युवाओं को नशे की लत से बचाने की गंभीर चुनौती
By योगेश कुमार गोयल | Updated: June 26, 2025 08:07 IST2025-06-26T08:06:08+5:302025-06-26T08:07:12+5:30
ड्रग्स अब न केवल झुग्गियों में बल्कि पॉश इलाकों, नामी संस्थानों और तकनीकी कैंपसों तक अपनी जड़ें जमा चुका है.

युवाओं को नशे की लत से बचाने की गंभीर चुनौती
हर साल 26 जून को ‘अंतर्राष्ट्रीय नशा एवं मादक पदार्थ निषेध दिवस’ मनाया जाता है, जो उस त्रासदी की याद दिलाता है, जो आज हमारे समाज, विशेषकर युवाओं की नसों में जहर बनकर दौड़ रही है. यह दिन केवल एक औपचारिकता नहीं बल्कि गहन आत्ममंथन का अवसर है कि हम आखिर कहां चूक गए और क्यों आज देश की सबसे बड़ी पूंजी उसकी युवा पीढ़ी नशे के गहरे दलदल में फंस रही है.
1987 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा पारित प्रस्ताव के अनुसार पहली बार 1989 में यह दिवस मनाया गया था. तब से आज तक कई सरकारें बदलीं, योजनाएं बनीं, प्रचार-प्रसार हुआ लेकिन हालात बद से बदतर ही हुए हैं. देश के कोने-कोने में नशे का कारोबार इस कदर फैल चुका है कि अब यह किसी एक राज्य, एक वर्ग या विशेष आयु समूह तक सीमित नहीं रहा.
पंजाब, जो कभी हरित क्रांति का अग्रदूत था, आज ‘उड़ता पंजाब’ के नाम से बदनाम है. एक समय देश को अनाज देने वाला यह राज्य आज नशीली दवाओं, अफीम, स्मैक, हेरोइन, चरस, गांजा और शराब का गढ़ बन गया है. एक ही सिरिंज से नशा लेने से एचआईवी और हेपेटाइटिस जैसी बीमारियां फैल रही हैं. नशे की लत के साथ आत्महत्या की प्रवृत्ति भी तेजी से बढ़ रही है.
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की रिपोर्ट बताती है कि वर्ष 2022 में मादक पदार्थों के सेवन से सर्वाधिक मौतें पंजाब में ही दर्ज की गईं. प्रदेश के गांवों में ऐसे घरों की संख्या बहुत अधिक हो गई है, जहां कम से कम एक व्यक्ति नशे की गिरफ्त में है. चिंता का विषय यह है कि नशे का यह जाल अब पंजाब तक सीमित नहीं रहा.
हरियाणा, हिमाचल, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, राजस्थान, महाराष्ट्र, झारखंड, बिहार, छत्तीसगढ़ और यहां तक कि केरल जैसे राज्यों में भी नशे के मामलों में लगातार वृद्धि देखी जा रही है.
गुजरात के मुंद्रा पोर्ट से करीब तीन साल पहले पकड़ी गई 3000 किलो हेरोइन की खेप ने देशभर में खलबली मचा दी थी. उस घटना ने स्पष्ट किया था कि नशे के सौदागर अब तकनीक और डिजिटल साधनों का इस्तेमाल कर अपने नेटवर्क को हाईटेक बना चुके हैं, जिनकी पकड़ से जांच एजेंसियां तक चूक रही हैं. ड्रग्स अब न केवल झुग्गियों में बल्कि पॉश इलाकों, नामी संस्थानों और तकनीकी कैंपसों तक अपनी जड़ें जमा चुका है.
कुछ रिपोर्टों के अनुसार पंजाब में हर तीसरा छात्र और हर दसवीं छात्रा नशा कर रही है. यही हाल अब हिमाचल का है, जिसे ‘उड़ता हिमाचल’ कहा जाने लगा है. हरियाणा में भी नशे का सेवन करने वाले युवाओं की संख्या पिछले एक दशक में चार गुना बढ़ चुकी है.
देश में इस समय नशे का कारोबार सालाना करीब 15 लाख करोड़ रुपए अनुमानित है. सामाजिक न्याय विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, देश की 14.5 फीसदी से अधिक आबादी किसी न किसी रूप में नशे की गिरफ्त में है, जिनमें से 3 फीसदी से अधिक आबादी खतरनाक नशे की आदी हो चुकी है.
सरकार, समाज और व्यक्ति, तीनों स्तरों पर प्रयास एक साथ होंगे, तभी कोई सार्थक परिणाम सामने आ सकेगा. यदि हम आज सचेत नहीं हुए तो आने वाला कल हमारी आंखों के सामने हमारे बच्चों को लील लेगा और हम केवल आंकड़ों में तबाही का हिसाब लगाते रह जाएंगे.