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ब्लॉग: दुनिया भर में बच्चों में तेजी से बढ़ रहे हैं कैंसर के मामले, भारत भी प्रभावित, आखिर क्या है वजह?

By योगेश कुमार गोयल | Published: March 20, 2023 10:31 AM

इलाज के बाद जहां विकसित देशों में करीब 80 फीसदी बच्चे कैंसर से ठीक हो जा रहे हैं, वहीं भारत में यह दर मात्र 30 फीसदी है. इसके पीछे लोगों तक बड़े अस्पताल तथा आधुनिक चिकित्सा सेवाओं की कम पहुंच अहम वजह है.

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कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी अब केवल बड़ों में ही नहीं, बच्चों में भी देखने को मिल रही है. चिंता की बात है कि कैंसर अब बच्चों में तेजी से फैल रहा है. यह चौंकाने वाली जानकारी भी सामने आई है कि विश्वभर में प्रतिवर्ष करीब तीन लाख बच्चे इस जानलेवा बीमारी की चपेट में आते हैं, जिनमें से 75 हजार से भी ज्यादा बच्चे भारत में होते हैं. एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार दुनियाभर में प्रतिवर्ष करीब पौने दो लाख बच्चों की मौत कैंसर के कारण ही हो जाती है और यह आंकड़ा हर साल बढ़ रहा है. 

आमतौर पर शरीर में होने वाले जेनेटिक म्यूटेशन के कारण आम कोशिकाएं बढ़ती हैं और खत्म हो जाती हैं लेकिन जब ये कोशिकाएं बहुत ज्यादा बढ़कर अनियंत्रित हो जाएं तो ये कैंसर का रूप ले लेती हैं. बच्चों तथा किशोरों के जीन में होने वाले ये बदलाव कभी भी हो सकते हैं.

उच्च आय वाले अधिकांश देशों में 80 फीसदी उत्तरजीविता के साथ कैंसर से प्रभावित बच्चों के जीवित रहने की दर भिन्न होती है लेकिन निम्न और मध्यम आय वाले देशों में यह 20 फीसदी से भी कम होती है. कैंसर विशेषज्ञों का कहना है कि बच्चों और वयस्कों में होने वाले कैंसर में कई अंतर होते हैं और देश में कैंसर के कुल मरीजों में बच्चों की संख्या तीन से पांच फीसदी के बीच ही होती है लेकिन यह संख्या भी कम चिंता पैदा करने वाली नहीं है क्योंकि बच्चों में प्रायः होने वाले एक्यूट लिम्फोब्लास्टिक ल्यूकेमिया, ब्रेन ट्यूमर, होज्किन्ज लिम्फोमा, सार्कोमा, एंब्रायोनल ट्यूमर इत्यादि बड़ी आसानी से हंसते-खेलते बच्चों को मौत के मुंह में पहुंचा देते हैं. 

सबसे बड़ी चिंता की बात यह है कि जहां इलाज के बाद विकसित देशों में करीब 80 फीसदी बच्चे ठीक हो जाते हैं, वहीं भारत में यह दर मात्र 30 फीसदी है. दरअसल भारत में विशेषकर ग्रामीण अंचलों में ऐसे बच्चों के अस्पताल तथा आधुनिक चिकित्सा सेवाओं तक पहुंचने की दर महज 15 प्रतिशत ही है. एक रिपोर्ट के मुताबिक देशभर में कैंसर का इलाज करने वाले करीब दो सौ सेंटर हैं किंतु इनमें केवल 30 फीसदी कैंसर पीड़ित बच्चों का ही इलाज हो पाता है. 

बच्चों में कैंसर के मामले बढ़ने का एक बड़ा कारण प्रदूषित वातावरण के अलावा उनके रोजमर्रा के खाने-पीने की आदतों में बड़े स्तर पर जंक फूड का शामिल होना भी माना गया है, जिससे उनके शरीर की पोषण स्थिति कमजोर होने से रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है और वे आसानी से गंभीर बीमारियों की चपेट में आने लगते हैं.

बच्चों में कैंसर से बचाव के लिए लोगों में कैंसर के लक्षणों को लेकर अपेक्षित जानकारी होना अत्यावश्यक है ताकि इसके लक्षणों की पहचान कर समय पर इलाज किया जा सके और उन्हें कैंसर से निजात दिलाई जा सके.

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