विश्व स्वास्थ्य संगठन और यूनीसेफ ने दुनिया भर में बच्चों के टीकाकरण की एक रिपोर्ट जारी की है जिसमें यह दुखद सूचना है कि पिछले साल दुनिया भर में एक करोड़ चालीस लाख बच्चों को एक भी टीका नहीं लगा. इनमें से आधे से अधिक बच्चे 9 देशों से हैं और दुर्भाग्य से इन देशों की सूची में भारत का नाम भी है.
सूची में शामिल दूसरे देशों नाइजीरिया, सूडान, कांगो, इथियोपिया, इंडोनेशिया, यमन, अफगानिस्तान और अंगोला की समस्याएं समझ में आती हैं क्योंकि इनमें से ज्यादातर देश किसी न किसी संघर्ष में उलझे हुए हैं. वहां की सरकारें सक्षम नहीं हैं या विद्रोहियों से लड़ने में लगी हैं.
कुछ इलाकों में बच्चों तक टीकाकरण की सुविधा नहीं पहुंच पा रही है. यूनाइटेड नेशन से जुड़ी विभिन्न एजेंसियां कहती रही हैं कि दुनिया के जिस इलाके में भी हिंसक टकराव है या विभिन्न कारणों से जहां मानवीय संकट पैदा होता है तो इसका सीधा असर बच्चों के टीकाकरण पर होता है. फिलिस्तीन और अफगानिस्तान सहित ऐसे देशों की संख्या करीब 26 है.
यह भी तथ्य सामने आया है कि 47 देशों में बच्चों के टीकाकरण की रफ्तार थमती जा रही है. अफगानिस्तान में तो हाल के वर्षों में टीकाकरण मुश्किल काम हो गया है. यहां तक कि पाकिस्तान के ग्रामीण और सरहदी इलाकों में भी संपूर्ण टीकाकरण नहीं हो पा रहा है क्योंकि जाहिल समाज टीकाकरण के खिलाफ लोगों को भड़काता रहता है. लेकिन भारत में तो ऐसी कोई स्थिति नहीं है और दूसरी बात है कि भारत में टीकाकरण का नेटवर्क शायद दुनिया में सबसे बड़ा और बेहतर है.
इसी नेटवर्क की बदौलत कोविड-19 के समय भारत ने कमाल दिखाया था. हालांकि आंकड़े एक ओर चिंतित करते हैं तो दूसरी ओर सुकून भी देते हैं कि भारत तेजी से टीकाकरण का विस्तार भी कर रहा है. विश्व स्वास्थ्य संगठन और यूनिसेफ की रिपोर्ट बता रही है कि भारत में जीरो-डोज वाले बच्चों की संख्या में लगभग 43 प्रतिशत की कमी आई है. ऐसे बच्चे जिन्हें एक भी डोज नहीं लगा, की संख्या 2023 में 16 लाख थी जो 2024 में घट कर 9 लाख तक रह गई है.
पिछले साल देश के 50 जिलों में खसरे का तथा 226 जिलों में रूबेला का कोई भी मामला नहीं पाया गया. टीबी की रोकथाम में भी उल्लेखनीय प्रगति हुई है. 2015 से 2023 के बीच टीबी के मामलों में 17 प्रतिशत से ज्यादा की गिरावट अच्छा संकेत है. हमें उम्मीद करनी चाहिए कि अगले साल की रिपोर्ट में हमारा नाम ऐसे देशों की सूची में नहीं होगा जो टीकाकरण में पिछड़े हुए हैं.
बच्चे ही किसी भी देश का भविष्य होते हैं और अपने भविष्य को सुरक्षित रखना वर्तमान पीढ़ी का दायित्व होता है. इसके लिए सरकार को सक्रियता दिखानी होगी और अगर लोगों में अपने बच्चों के टीकाकरण के प्रति कोई हिचकिचाहट है तो उसे दूर करना होगा तथा इसे आम लोगों के लिए सुलभ बनाना होगा.