इंटरनेट इंफ्रास्ट्रक्चर सर्विस देने वाली कंपनी क्लाउडफ्लेयर में तकनीकी खराबी के कारण मंगलवार शाम जिस तरह से एक्स, चैटजीपीटी समेत कई सोशल साइटें तीन-चार घंटे तक बाधित रहीं, उसने एक बार फिर आगाह किया है कि इन पर एकाधिकार रखने वाली कंपनियां अगर चाहें तो किस तरह से पूरी दुनिया को ऑनलाइन झटका दे सकती हैं. हालांकि ताजा आउटरेज का कारण तकनीकी खराबी को बताया जा रहा है लेकिन इससे पता चलता है कि ऐसी कंपनियां खुद चाहें या कोई साइबर अपराधी इनमें घुसपैठ कर ले तो ऑनलाइन दुनिया में कितना बड़ा कहर ढा सकता है!
क्लाउडफ्लेयर का हो सकता है इसके पहले बहुत से लोगों ने नाम भी न सुन रखा हो, लेकिन मंगलवार शाम को जब विश्व स्तर पर बड़े पैमाने पर इंटरनेट सेवाएं बाधित हुईं और एक्स, स्पॉटिफाई, ओपनएआई या चैटजीपीटी जैसी बड़ी-बड़ी वेबसाइटों पर भी एरर का मैसेज आने लगा, तब पता चला कि यह एक ऐसी कंपनी है जिसका लिंक दुनियाभर की हजारें वेबसाइट्स और ऐप्स से है.
क्लाउडफ्लेयर इंटरनेट की उस सड़क की तरह है जिस पर से लाखों करोड़ों लोग हर सेकंड गुजरते हैं और जैसे शहर में कोई बड़ा फ्लाईओवर बंद हो जाए तो पूरा ट्रैफिक जाम हो जाता है, वैसे ही क्लाउडफ्लेयर डाउन होने पर इंटरनेट पर जाम लग जाता है. क्लाउडफ्लेयर भले ही बहुत से लोगों के लिए एक अनाम सी कंपनी हो लेकिन इसके डेटा सेंटर्स दुनियाभर में हैं, जो इंटरनेट का ट्रैफिक वितरित करते हैं.
इंटरनेट को भले ही हम एक स्वतंत्र और निष्पक्ष माध्यम मानते हों लेकिन हकीकत यह है कि कंपनियों को वेबसाइट और सर्विसेज होस्ट करने के लिए क्लाउडफ्लेयर, माइक्रोसॉफ्ट और अमेजन जैसे सीमित प्रदाताओं पर निर्भर रहना पड़ता है. अगर ये चाह लें या इनमें कोई तकनीकी गड़बड़ी आ जाए तो समूचा इंटरनेट ही ढह सकता है. इसलिए जो लोग अपने कार्यों के लिए डिजिटल निर्भरता बढ़ाते जा रहे हैं, उनके लिए ऐसी घटनाएं चेतावनी हैं कि वे आंख मूंद कर इंटरनेट सेवाओं पर भरोसा न करें.
वैसे आंख मूंदकर भरोसा नहीं करने की चेतावनी तो गूगल के प्रमुख सुंदर पिचाई ने कृत्रिम मेधा (एआई) से मिली जानकारियों को लेकर भी दी है. पिचाई का कहना है कि एआई मॉडल त्रुटियों से ग्रस्त हैं, ये मददगार तो हो सकते हैं लेकिन लोगों को इन उपकरणों का सही तरीके से उपयोग करना सीखना होगा और हर बात पर आंख मूंद कर भरोसा नहीं करना चाहिए.
दिक्कत दरअसल यही है कि जो चीज हमारी मदद के लिए थी, हम उस पर पूरी तरह से निर्भर हो गए हैं. ताजा घटना चेतावनी है कि इंटरनेट कितना भी मददगार हो लेकिन उस पर या एआई पर आंख मूंदकर भरोसा करना और वैकल्पिक व्यवस्था न रखना कितना जोखिम भरा हो सकता है.