गोल्डन ट्राएंगलः नशे के सौदागरों के अब उखड़ने लगे हैं पैर?, पंजाब, गोवा, मिजोरम, मेघालय और मणिपुर में एक्शन

By विवेक शुक्ला | Updated: March 29, 2025 05:13 IST2025-03-29T05:13:20+5:302025-03-29T05:13:20+5:30

Golden Triangle: नरेंद्र मोदी के 2014 में देश का प्रधानमंत्री बनने और नशे के सौदागरों के खिलाफ अमित शाह की जीरो टॉलरेंस नीति के कारण अब यही ड्रग्स माफिया विद्रोह को हवा देने में जुट गए.

amit shah live Golden Triangle Drug dealers now losing ground Action in Punjab, Goa, Mizoram, Meghalaya and Manipur blog Vivek Shukla | गोल्डन ट्राएंगलः नशे के सौदागरों के अब उखड़ने लगे हैं पैर?, पंजाब, गोवा, मिजोरम, मेघालय और मणिपुर में एक्शन

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Highlightsकेंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस गोल्डन ट्राएंगल को डेथ ट्राएंगल में बदलने का ऐलान किया,ड्रग्स माफियाओं का खेल बिगड़ने लगा और कई एजेंटों को जान से हाथ धोना पड़ा. नॉर्थ ईस्ट के राज्यों से इन ड्रग्स कारोबारियों को राजनीतिक संरक्षण मिलता रहा था.

Golden Triangle: आमतौर पर सिर्फ पंजाब के लिए कहा जाता है कि नशे की लत के कारण पूरा राज्य बर्बादी की तरफ बढ़ रहा है लेकिन इस सूची में गोवा, मिजोरम, मेघालय और मणिपुर भी पीछे नहीं हैं. कहने वाले कहते हैं कि मणिपुर समस्या की सबसे गहरी जड़ नशे के कारोबार से जुड़ी है. पिछले कई दशकों से ड्रग्स माफिया और उनके नेटवर्क के लोगों ने मणिपुर और म्यांमार के बीच नशे के कारोबार का एक गोल्डन ट्राएंगल बना रखा था, लेकिन जब से केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस गोल्डन ट्राएंगल को डेथ ट्राएंगल में बदलने का ऐलान किया,

ड्रग्स माफियाओं का खेल बिगड़ने लगा और कई एजेंटों को जान से हाथ धोना पड़ा. चूंकि पहले नॉर्थ ईस्ट के राज्यों से इन ड्रग्स कारोबारियों को राजनीतिक संरक्षण मिलता रहा था, इसलिए ये ड्रग्स माफिया चुपचाप काम करते रहे, नरेंद्र मोदी के 2014 में देश का प्रधानमंत्री बनने और नशे के सौदागरों के खिलाफ अमित शाह की जीरो टॉलरेंस नीति के कारण अब यही ड्रग्स माफिया विद्रोह को हवा देने में जुट गए.

दरअसल अपराध की जो संगठित गिरोहबाजी है, उसमें सबसे बड़ी श्रृंखला नशे के कारोबारियों की है. किसी के पास यह निश्चित आंकड़ा नहीं है, कि ड्रग्स सिंडिकेट का कारोबार कितना बड़ा है, लेकिन यह अंदाजा जरूर है, कि यह गैरकानूनी धंधा पूरे संसार में सबसे बड़ा है. हर देश इससे पीड़ित है और इसे खत्म करने के लिए जूझ भी रहा है.

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के अनुसार केवल 2024 में भारत में 16,914 करोड़ के ड्रग्स पकड़े गए. कुछ देश ऐसे भी हैं जो इसको बढ़ावा भी दे रहे हैं. भारत कुछ चंद देशों में शामिल है, जो ड्रग्स सिंडिकेट के निशाने पर हमेशा रहा है. एक तो दुनिया की सबसे बड़ी आबादी और दूसरे भारत की सीमाएं चीन, भूटान, नेपाल, पाकिस्तान, बांग्लादेश और म्यांमार के साथ लगी होने से ड्रग्स डीलरों के लिए सबसे बड़ी और अपेक्षाकृत आसान मंडी भारत बन गया था.  नशे का कारोबार चूंकि एक संगठित अपराध है, इसलिए इसका मुकाबला भी संयुक्त प्रयास से ही किया जा सकता है.

केंद्र और राज्यों का समन्वय और इसमें लगने की इच्छाशक्ति बहुत जरूरी है. यह अच्छी बात है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह इस मामले में बहुत गंभीर हैं. अभी हाल ही में अमित शाह ने संसद के जरिए देश को बताया है कि उनके मंत्रालय ने राज्यों के साथ मिलकर एक चार स्तरीय नार्को कोऑर्डिनेशन सेंटर मैकेनिज्म की स्थापना की है,

ताकि संगठित अपराधियों के खिलाफ काम करने वाली केंद्र एवं राज्यों की एजेंसियों के बीच बेहतर ताल मेल हो सके. सभी एजेंसियां एक ही दिशा में काम करें और रियल टाइम में सूचनाओं का आदान-प्रदान हो सके, इसके लिए एक खास वेब पोर्टल एनसीओआरडी लॉन्च किया गया है. 

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