पाकिस्तान के प्रतिभाशाली क्रिकेटर उमर अकमल पर तीन साल का प्रतिबंध लगाया गया है. एक सट्टेबाज द्वारा उनसे किए गए संपर्क की बात उन्होंने छिपाई थी. नतीजतन पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने उन पर कड़ी कार्रवाई की है. वर्ष 2015 के विश्व कप के दौरान का यह मामला है लेकिन इसकी जांच में खुलासा अब हुआ है. उमर अकलम 29-30 बरस के हो चुके हैं जिससे उनके भविष्य के क्रिकेट जीवन पर फुल स्टॉप लग सकता है.
हालांकि ऐसा नहीं कि 38-40 वर्ष आयु पूर्ण कर चुके खिलाड़ी अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट नहीं खेल रहे हैं लेकिन तीन वर्ष का समय काफी लंबा होता है. अकमल पर लगाया गया बैन किसी एक प्रारूप पर नहीं लगाया गया है बल्कि तीनों प्रारूप की अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट से वह वंचित रहेंगे. अकमल जैसे प्रतिभावान क्रिकेटर पर इस तरह सजा दु:ख की बात है लेकिन सट्टेबाजी का अपराध इतना संगीन है कि इसमें दोषी पाए जाने पर बचना नामुमकीन है. पिछले छह-आठ माह में सट्टेबाजी मामले में दोषी पाए जाने वाले पाकिस्तान के तीसरे क्रिकेट खिलाड़ी हैं.
इससे पूर्व शार्जिल खान और नासिर जमशेद भी दोषी पाए जा चुके हैं. आश्चर्य की बात है कि सट्टेबाजी से जुड़े ज्यादातर मामले पाकिस्तान से आ रहे हैं और इसमें काफी हद तक सचाई भी है. हालांकि मेरी नजर में यह समस्या केवल पाकिस्तान तक ही सीमित नही है. अन्य देशों में इसका वायरस फैल चुका है. बांग्लादेश का दिग्गज क्रिकेटर शाकिब अल हसन भी इस समय क्रिकेट से दूर है. उन्होंने पिछले विश्व कप के दौरान अपने खेल से गजब का जलवा बिखेरा था. लेकिन उन्होंने भी सट्टेबाजों से संपर्क की जानकारी बांग्लादेश क्रिकेट बोर्ड से छिपाई थी. नतीजतन उन पर दो वर्ष का बैन लग गया.
मामले की गंभरता को देखते हुए प्रत्येक खिलाड़ी को सतर्क रहना होना. खासतौर से युवा खिलाडि़यों को उचित मार्गदर्शन करने की जरूरत है. क्रिकेट खिलाडि़यों को अपने खेल के अलावा इस मामले में सजग रहने की जरूरत है. उन्हें यह बताने की जरूरत है कि किस तरह सट्टेबाजी जैसे मामलों में फंसने से करियर चौपट हो सकता है.