डॉ. एस.एस. अग्रवाल
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) विश्व स्वास्थ्य को बेहतर बनाने और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का समाधान करने के लिए काम करता है. डब्ल्यूएचओ द्वारा किए जाने वाले कुछ प्रमुख कार्य इस प्रकार हैं- वैश्विक स्वास्थ्य नीतियों का विकास : डब्ल्यूएचओ वैश्विक स्वास्थ्य नीतियों का विकास करता है और देशों को उनकी स्वास्थ्य प्रणालियों में सुधार करने में मदद करता है.
रोगों की निगरानी और प्रतिक्रिया : डब्ल्यूएचओ रोगों की निगरानी करता है और देशों को रोगों की प्रतिक्रिया में मदद करता है.
स्वास्थ्य शिक्षा और प्रशिक्षण : डब्ल्यूएचओ स्वास्थ्य शिक्षा और प्रशिक्षण प्रदान करता है ताकि स्वास्थ्य कार्यकर्ता अपने काम में अधिक प्रभावी हो सकें.
स्वास्थ्य अनुसंधान : डब्ल्यूएचओ स्वास्थ्य अनुसंधान को बढ़ावा देता है और देशों को अपने स्वास्थ्य अनुसंधान को मजबूत करने में मदद करता है.
वैश्विक स्वास्थ्य सुरक्षा : डब्ल्यूएचओ वैश्विक स्वास्थ्य सुरक्षा को बढ़ावा देता है और देशों को अपनी स्वास्थ्य सुरक्षा प्रणालियों में सुधार करने में मदद करता है.
स्वास्थ्य आपातकालीन प्रतिक्रिया : डब्ल्यूएचओ स्वास्थ्य आपातकालीन प्रतिक्रिया में मदद करता है और देशों को उनकी आपातकालीन प्रतिक्रिया प्रणालियों में सुधार करने में मदद करता है.
वैश्विक स्वास्थ्य निगरानी : डब्ल्यूएचओ वैश्विक स्वास्थ्य निगरानी करता है और देशों को उनकी स्वास्थ्य निगरानी प्रणालियों को बेहतर बनाने में सहायता करता है.
भारत ने इन सभी बिंदुओं पर काम करके अपनी स्वयं की एक मजबूत प्रणाली विकसित कर ली है और अब डिजिटल हेल्थ के प्रयोग से हम जल्दी ही विश्व में शीर्ष पर होंगे.
इसमें कोई संशय नहीं कि डब्ल्यूएचओ की भूमिका हमेशा स्पष्ट रही है, लेकिन अनेक आरोप भी लगते रहते हैं. यह आरोप समय-समय पर विभिन्न संगठनों और व्यक्तियों द्वारा लगाए गए हैं.
कुछ मुख्य आरोप हैं:
दवा कंपनियों के साथ संबंध : डब्ल्यूएचओ पर आरोप है कि यह दवा कंपनियों के साथ घनिष्ठ संबंध रखता है और उनके हितों को बढ़ावा देता है.
दवा कंपनियों के प्रभाव में नीतियों का निर्माण : डब्ल्यूएचओ पर आरोप है कि यह दवा कंपनियों के प्रभाव में नीतियों का निर्माण करता है, जो उनके हितों को बढ़ावा देती हैं.
दवा कंपनियों को अनुचित लाभ : डब्ल्यूएचओ पर आरोप है कि यह दवा कंपनियों को अनुचित लाभ प्रदान करता है, जैसे कि उनके उत्पादों को बढ़ावा देना और उनके हितों को बढ़ावा देना.
स्वास्थ्य नीतियों में व्यावसायिक हितों को बढ़ावा : डब्ल्यूएचओ पर आरोप है कि यह स्वास्थ्य नीतियों में व्यावसायिक हितों को बढ़ावा देता है, जो सार्वजनिक स्वास्थ्य के हितों के विरुद्ध हो सकता है.
इन प्रश्नों को उठाने के कई कारण हैं, जिनमें वाणिज्यिक प्रतिस्पर्धा और विभिन्न देशों के बीच राजनयिक संबंध शामिल हैं. भारत ने वैश्विक मंचों पर अपनी बढ़ती ताकत और प्रभाव को साबित किया है और आज वह स्वास्थ्य, कूटनीति और विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है तथा दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन रहा है, इसलिए वह और भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है.
डब्ल्यूएचओ जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों के लिए भारत के पास एक बड़ा अवसर है कि वह इन संस्थाओं में अपनी प्रभावशाली और नेतृत्वकारी भूमिका निभाए. भारत ने कोविड-19 महामारी के दौरान अपनी प्रतिबद्धता और नेतृत्व क्षमता का शानदार प्रदर्शन किया है. अब भारत को अपने वैश्विक स्वास्थ्य प्रयासों और कूटनीतिक गठबंधनों के साथ नई ऊंचाइयां छूनी चाहिए. डब्ल्यूएचओ, जो वैश्विक स्वास्थ्य नीति का निर्धारण करती है, में भारत की भूमिका अब पहले से कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण हो गई है. भारत फार्मा में भी प्रोडक्शन पर विश्व में शीर्ष स्थान पर आता है. यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज में भी भारत अपने मानकों पर खरा उतरा है.
भारत ने कोविड-19 के दौरान न केवल अपने देश में महामारी को नियंत्रित किया, बल्कि उसने अन्य देशों को भी टीके और दवाइयां प्रदान कीं. भारत दुनिया का सबसे बड़ा टीका उत्पादक है और इसके पास स्वास्थ्य क्षेत्र में उत्कृष्ट क्षमता है, जो भारतीय फार्मा उद्योग की ताकत को प्रदर्शित करती है. भारत ने पोलियो, मलेरिया और टीबी जैसी वैश्विक स्वास्थ्य समस्याओं का सामना किया है और इनसे निपटने के लिए आवश्यक विशेषज्ञता भी प्राप्त की है.
डब्ल्यूएचओ में भारत एक मजबूत आवाज बन सकता है, जो न केवल विकासशील देशों की मदद करेगा, बल्कि वैश्विक स्वास्थ्य नीतियों में बदलाव के लिए भी प्रभावी कदम उठा सकता है. भारत की महत्वपूर्ण भूमिका से जो विवादास्पद आरोप लगते हैं उन पर भी अंकुश लगेगा क्योंकि भारत पर मल्टीनेशनल दवाओं की कंपनियों का प्रभाव नहीं है जो पश्चिमी देशों में है.
भारत का फार्मा उद्योग, जिसमें सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया और बायोकॉन जैसी कंपनियों शामिल हैं, डब्ल्यूएचओ के लिए महत्वपूर्ण साझेदार है. इन कंपनियों ने कोविड-19 महामारी के दौरान लाखों खुराक टीकों का उत्पादन किया, जिससे भारत ने अपनी वैश्विक स्वास्थ्य नेतृत्व की क्षमता को साबित किया. भारत के लिए संयुक्त राष्ट्र महत्वपूर्ण मंच है, जहां वह न केवल अपने हितों को प्रोत्साहित कर सकता है, बल्कि वैश्विक मुद्दों पर सामूहिक नेतृत्व भी कर सकता है.
भारत को यह समझना होगा कि यह अवसर केवल उसकी प्रतिष्ठा बढ़ाने का नहीं है, बल्कि वैश्विक नीति निर्धारण में डब्ल्यूएचओ जैसे संगठन में सक्रिय भूमिका निभाने का है. भारत की सबसे बड़ी ताकत उसकी विविधता और विशाल जनसंख्या है. जब भारत अंतरराष्ट्रीय मंचों पर बोलता है, तो वह न केवल अपनी आवाज प्रस्तुत करता है, बल्कि विकासशील देशों की समस्याओं को भी उजागर करता है.
भारत को अपनी कूटनीतिक रणनीतियों में इन देशों को शामिल करते हुए उनके साथ बेहतर रिश्ते बनाने चाहिए. इस गठबंधन से भारत को वैश्विक निर्णयों में अधिक प्रभावी भागीदारी मिल सकती है. भारत के पास स्वास्थ्य, कूटनीति और वैश्विक सुरक्षा के क्षेत्रों में मजबूत स्थिति है.
अगर भारत डब्ल्यूएचओ और संयुक्त राष्ट्र में अपनी नेतृत्व क्षमता का सही दिशा में उपयोग करता है, तो वह न केवल वैश्विक नीति निर्धारण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है, बल्कि वह पूरी दुनिया के लिए एक मॉडल बन सकता है.