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Assembly Election 2023: मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम में इस दिन चुनाव, कांग्रेस और भाजपा के पास चुनौती, जानें समीकरण

By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Updated: October 10, 2023 15:26 IST

Assembly Election 2023: भाजपा का मिजो नेशनल फ्रंट को समर्थन हासिल है. कांग्रेस यहां दस साल की सत्ता के बाद 2018 में विधानसभा चुनाव हार गई थी. मिजोरम में भाजपा सत्ता की दौड़ में नहीं है लेकिन कांग्रेस को क्षेत्रीय दलों से जबर्दस्त मुकाबला करना पड़ेगा.

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ठळक मुद्देछत्तीसगढ़, राजस्थान तथा मध्यप्रदेश में भाजपा एवं कांग्रेस के बीच सीधी टक्कर है. भाजपा के लिए छत्तीसगढ़, राजस्थान तथा मध्यप्रदेश के चुनाव बेहद प्रतिष्ठापूर्ण हैं.2018 में छत्तीसगढ़ में डॉ. रमन सिंह, राजस्थान में वसुंधरा राजे सिंधिया तथा मध्य प्रदेश में शिवराजसिंह चौहान के चेहरे पर भाजपा मैदान में उतरी थी.

Assembly Election 2023: मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम में विधानसभा चुनावों की तारीखों का ऐलान निर्वाचन आयोग ने कर दिया. अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव के पहले इन पांच राज्यों में से चार में कांग्रेस, भारत राष्ट्र समिति तथा अन्य पार्टियों के साथ भारतीय जनता पार्टी का सबसे बड़ा और कठिन शक्तिपरीक्षण होगा.

मिजोरम में मिजो नेशनल फ्रंट जैसी क्षेत्रीय ताकतों का वर्चस्व है. भाजपा का मिजो नेशनल फ्रंट को समर्थन हासिल है. कांग्रेस यहां दस साल की सत्ता के बाद 2018 में विधानसभा चुनाव हार गई थी. मिजोरम में भाजपा सत्ता की दौड़ में नहीं है लेकिन कांग्रेस को क्षेत्रीय दलों से जबर्दस्त मुकाबला करना पड़ेगा.

तेलंगाना में मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव की भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) का मुकाबला कांग्रेस और भाजपा से है जबकि छत्तीसगढ़, राजस्थान तथा मध्य प्रदेश में भाजपा एवं कांग्रेस के बीच सीधी टक्कर है. भाजपा के लिए छत्तीसगढ़, राजस्थान तथा मध्यप्रदेश के चुनाव बेहद प्रतिष्ठापूर्ण हैं.

इन राज्यों में पार्टी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ेगी जबकि 2018 में छत्तीसगढ़ में डॉ. रमन सिंह, राजस्थान में वसुंधरा राजे सिंधिया तथा मध्य प्रदेश में शिवराजसिंह चौहान के चेहरे पर भाजपा मैदान में उतरी थी. कांग्रेस राजस्थान में अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच सुलह से राहत महसूस कर रही है लेकिन यहां उसने अब तक किसी को अपना चेहरा घोषित नहीं किया है.

म.प्र. में वह कमलनाथ और छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल पर ही फिर से दांव लगा रही है. हिंदी पट्टी के इन तीन राज्यों में अगर भाजपा विपक्ष को मात दे देती है तो 2024 के लोकसभा चुनाव में उसकी जीत की संभावनाओं को काफी बल मिलेगा. यही बात कांग्रेस के साथ भी है.

इन तीनों  हिंदी भाषी राज्यों में सफलता से अगले वर्ष के संसदीय चुनाव में विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ में उसकी स्थिति को बहुत मजबूत बना देगी. तेलंगाना में अगर भाजपा चुनाव भले ही न जीत सके लेकिन अगर सबसे बड़ी विपक्षी ताकत के रूप में भी उभरती है तो दक्षिण में कर्नाटक के बाद एक और राज्य में उसका जनाधार मजबूत होगा और भविष्य में दक्षिण भारत में पैर पसारने में उसे काफी मदद मिलेगी.

राजस्थान और छत्तीसगढ़ में खास सत्ता विरोधी लहर नहीं है. कांग्रेस निश्चित रूप से इसका फायदा उठाना चाहेगी. राजस्थान में वसुंधरा राजे तथा छत्तीसगढ़ में डॉ. रमण सिंह के अलावा भाजपा के पास कोई दूसरा कद्दावर नेता नहीं है लेकिन पार्टी इस बार उन्हें किनारे रख रही है. उसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करिश्मे पर भरोसा है. मध्यप्रदेश में भी भाजपा पूरी तरह मोदी मैजिक के ही सहारे है.

जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं वहां सत्तारूढ़ पार्टियां अपनी-अपनी उपलब्धियों के सहारे हैं तो भाजपा उनकी विफलताओं को मुद्दा बनाएगी. इसके अलावा हिंदी पट्टी में कांग्रेस के जातिवार जनगणना तथा ओबीसी आरक्षण को मुख्य हथियार बना रही है. भाजपा को इसका जवाब ढूंढना बहुत जरूरी है क्योंकि राजस्थान, म.प्र. तथा छत्तीसगढ़ जातिगत लिहाज से बेहद संवेदनशील राज्य हैं.

पांच में से चार राज्यों में तो लोकलुभावन योजनाओं की पिछले कुछ माह से लगातार घोषणाएं हो रही हैं. निर्वाचन आयोग ने हालांकि कहा है कि वह ऐसी योजनाओं की घोषणाओं पर नजर रखेगा. लेकिन लगता नहीं कि चुनाव आयोग की बातों का कोई खास असर पड़ेगा.

इस चुनाव में नए बने विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ की एकजुटता की परीक्षा भी होगी. म.प्र., राजस्थान तथा छत्तीसगढ़ में ‘इंडिया’ की सदस्य आम आदमी पार्टी (आप) गठबंधन के सबसे महत्वपूर्ण घटक कांग्रेस के विरुद्ध ताल ठोंक रही है. उसने चुनाव प्रचार भी शुरू कर दिया है. म.प्र. तथा राजस्थान की कुछ सीटों पर सपा व बसपा का भी प्रभाव है.

बसपा ‘इंडिया’ में नहीं है लेकिन समाजवादी पार्टी (सपा) है. यह देखना दिलचस्प होगा कि ‘आप’ तथा सपा के साथ कांग्रेस का तालमेल कैसा रहता है या इन चुनावों में ‘इंडिया’ गठबंधन बिखर जाएगा. कुल मिलाकर अगले माह होने वाले ये चुनाव भाजपा और कांग्रेस के लिए सबसे ज्यादा प्रतिष्ठा के हैं क्योंकि इनके नतीजे 2024 के ‘चुनावी जंग’ की जमीन तैयार करेंगे.   

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