World Economy: अब तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनने का लक्ष्य?, 140 करोड़ की जनसंख्या और नरेंद्र मोदी का दूरदर्शी नेतृत्व!
By डॉ जयंती लाल भण्डारी | Updated: May 28, 2025 05:22 IST2025-05-28T05:22:49+5:302025-05-28T05:22:49+5:30
140 करोड़ की जनसंख्या, देश के मध्यम वर्ग की बढ़ती क्रयशक्ति, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का दूरदर्शी नेतृत्व और मजबूत आर्थिक नीतियां शामिल हैं.

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हाल ही में 24 मई को नीति आयोग ने बताया कि जापान को पीछे छोड़ते हुए भारत दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है और आगामी ढाई से तीन सालों में दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में रेखांकित होते हुए भी दिखाई दे सकेगा. इस परिप्रेक्ष्य में उल्लेखनीय है कि 26 मई को दुनिया के ख्यातिप्राप्त अरबपति निवेशक मार्क मोबियस ने कहा कि जापान को पछाड़ते हुए चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनना भारत की एक अविश्वसनीय उपलब्धि है. वास्तव में भारत के विश्व की शीर्ष अर्थव्यवस्थाओं में आगे बढ़ने के पीछे जो प्रमुख कारण हैं, उनमें 140 करोड़ की जनसंख्या, देश के मध्यम वर्ग की बढ़ती क्रयशक्ति, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का दूरदर्शी नेतृत्व और मजबूत आर्थिक नीतियां शामिल हैं.
दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की डगर पर भारत को कई चुनौतियों से मुकाबला करते हुए आगे बढ़ना होगा. वैश्विक व्यापार तनाव, टैरिफ में हुई बढ़ोत्तरी, वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में व्यवधान तथा बढ़ते हुए व्यापार घाटे जैसी चुनौतियों से निपटना होगा. खासतौर से भारत के द्वारा व्यापार घाटे पर नियंत्रण के लिए रणनीतिपूर्वक आगे बढ़ना जरूरी है.
चीन से वर्ष-प्रतिवर्ष तेजी से बढ़ते हुए आयातों को नियंत्रित करना होगा. हाल ही प्रकाशित नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक चीन के साथ द्विपक्षीय कारोबार में भारत लगातार घाटे की स्थिति में बना हुआ है. निश्चित रूप से इस समय सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्यम (एमएसएमई) देश को तीसरी बड़ी आर्थिकी बनाने में अहम भूमिका निभाएंगे.
जहां एमएसएमई देश से निर्यात बढ़ाने में नई भूमिका निभा सकते हैं, वहीं आयात नियंत्रण में भी मददगार हो सकते हैं. दुनिया की चौथी बड़ी आर्थिकी बने भारत को आगामी ढाई से तीन साल में तीसरी बड़ी आर्थिकी बनाने के मद्देनजर सरकार के द्वारा अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के लिए कुछ और बातों पर ध्यान दिया जाना होगा.
अब टैरिफ संरक्षण की बजाय वैश्विक प्रतिस्पर्धा, अनुसंधान व विकास (आरएंडडी) पर भी ध्यान दिया जाना होगा. कृषि तथा श्रम सहित अन्य सुधारों के क्रियान्वयन पर ध्यान देना होगा. भारत में आत्मनिर्भरता की नीति और वोकल फॉर लोकल मंत्र को बढ़ाना होगा.