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बारूद से तौबा अब जंगल में मंगल की तैयारी, मार्च 2026 तक भारत से नक्सलियों का सफाया?

By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Updated: October 18, 2025 05:12 IST

नरेंद्र मोदी जब सत्ता में आए तो उन्होंने बड़ी बारीकी से इस बात का अध्ययन प्रारंभ कराया कि नक्सलवाद पर कैसे काबू पाया जा सकता है?

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ठळक मुद्देविशेषज्ञों की टीम ने इस मसले पर चुपचाप काम शुरू किया. सबसे पहली चुनौती थी खुफिया तंत्र को मजबूत करना.अब शहरी नक्सलियों का खात्मा किया जाएगा. यह एक महत्वपूर्ण मसला है.

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जब घोषणा की थी कि मार्च 2026 तक भारत से नक्सलियों का सफाया हो जाएगा तो कम ही लोगों को इस बात का भरोसा था क्योंकि नक्सली संगठन बेहद मजबूत स्थिति में थे. 2013 में जब तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा था कि नक्सलवाद देश के लिए बड़ी समस्या है तब देशभर के 126 जिलों में नक्सलियों की तूती बोलती थी. नक्सली इलाकों में जाने से बड़े-बड़े सूरमा भी घबराते थे. नरेंद्र मोदी जब सत्ता में आए तो उन्होंने बड़ी बारीकी से इस बात का अध्ययन प्रारंभ कराया कि नक्सलवाद पर कैसे काबू पाया जा सकता है?

विशेषज्ञों की टीम ने इस मसले पर चुपचाप काम शुरू किया. सबसे पहली चुनौती थी खुफिया तंत्र को मजबूत करना ताकि यह पता लग सके कि नक्सलियों को पैसा कहां से मिलता है और अत्याधुनिक हथियार कहां से मिलता है? धीरे-धीरे इसमें सफलता मिलनी शुरू हुई. मोदी सरकार जब दूसरी बार सत्ता में लौटी तो नक्सलवाद के खिलाफ निर्णायक लड़ाई की तैयारियां पूरी हो चुकी थीं.

नक्सलियों की सप्लाई लाइन पर प्रहार किया गया और सुरक्षा बलों को खुली छूट दी गई. सारी परिस्थितियों का आकलन करने के बाद समय सीमा तय की गई कि 31 मार्च 2026 तक देश का कोई भी ऐसा इलाका न बचे जहां नक्सलियों का प्रभाव बचे. इसी का नतीजा है कि अब केवल तीन इलाकों में ही नक्सलियों का थोड़ा-बहुत प्रभाव है.

ये हैं छत्तीसगढ़ के बीजापुर, सुकमा और नारायणपुर. पिछले एक सप्ताह में पांच सौ से ज्यादा नक्सली आत्मसमर्पण कर चुके हैं. खास कर नक्सली भूपति के सरेंडर ने नक्सलियों की कमर पूरी तरह से तोड़ दी है. शुक्रवार को जिन 208 नक्सलियों ने छत्तीसगढ़ में आत्मसमर्पण किया है उसमें 110 महिलाएं हैं. इसके साथ ही अबुझमाड़ का इलाका भी नक्सल मुक्त हो गया है.

इन नक्सलियों ने 153 हथियार भी जमा किए हैं जिनमें 19 एके-47, 23 इंसास राइफल्स शामिल हैं. सवाल यह है कि इतने अत्याधुनिक हथियार नक्सलियों के पास आए कहां से? इस बात की जांच करना बहुत जरूरी है ताकि नक्सलवाद के समर्थकों का भी सफाया किया जा सके. जिन नक्सलियों ने समर्पण किया है,

उन्हें सरकारी नियमों के तहत पुनर्वास की सुविधा मिलनी चाहिए लेकिन यह भी तो पता लगना चाहिए कि हथियारों के सौदागर कौन हैं? भूपति को सरेंडर कराते समय महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा है कि अब शहरी नक्सलियों का खात्मा किया जाएगा. यह एक महत्वपूर्ण मसला है.

शहरों में ऐसे तत्व विभिन्न स्वरूपों में मौजूद हैं जो मानवाधिकार के नाम पर नक्सलियों का समर्थन करते रहे हैं. इस संबंध में अमित शाह ने बहुत सही कहा है कि जिन्होंने हथियार उठाए हैं और जो हत्याओं के लिए जिम्मेदार हैं, उनका कैसा मानवाधिकार? उम्मीद की जा रही है कि अगले कुछ दिनों में बड़े पैमाने पर और भी आत्मसमर्पण होंगे.

नक्सलवाद का खात्मा तय है मगर अब सरकार की बड़ी जिम्मेदारी है. विकास की धारा दूर जंगलों में भी पहुंचनी चाहिए और ईमानदारी से पहुंचनी चाहिए. विकास पर जो भी पैसा खर्च हो, वह शत-प्रतिशत हो. एक पैसा भी भ्रष्टाचार की भेंट नहीं चढ़ना चाहिए.

टॅग्स :छत्तीसगढ़नक्सलअमित शाहनरेंद्र मोदीआंध्र प्रदेश
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