अश्वनी कुमार का ब्लॉग: कोविड-19 से सबको मिलकर लड़ना होगा युद्ध

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: May 3, 2020 09:54 AM2020-05-03T09:54:49+5:302020-05-03T09:54:49+5:30

भावी पीढ़ी ही तय करेगी कि हमने अपने समय की चुनौतियों का किस तरह से सामना किया. अगर हम इस तबाही को याद रखते हैं, उम्मीद है कि इतिहास के फुटनोट के रूप में, तो भविष्य के लिए हमारे कार्यो के एक मार्गदर्शक के रूप में, अतीत के सबक में विश्वास होना चाहिए. जिस विशाल चुनौती का सामना हम कर रहे हैं, उसके लिए एकजुटता और दृढ़ संकल्प अनिवार्य है.

Ashwani Kumar blog: Everyone will have to fight war together against COVID-19 | अश्वनी कुमार का ब्लॉग: कोविड-19 से सबको मिलकर लड़ना होगा युद्ध

तस्वीर का इस्तेमाल केवल प्रतीकात्मक तौर पर किया गया है। (फाइल फोटो)

लॉकडाउन के विस्तार ने राष्ट्रीय चिंताओं को बढ़ाया है और आगे बढ़ने के रास्तों पर राजनीतिक बहस छेड़ दी है. महामारी निश्चित रूप से राजनीति को खत्म नहीं करती है और न ही शासन की गुणवत्ता पर लोकतांत्रिक तरीके से बातचीत को. लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हमारे समय की चुनौती को देखते हुए राजनीति के स्तर को ऊंचा उठाने के बारे में विचार करने की जरूरत है. ऐसे समय में जबकि हम एक नई दुनिया में प्रवेश करते हुए इतिहास के मोड़ पर खड़े हैं, कोई यह न कह सके कि हमारी राजनीति ‘आडम्बरपूर्ण अक्षमताओं’ या ‘लालची अवसरवादियों’ द्वारा संचालित है.

सवाल यह है कि ऐसे में हमारी राजनीति का परिदृश्य क्या होना चाहिए और हमें इसकी सीमाओं को कैसे परिभाषित करना चाहिए. राजनीति एक प्रकार की ‘निरूपक भाषा’ है. हम मनमानी प्राथमिकताओं और त्रुटिपूर्ण निर्णयों के साथ शुरुआत कर सकते हैं. हमें स्वीकार करना चाहिए कि सार्वजनिक स्वास्थ्य, चिकित्सा अनुसंधान के लिए निराशाजनक वित्तीय आवंटन और अपर्याप्त स्वास्थ्य सेवा वितरण प्रणाली, मानवीय स्थिति के प्रति संवेदनशीलता की विफलता का संकेत देते हैं. हमें स्वीकार करना चाहिए कि हमारी वर्तमान अवस्था के कई कारणों में से एक कारण अपने इस प्राचीन ज्ञान को भूलना भी है कि सभी का जीवन आपस में जुड़ा हुआ है और एक बेहतर जीवन अति के नकार व मध्य मार्ग के स्वीकार में निहित है.

वर्तमान परिस्थिति पर्यावरण के ध्वंस, सामंजस्यपूर्ण जीवन जीने के सिद्धांतों के उल्लंघन व व्यक्तियों के आंतरिक व सामाजिक जीवन के बीच संतुलन से संबंधित है. यह संकट हमें परिवार और दोस्तों के बीच भावनात्मक बंधन की हमारे द्वारा की गई उपेक्षा की याद दिलाता है. हमें अपने आप से सवाल करना चाहिए कि कैसे उस समाज में भ्रातृभाव कायम रह सकता है, जहां चिकित्सा प्रदान करने वाले चिकित्सकों के साथ मारपीट की जाती है. अग्रिम पंक्ति में अपनी डय़ूटी निभाने वाले पुलिस अधिकारी के साथ चरम बर्बरता का प्रदर्शन करते हुए उसका हाथ तक काट दिया जाता है. सामाजिक विचलन के इन मुद्दों को संबोधित करना ही हमारी राजनीति का अंतिम उद्देश्य होना चाहिए.

हमें इन वास्तविकताओं की ओर ध्यान आकर्षित करने की आवश्यकता है, न कि निंदा, आलोचना करने या दोष खोजने की. ऐसा करते हुए हम अपनी राजनीति को दोबारा व्यवस्थित करते हुए आधुनिकता की चुनौतियों का सामना करने के लिए कल्याणकारी राज्य की ओर बढ़ते हैं. हमने पढ़ा है कि जनता पर अत्याचार करने वाले शासक वर्ग को जैसा कि इतिहासकार कुमारस्वामी कहते हैं, आखिर में मिटना ही पड़ता है.

हम अपनी प्रणाली की अपर्याप्तता, सामाजिक संबंधों में आती कमी, गलत प्राथमिकताओं के विनाशकारी परिणाम और भूख व निराशा को मिटाने के गलत उपायों पर इसलिए सवाल उठाते हैं ताकि इन्हें संबोधित करके हम एक न्यायसंगत और समावेशी सामाजिक व्यवस्था के करीब पहुंच सकें. कम से कम हम राजनीति को आदर्श को साकार करने वाला बनाने की कोशिश तो करें.

हमें ऐसे नेतृत्व की आवश्यकता है जो लोगों को उनके भविष्य के बारे में उम्मीद बंधाए, हमारे समय की इच्छाओं को व्यक्त करे और उन्हें पूरा करने की क्षमता दिखाए. हमारे दौर के लोगों की इच्छा एक ऐसे समाज की स्थापना करना है जिसका ‘दिल बड़ा हो..जो दुर्भाग्य को रोके, जो लोगों के दुखड़े को सुने और उनकी मदद करे; बचाव और राहत प्रदान करे; संकट के समय मदद करे..’ एक ऐसा समाज ‘जिसके भीतर दयालुता की सहज भावना हो.., जिसमें आर्थिक दक्षता और सामाजिक न्याय असंगत न हों, जो जीवन और आजीविका की अभिन्नता को मान्यता देने से इंकार न करे, जिसमें कानून समान रूप से लागू किया जाए.  

ऐसा समाज जो अपने बुजुर्गो की रक्षा करे और उन्हें सम्मान दे. जिसमें वेंटिलेटर की जरूरत के लिए जीवन और मृत्यु के बीच चुनाव न करना पड़े. जो सभी को मानवीय गरिमा प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हो और जो उन लोगों को असीम सम्मान दे जो हमारे भविष्य के लिए अपने वर्तमान का बलिदान करते हैं.

भावी पीढ़ी ही तय करेगी कि हमने अपने समय की चुनौतियों का किस तरह से सामना किया. अगर हम इस तबाही को याद रखते हैं, उम्मीद है कि इतिहास के फुटनोट के रूप में, तो भविष्य के लिए हमारे कार्यो के एक मार्गदर्शक के रूप में, अतीत के सबक में विश्वास होना चाहिए. जिस विशाल चुनौती का सामना हम कर रहे हैं, उसके लिए एकजुटता और दृढ़ संकल्प अनिवार्य है. प्रधानमंत्री को पता होगा कि  लोकतांत्रिक शक्ति स्थायी रूप से केवल लोगों के स्नेह और कृतज्ञता की नींव पर टिकी होती है.

वर्तमान के लिए, हम संतोष के साथ कह सकते हैं कि देश के मुख्य कार्यकारी ने राजनीतिक नेताओं और राज्य सरकारों से अच्छा तालमेल साधकर पूरे देश में ‘लोगों के जीवन और आजीविका’ को सुनिश्चित करने के लिए एकजुट किया है. और उन्हें उचित प्रतिसाद भी मिला है. वास्तव में, हम यह भूल नहीं सकते कि इतिहास किसी अकेले पुरुष या महिला का बोझ नहीं है और मानवता के अस्तित्व के लिए इस युद्ध को सभी नागरिकों द्वारा लड़ा जाएगा.

Web Title: Ashwani Kumar blog: Everyone will have to fight war together against COVID-19

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