Jan Aushadhi Diwas 2025: जेनेरिक दवाओं को गांव और कस्बों तक पहुंचाने की जरूरत?
By शशांक द्विवेदी | Updated: March 7, 2025 05:39 IST2025-03-07T05:39:09+5:302025-03-07T05:39:09+5:30
Jan Aushadhi Diwas 2025: 2047 प्रकार की जेनेरिक दवाइयां और 300 से अधिक सर्जिकल उत्पाद उपलब्ध कराए जाते हैं. जेनेरिक दवाइयां या ब्रांडेड दवाइयां इनमें कोई फर्क नहीं होता यह दोनों एक जैसे ही काम करती हैं.

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Jan Aushadhi Diwas 2025: देशवासियों में जेनेरिक दवाओं के प्रति जागरुकता और विश्वास पैदा करने के उद्देश्य से 7 मार्च को देश भर में जन औषधि दिवस मनाया जाता है. यह दिन प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना की उपलब्धियों को मनाने का भी दिन है. केंद्र सरकार द्वारा नवंबर 2016 को घोषित प्रधानमंत्री जनऔषधि परियोजना में सरकार द्वारा उच्च गुणवत्ता वाली जेनेरिक दवाइयां बाजार मूल्य 50 से 80 प्रतिशत तक कम कीमत पर उपलब्ध कराई जाती है. इसके लिए सरकार द्वारा देश भर में अब तक 15000 से ज्यादा ‘जन औषधि केंद्र ’ खोले गए हैं, जहां 2047 प्रकार की जेनेरिक दवाइयां और 300 से अधिक सर्जिकल उत्पाद उपलब्ध कराए जाते हैं. जेनेरिक दवाइयां या ब्रांडेड दवाइयां इनमें कोई फर्क नहीं होता यह दोनों एक जैसे ही काम करती हैं.
फर्क सिर्फ इतना है कि ब्रांडेड दवाइयां महंगी होती हैं क्योंकि उन पर दवा कंपनियों द्वारा मार्केटिंग करने का खर्च शामिल होता है. यह सबसे बड़ा मिथक है कि जेनेरिक दवाएं कम प्रभावी होती हैं. वास्तव में, जेनेरिक दवाओं की प्रभावशीलता, सुरक्षा और गुणवत्ता की जांच सरकारी संस्थाएं (भारत में सीडीएससीओ, अमेरिका में यूएस एफडीए) करती हैं.
इनकी निर्माण प्रक्रिया और प्रभाव ब्रांडेड दवाओं के समान ही होते हैं. सरकार ने पिछले महीने लोकसभा में एक सवाल के जवाब में बताया कि इलाज और दवा पर होने वाले खर्च की वजह से देश में हर साल 3 करोड़ 8 लाख लोग गरीबी रेखा से नीचे चले जाते हैं. आयुष्मान भारत योजना का दायरा देश की अधिसंख्य आबादी तक बढ़ाने की जरूरत है साथ ही जेनेरिक दवाओं को गांव, कस्बे तक जागरूकता के साथ पहुंचाने की जरूरत है. प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना के अंतर्गत सरकार का उद्देश्य ब्रांडेड महंगे लोगों के स्थान पर गुणवत्ता वाले जेनेरिक दवाइयां प्रदान करना है.
सरकार के प्रयास के बावजूद अभी भी देश में बड़े पैमाने पर जेनेरिक दवाओं का प्रयोग नहीं हो पा रहा है. अब समय आ गया है जब सामुदायिक स्तर पर जेनेरिक दवाओं को प्रोत्साहित किया जाए. प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना में लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए और जेनेरिक दवाओं के उपयोग के बारे में जागरूकता के लिए सरकार विभिन्न माध्यमों से प्रयास कर रही है लेकिन इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर समाज के स्तर पर प्रयास जरूरी है. देश में बढ़ती मंहगाई के दौर में लोगों को सस्ती और गुणवत्तापरक दवाइयों के जरिए स्वास्थ्य सुरक्षा उपलब्ध कराना बहुत जरूरी है.
क्योंकि देश में आमजन की जेब पर चिकित्सा खर्चे और महंगी दवाओं का बोझ बड़े पैमाने पर पड़ता है. महंगी चिकित्सा आमजन की आर्थिक स्थिति को पूरी तरह से बिगाड़ देती है अब समय आ गया है जब सभी को जेनेरिक दवाओं के माध्यम से सस्ती दवाएं मुहैया कराई जाए.