विवेक शुक्ला का ब्लॉग: कहीं पाक उच्चायोग से तो नहीं जुड़े हैं जम्मू में आतंक के तार?
By विवेक शुक्ला | Updated: July 12, 2024 11:27 IST2024-07-12T11:26:08+5:302024-07-12T11:27:16+5:30
अभी यह कहना मुमकिन नहीं है कि जम्मू-कश्मीर के कठुआ, डोडा और कुछ अन्य भागों में आतंकवाद की बढ़ती घटनाओं के तार राजधानी दिल्ली में स्थित पाकिस्तान उच्चायोग से कितने करीब से जुड़े हुए हैं.

(प्रतीकात्मक तस्वीर)
अभी यह कहना मुमकिन नहीं है कि जम्मू-कश्मीर के कठुआ, डोडा और कुछ अन्य भागों में आतंकवाद की बढ़ती घटनाओं के तार राजधानी दिल्ली में स्थित पाकिस्तान उच्चायोग से कितने करीब से जुड़े हुए हैं. पर ये सच है कि पाकिस्तानी उच्चायोग में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के कई जासूस राजनयिक बनकर काम करते रहे हैं.
ये भारत में जासूसी के काम में लगे रहते हैं और फिर रावलपिंडी में बैठे अपने आकाओं को जरूरी सूचनाएं देते हैं. इसके पीछे मकसद भारत में आतंकवादी घटनाओं को अंजाम देना होता है. भारत ने पाकिस्तानी उच्चायोग में काम करने वाले तीन जासूसों को 1 जून, 2020 देश से निकाल दिया था. उनके खिलाफ जासूसी करने के पुख्ता सुबूत मिले थे. अब तो पाकिस्तानी उच्चायोग में काफी कम स्टाफ है, पर जो हैं, वे भी बाज नहीं आते.
नई दिल्ली के डिप्लोमेटिक एरिया चाणक्यपुरी में शेष दूतावासों और उच्चायोगों के विपरीत, पाकिस्तान उच्चायोग के गेट आमतौर पर बंद ही रहते हैं. मुख्य गेट के पास एक छोटी सी खिड़की है, जहां दो लोग बैठे रहते हैं, जो आगंतुकों के सवालों का जवाब देते हैं. उच्चायोग में आने वाले ज्यादातर वृद्ध मुसलमान होते हैं. वे आम तौर पर सीमा पार जाने के लिए वीजा लेने के लिए आते हैं.
अक्सर वे विभाजित परिवारों के सदस्य होते हैं जो रेडक्लिफ रेखा के दोनों ओर रहते हैं. ये देश के विभाजन के कारण अलग हो गए थे. भारत-पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण संबंधों और पाकिस्तानी वीजा प्राप्त करने में आने वाली कठिनाइयों के बावजूद, कुछ लोग रोज इधर लाइन में खड़े रहते हैं, इस उम्मीद में कि उन्हें वीजा मिल जाएगा.
पाकिस्तान उच्चायोग में काम करने वाले शीर्ष राजनयिक आमतौर पर दक्षिण दिल्ली की वसंत विहार, सर्वप्रिया विहार, और आनंद निकेतन जैसी पॉश कॉलोनियों में रहते हैं. दक्षिण दिल्ली में एक प्रमुख रियल एस्टेट परामर्शदाता कंपनी के एक प्रवक्ता बताते हैं कि पाकिस्तानी राजनयिकों के लिए किराए के घर ढूंढ़ना एक चुनौती है, क्योंकि मकान मालिक उन्हें अपने घर किराए पर देने से हिचकिचाते हैं.
केंद्र में मोदी सरकार के 2014 में आने से पहले पाकिस्तानी उच्चायोग में जम्मू-कश्मीर के अलगाववादी नेता लगातार दस्तक देते थे. हुर्रियत कांफ्रेंस के नेता भी पाकिस्तानी उच्चायुक्त अब्दुल बासित से मुलाकात करने के लिए आते थे. यह 2016 तक की बातें हैं. उसके बाद सरकार ने अलगाववादियों पर शिकंजा कसना चालू कर दिया था.
जाहिर है कि उसके बाद पाकिस्तानी उच्चायोग में हुर्रियत नेताओं के लिए होने वाली दावतें बंद हो गईं. बासित आजकल एक यूट्यूब चैनल चलाते हैं और वे उसमें भारत के खिलाफ जहर उगलते हैं. हालांकि यह तो कोई भी नहीं मानेगा कि पाकिस्तान उच्चायोग से आजकल भी भारत के खिलाफ योजनाएं न बनाई जाती हों.