अवधेश कुमार का ब्लॉग: मलेशिया, तुर्की और चीन को कूटनीतिक प्रत्युत्तर

By अवधेश कुमार | Updated: October 7, 2019 05:54 IST2019-10-07T05:54:10+5:302019-10-07T05:54:31+5:30

तुर्की के संदर्भ में भारत के शब्द थोड़ा संयमित दिखते हैं. कहा गया कि हम तुर्की की सरकार के साथ कश्मीर मुद्दे को लेकर विस्तृत चर्चा करेंगे. हम कश्मीर की जमीनी हकीकत उन्हें बताएंगे ताकि वे एक निष्पक्ष समझ बना सकें.

Avadhesh Kumar blog: Diplomatic response to Malaysia, Turkey and China | अवधेश कुमार का ब्लॉग: मलेशिया, तुर्की और चीन को कूटनीतिक प्रत्युत्तर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पाकिस्तान के पीएम इमराम खान। (फाइल फोटो)

इसमें दो राय नहीं कि जम्मू-कश्मीर को लेकर सघन और सतर्क कूटनीति के कारण पाकिस्तान को विश्व पटल पर अलग-थलग करने में भारत सफल है. किंतु तीन देशों तुर्की, मलेशिया एवं चीन की संयुक्त राष्ट्र महासभा में भाषा पाकिस्तान के अनुकूल थी, वे पाकिस्तान के साथ खड़े दिखे. उन्होंने खुलकर भारत के रवैये की आलोचना की एवं कहा कि पाकिस्तान की बात संयुक्त राष्ट्र को सुननी चाहिए. चीन तो पहले से ही पाकिस्तान का साथ दे रहा है. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से लेकर मानवाधिकार परिषद तक पाकिस्तान को चीन का साथ मिला. संयुक्त राष्ट्र महासभा में मलेशिया, तुर्की और चीन - तीनों का सम्मिलित स्वर पाकिस्तान को बल देने वाला था.  

जाहिर है, भारत को इन पर प्रतिक्रिया देनी ही थी. विदेश मंत्नालय ने प्रतिक्रिया द्वारा तुर्की, मलेशिया और चीन के सामने सख्त शब्दों में अपनी आपत्ति दर्ज कराई. कश्मीर मुद्दे को भारत का आंतरिक मामला मानते हुए भारत ने साफ कहा कि उन्हें इस मुद्दे पर अनावश्यक बयानबाजी से बचना चाहिए. विदेश मंत्नालय के प्रवक्ता ने मलेशिया को संदेश दिया कि ऐसा करने से भारत के साथ संबंध बिगड़ सकते हैं. भारत इस समय दुनिया को जम्मू-कश्मीर का इतिहास बता रहा है कि किस तरह भारत में विलय के बाद पाकिस्तान ने हमला किया और एक क्षेत्न को कब्जाए हुए है. यही बात मलेशिया को बताई गई.

तुर्की के संदर्भ में भारत के शब्द थोड़ा संयमित दिखते हैं. कहा गया कि हम तुर्की की सरकार के साथ कश्मीर मुद्दे को लेकर विस्तृत चर्चा करेंगे. हम कश्मीर की जमीनी हकीकत उन्हें बताएंगे ताकि वे एक निष्पक्ष समझ बना सकें. विदेश मंत्नालय ने चीन के संदर्भ में कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि सभी देश भारत की संप्रभुता और क्षेत्नीय अखंडता का सम्मान करेंगे. पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में गैरकानूनी ढंग से चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे के जरिए यथास्थिति को परिवर्तित करने के प्रयासों से बचेंगे.

कूटनीति में प्रतिक्रियाओं का अपना महत्व है. जिन देशों से आपके संबंध हैं उन्हें आप संबंध बिगड़ने तक की चेतावनी देते हैं तो कई बार वे अपने आचरण पर पुनर्विचार को बाध्य होते हैं. जम्मू-कश्मीर में मलेशिया और तुर्की का किसी तरह का हित नहीं है. हां, चीन के पास इसका एक बड़ा भाग अवश्य है. इसीलिए वह पाकिस्तान के साथ खड़ा है. जाहिर है, भारत को इस मामले से बहुआयामी तरीके से निपटने की आवश्यकता है.

Web Title: Avadhesh Kumar blog: Diplomatic response to Malaysia, Turkey and China

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