ऋषभ मिश्रा का ब्लॉग: हरित ऊर्जा के लिए बढ़ानी होगी जागरूकता
By ऋषभ मिश्रा | Updated: August 20, 2024 07:58 IST2024-08-20T07:48:08+5:302024-08-20T07:58:14+5:30
अक्षय ऊर्जा प्रौद्योगिकी में प्रगति ने सौर पैनलों, पवन टर्बाइनों और हरित ऊर्जा के अन्य स्रोतों की लागत कम की है, जिससे बिजली उत्पादन करने की क्षमता लोगों के हाथों में आ गई है.

ऋषभ मिश्रा का ब्लॉग: हरित ऊर्जा के लिए बढ़ानी होगी जागरूकता
हरित ऊर्जा प्राकृतिक स्रोतों जैसे सूरज की रोशनी, हवा, बारिश, पौधे, शैवाल और भूतापीय गर्मी से प्राप्त होती है. ये ऊर्जा संसाधन पर्यावरण के अनुकूल हैं और हमारे कार्बन फुटप्रिंट को कम करते हैं. अक्षय ऊर्जा प्रौद्योगिकी में प्रगति ने सौर पैनलों, पवन टर्बाइनों और हरित ऊर्जा के अन्य स्रोतों की लागत कम की है, जिससे बिजली उत्पादन करने की क्षमता लोगों के हाथों में आ गई है.
दुनिया की लगभग 30 प्रतिशत बिजली अक्षय ऊर्जा से आती है, जिसमें जलविद्युत, सौर, पवन और अन्य शामिल हैं. गौरतलब है कि कोस्टा रिका ने पनबिजली, भू-तापीय, पवन, बायोमास और सौर ऊर्जा के संयोजन से लगातार सात वर्षों तक नवीकरणीय स्रोतों से अपनी 98 प्रतिशत बिजली का उत्पादन किया है.
भारत स्थापित अक्षय ऊर्जा क्षमता के मामले में दुनिया में चौथे स्थान पर है और पिछले 7 वर्षों में उसकी गैर-जीवाश्म ईंधन ऊर्जा में 25 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है. अनुमानतः वर्ष 2050 तक, दुनिया की ऊर्जा की सबसे बड़ी मात्रा वैकल्पिक या अक्षय ऊर्जा स्रोतों द्वारा आपूर्ति की जाएगी. भारत स्वच्छ और हरित ऊर्जा स्रोत के लिए प्रतिबद्ध है और राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन इस दिशा में एक बड़ा कदम है.
अक्षय ऊर्जा स्रोत का उपयोग करने का विकल्प न केवल लंबी अवधि में लागत बचत में तब्दील होगा, बल्कि पर्यावरण को जीवाश्म ईंधन उत्सर्जन के जोखिमों से बचाने में भी मदद करेगा. एनर्जी ऑडिट को अपनाकर ऊर्जा संरक्षण के महत्व के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए सरकार के स्तर पर ऊर्जा संरक्षण जागरूकता अभियान शुरू किया जाना चाहिए.
इसके अलावा बिजली उत्पादन इकाइयों को धीरे-धीरे नवीकरणीय संसाधनों के उपयोग का सहारा लेना चाहिए क्योंकि वे कभी समाप्त नहीं होंगे. हालांकि लोग ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोतों के उपयोग के महत्व के बारे में तेजी से जागरूक हो रहे हैं, लेकिन अब भी इस क्षेत्र में बहुत काम करने की जरूरत है.
उदाहरण के लिए लोगों को वैकल्पिक ऊर्जा प्रौद्योगिकियों के महत्व के प्रति उत्तरदायी बनाने के लिए बुद्धिजीवियों और विषय विशेषज्ञों द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में जागरूकता कार्यक्रम शुरू किए जाने चाहिए. स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालय स्तर पर पाठ्यक्रम में अक्षय या हरित ऊर्जा पर पाठ्यक्रम शुरू किए गए हैं ताकि विद्यार्थियों को इनके महत्व से परिचित कराया जा सके और इस क्षेत्र में उनके ज्ञान में वृद्धि की जा सके.
अगला दशक अक्षय ऊर्जा का युग होने जा रहा है. सरकारी नीतिगत पहलों को मजबूत करने के लिए निजी क्षेत्र की सहायता और अंतरराष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता है. इसके लिए ऐसे कार्यक्रमों की आवश्यकता है जो प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, क्षमता निर्माण और सहयोगी अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा दें. हरित ऊर्जा स्रोतों में नवोन्मेष विकासशील देशों को आधुनिक और स्थायी ऊर्जा प्रणालियों व प्रौद्योगिकियों को अपनाने में सक्षम करेगा.