Ahmedabad Plane Crash Live Updates: गुजरात के अहमदाबाद में दुर्घटनाग्रस्त हुए एयर इंडिया के विमान ने सुरक्षित हवाई यात्रा की कोशिशों को एक बार फिर करारा झटका दिया है. बीते 54 सालों में लगभग 11788 विमान हादसे का शिकार हो चुके हैं, जिसमें 85 हजार से अधिक यात्रियों और क्रू मेंबर्स की जान गई है, लेकिन दुर्भाग्य से अभी भी हम हवाई यात्रा को पूरी तरह से सुरक्षित नहीं बना पाए हैं. पिछले वर्ष 2024 में ही आठ बड़े विमान हादसों में 400 से अधिक लोगों की जान चली गई, जिसमें ईरानी राष्ट्रपति की मौत भी शामिल है. विमान दुर्घटनाओं के लिए कई तरह के कारण जिम्मेदार हो सकते हैं, जिनमें पायलट की गलती, तकनीकी विफलता, मौसम, पक्षियों का टकराना, हवाई यातायात नियंत्रण की गलती या अन्य मानवीय त्रुटियां शामिल हैं.
अहमदाबाद की दुर्घटना के बारे में कहा जा रहा है कि विमान लंदन के लिए टेकऑफ करने के तुरंत बाद ही क्रैश हो गया. दुनिया में अब तक हो चुकी विमान दुर्घटनाओं के विश्लेषण से पता चलता है कि लगभग 35 प्रतिशत विमान हादसे टेकऑफ के दौरान ही होते हैं. इसमें भी 65 प्रतिशत दुर्घटनाएं मानवीय भूल के कारण होती हैं क्योंकि टेकऑफ के दौरान पायलट की भूमिका बहुत अहम होती है.
अहमदाबाद के विमान हादसे का असली कारण हालांकि जांच के बाद ही पता चलेगा, लेकिन ऐसा नहीं है कि इसके पायलट अनुभवहीन या कम अनुभवी थे. विमान के कैप्टन सुमीत सब्बरवाल थे, जिनके साथ फर्स्ट ऑफिसर क्लाइव कुंदर थे. कैप्टन सुमीत सब्बरवाल एक एलटीसी थे, जिनके पास 8200 घंटे का उड़ान का अनुभव था, जबकि को-पायलट के पास 1100 घंटे का उड़ान का अनुभव था.
एलटीसी का मतलब होता है लाइन ट्रेनिंग कैप्टन. ये अनुभवी पायलट होते हैं, जो दूसरे पायलटों को ट्रेनिंग देते हैं. इसी तरह जो बोइंग 787 ड्रीमलाइनर विमान हादसे का शिकार हुआ, एयर इंडिया के अलावा अन्य एयरलाइंस भी इसका बड़े पैमाने पर इस्तेमाल करती हैं, क्योंकि यह विमान लंबी दूरी की यात्रा के लिए उपयोगी है और ईंधन की बचत करता है.
इसलिए ऐसा तो प्रतीत नहीं होता कि पायलट या विमान में कोई कमी थी. वैसे हादसे का वास्तविक कारण तो जांच के बाद पता चल ही जाएगा, लेकिन सच्चाई यह भी है कि काम के भारी दबाव के कारण पायलटों को कई बार दो उड़ानों के बीच पर्याप्त आराम भी नहीं मिल पाता और बोइंग के विमानों के बारे में भी आंकड़े बताते हैं कि इसके पहले भी वे बड़ी संख्या में क्रैश हो चुके हैं.
त्रासदी यह है कि अतीत के विमान हादसों के कारणों का पता होने के बावजूद हम भविष्य की विमान दुर्घटनाओं को रोक नहीं पा रहे हैं. तकनीकी विकास आज इतने चरम पर पहुंच चुका है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मनुष्यों द्वारा किए जाने वाले लगभग हर काम करने में सक्षम हो गया है. फिर उसका अधिकतम इस्तेमाल विमान यात्रा को सुरक्षित बनाने के लिए क्यों नहीं किया जा सकता?
इसके अलावा पायलटों को नियमित प्रशिक्षण और आधुनिक तकनीकी ज्ञान दिया जाना चाहिए तथा उड़ान से पहले सभी प्रणालियों के परीक्षण और रखरखाव सहित अन्य सुरक्षा मानकों का सख्ती से पालन किया जाना चाहिए ताकि बेशकीमती जानों को जाने से बचाया जा सके और लोग बिना किसी भय के हवाई यात्रा कर सकें.