Vasai Murder Video: मुंबई में लड़की को सरेराह पीट-पीटकर मारा, भीड़ का तमाशबीन बनकर संवेदनहीन होना बेहद चिंताजनक
By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Updated: June 19, 2024 10:10 IST2024-06-19T10:08:28+5:302024-06-19T10:10:26+5:30
Vasai Murder Video: पिछले साल दिसंबर में बिहार के नवादा जिले में बीस साल के एक युवक की अपराधियों ने बीच सड़क पर चाकू से गोदकर हत्या कर दी थी और कोई भी उसे बचाने नहीं आया.

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Vasai Murder Video: मुंबई में एक लड़की को सरेराह पीट-पीटकर मारने वाले एक युवक के सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो ने एक बार फिर तमाशबीनों की संवेदनहीनता का भयावह उदाहरण पेश किया है. 27 सेकंड के इस वीडियो में युवक तब तक युवती पर वार करता रहता है, जब तक कि वह मर नहीं जाती. हालांकि कुछ एक लोग बचाने की कोशिश करते हैं, लेकिन नाकाम होने पर वे भी पीछे हट जाते हैं. ज्यादातर लोग तमाशबीन बने ही नजर आते हैं और उनमें से कुछ वीडियो बनाने में मशगूल दिखाई देते हैं.
विडंबना यह है कि इस तरह की यह कोई अकेली घटना नहीं है, बल्कि आए दिन इस तरह की कोई न कोई वारदात सुनाई दे जाती है. पिछले साल दिसंबर में बिहार के नवादा जिले में बीस साल के एक युवक की अपराधियों ने बीच सड़क पर चाकू से गोदकर हत्या कर दी थी और कोई भी उसे बचाने नहीं आया, न किसी ने पुलिस को फोन किया, जबकि घटनास्थल पर तमाशबीनों की भारी भीड़ थी.
पिछले साल ही मणिपुर में कुछ महिलाओं को वस्त्रहीन कर सैकड़ों लोगों की भीड़ रोड पर घुमाती रही और कोई भी उन्हें बचाने के लिए आगे नहीं आया. दिल्ली में साक्षी नामक लड़की पर एक युवक चाकू से वार करता रहा और कोई भी उसे बचाने के लिए आगे नहीं आया. इस तरह घटनाएं अंतहीन हैं और देश के प्राय: सभी हिस्सों से सामने आती हैं.
हत्या का कारण कुछ भी हो, लेकिन अपने सामने इस तरह की जघन्यता होते हुए देख कर भी लोग संवेदनशून्य बने रहते हैं, कल्पना में भी यह बात बेहद डरावनी लगती है. कम से कम वे पुलिस को तो फोन कर ही सकते हैं. लेकिन बात सिर्फ इतनी ही नहीं है कि बचाने के चक्कर में खुद पर हमला होने के डर से लोग तमाशबीन बने रहते हैं.
सड़क दुर्घटनाओं में घायल होने वालों की भी मदद करने के बजाय लोग चुपचाप आगे बढ़ जाते हैं या बहुत हुआ तो वीडियो बना लेते हैं. जबकि सरकार ने अब कानूनों को भी इतना लचीला बना दिया है कि सड़क दुर्घटना में घायलों की मदद करने वालों को कानूनी पचड़ों में पड़ने का डर नहीं हो सकता.
साल 2012 के जिस निर्भया कांड को लेकर पूरे देश में आक्रोश नजर आया था, उसकी पीड़िता गैंगरेप के बाद रात भर सड़क किनारे पड़ी रही थी और किसी ने भी उसकी मदद नहीं की थी. ऐसा क्यों होता है कि सांप गुजर जाने के बाद लकीर पीटने की तरह हम बाद में बड़ी-बड़ी बातें करते हैं.
लेकिन ऐन मौके पर कन्नी काट कर निकल जाते हैं! जिन बुनियादी गुणों के अभाव में मनुष्यता की कल्पना भी नहीं की जा सकती, समाज का आज उसी दिशा की ओर बढ़ना बेहद चिंताजनक है और इस पर जरा ठहर कर हम सभी को विचार करना होगा.