रेस पार्टी के महासचिव तारिक अनवर ने बिना संकोच यह महसूस किया कि कांग्रेस ने बिहार में जितनी सीटों की उम्मीद की थी उससे बहुत कम सीटें मिलीं. इस पर राजद के कुछ नेताओं ने तंज कसना शुरू कर दिया कि जो सीटें कांग्रेस को दी थीं, वे किसी अन्य दल को दी जातीं तो राजद आसानी से सत्ता में आ जाती. इस पर तारिक अनवर ने कहा कि राजद एक क्षेत्रीय पार्टी है और कांग्रेस पूरे देश की पार्टी है. उसे धक्का जरूर लगा है परंतु कांग्रेस पार्टी फिर से देर सबेर उठ खड़ी होगी.
इस चुनाव में सबसे बड़ी बात उभर कर यह आई कि नरेंद्र मोदी के नाम पर बिहार की महिलाओं ने आगे बढ़कर भाजपा को वोट दिया. नारी सशक्तिकरण का ऐसा उदाहरण पहले नहीं देखा गया. बिहार की महिलाओं के बारे में यह धारणा थी कि वे अपने पतियों का विरोध नहीं कर सकती हैं. परंतु अनेक टीवी इंटरव्यू में इन महिलाओं ने खुलकर अपने पतियों का विरोध किया और भाजपा को वोट दिया.
अब सब की निगाहें इस बात पर होंगी कि एनडीए 19 लाख लोगों को रोजगार कैसे दे पाएगा.