रिश्तों में शेयर बाजार चला रहे हैं डोनाल्ड ट्रम्प?, दुनिया का बड़ा उपभोक्ता बाजार भारत
By विकास मिश्रा | Updated: May 20, 2025 05:25 IST2025-05-20T05:25:44+5:302025-05-20T05:25:44+5:30
प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस फोटोबुक पर ट्रम्प ने हस्ताक्षर किए और लिखा ‘मिस्टर प्राइम मिनिस्टर, यू आर ग्रेट’. साथ ही वो पन्ना पलटकर भी दिखाया जिसमें 2020 में ट्रम्प की भारत यात्रा के वक्त आयोजित ‘नमस्ते ट्रम्प रैली’ की तस्वीरें थीं.

file photo
ट्रम्प के बारे में यह कहावत बिल्कुल सही है कि उन्हें आप जितना फैलने का मौका देंगे, वो उतना ही फैलेंगे. भारत को ट्रम्प की हद तय करनी होगी! इसी साल फरवरी में जब व्हाइट हाउस में नरेंद्र मोदी से डोनाल्ड ट्रम्प मिले तो उन्होंने तोहफे में खुद के हस्ताक्षर वाली एक फोटोबुक भेंट की थी. जिसका शीर्षक था ‘आवर जर्नी टुगेदर’. प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस फोटोबुक पर ट्रम्प ने हस्ताक्षर किए और लिखा ‘मिस्टर प्राइम मिनिस्टर, यू आर ग्रेट’. साथ ही वो पन्ना पलटकर भी दिखाया जिसमें 2020 में ट्रम्प की भारत यात्रा के वक्त आयोजित ‘नमस्ते ट्रम्प रैली’ की तस्वीरें थीं.
इसमें सितंबर 2019 में प्रधानमंत्री मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान ‘हाउडी मोदी’ समारोह की तस्वीरें भी शामिल हैं. ट्रम्प ने मोदी की बहुत तारीफ की और कहा कि हमने एक मजबूत रिश्ता कायम किया और अपने 4 साल के कार्यकाल के दौरान उस रिश्ते को बरकरार भी रखा. बात सही भी है. डोनाल्ड ट्रम्प के पहले कार्यकाल में अमेरिका और भारत ने रिश्तों की नई डगर पर कदम रखे.
राजनीतिक विशेषज्ञों ने माना कि चीन से लड़ने के लिए अमेरिका को भारत की जरूरत है और यही बात भारत के लिए भी लागू होती है. दोनों की दोस्ती को स्वाभाविक माना गया लेकिन आज स्थिति क्या है? ट्रम्प भले ही भारत और नरेंद्र मोदी को अच्छा दोस्त बताते हों लेकिन उनका व्यवहार तो बिल्कुल उलट कहानी कह रहा है.
मैं इस बात को बिल्कुल याद करना नहीं चाहता कि भारतीय लोगों को किस तरह हथकड़ी-बेड़ी में जकड़ कर अपराधी की तरह भारत भेजा गया लेकिन पाकिस्तान और भारत के बीच मौजूदा तनाव के दौरान अमेरिका की भूमिका को भूले नहीं भूल पा रहा हूं. क्या ट्रम्प रिश्तों में शेयर बाजार चला रहे हैं? जी हां, लगता तो यही है कि जहां
मुनाफा दिखा, उस रिश्ते के शेयर को उछालकर बाजार गर्म कर दिया!
ट्रम्प के लिए किसी ने बहुत खूब कहा है कि आप उन्हें जितना फैलने का मौका देंगे, वो उतना ही फैलेंगे. यह बात अब शत-प्रतिशत सही साबित हो रही है. भारत ने उन्हें फैलने का मौका दिया, तो वे फैल गए. खुद के बनाए रिश्तों को ताक पर रखकर भारत के साथ अपना खेल खेलने लगे? मैं उनके फैलने की बात इसलिए कह रहा हूं क्योंकि टैरिफ वार पर चीन ने लगाम कसी तो उसके साथ सीधे हो गए!
हमें भी जैसे को तैसा जैसा व्यवहार करना आना चाहिए. मैं नहीं कहता कि हमे दक्षिण कोरिया के तानाशाह किम उन जोंग जैसा हो जाना चाहिए लेकिन उस तानाशाह से यह तो सीखना ही चाहिए कि अमेरिका की आंख में आंख डालकर कैसे बात की जाती है! हमें यूक्रेन के जेलेंस्की से सीखना चाहिए कि व्हाइट हाउस में बैठकर अपने देश के लिए बहस कैसे की जाती है.
यह गंभीर सवाल अभी भी अनुत्तरित है कि हमारी बहादुर सेना ने जब पाकिस्तानी सेना को धूल चटा दी और उसके डीजीएमओ की गुहार पर हमने सीजफायर किया तो इसकी घोषणा पहले ट्रम्प ने कैसे कर दी? उनके पास जानकारी कैसे पहुंची और घोषणा का अधिकार किसने दिया ट्रम्प को? हम एक सार्वभौमिक देश हैं और किसी दूसरे देश को इस तरह की घोषणा का अधिकार हमें स्वीकार नहीं है.
हमें ट्रम्प का यह रवैया भी स्वीकार नहीं कि हमारे प्रधानमंत्री राष्ट्र को संबोधित करने वाले हों और उसके ठीक पहले ट्रम्प कहें कि हमने दोनों देशों (भारत और पाकिस्तान) को कह दिया कि जंग बंद करो, नहीं तो व्यापार नहीं करेंगे! यह कौन सी दादागिरी है? आप रूस और ईरान से व्यापार नहीं कर रहे हो तो वो देश भूखों मर रहे हैं क्या?
ट्रम्प को यह साफ शब्दों में समझा देने की जरूरत है कि कश्मीर हमारा अभिन्न अंग है और किसी दिन पाक अधिकृत कश्मीर भी हमारे पास होगा. हमें इस मामले में किसी भी तीसरे देश की मध्यस्थता स्वीकार्य नहीं है. आज जंग में मध्यस्थता की बात वो कर रहे हैं, कल कश्मीर की बात करेंगे!
भारत इसे कभी स्वीकार नहीं करेगा, सवाल तो यह भी है कि पहलगाम हमले के बाद तो आतंकवाद का तो ट्रम्प ने जिक्र किया लेकिन सीजफायर के संदर्भ में पाकिस्तान का उल्लेख करते वक्त ट्रम्प ने पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद का जिक्र क्यों नहीं किया? दरअसल ट्रम्प दोहरी चाल चल रहे हैं. वे नहीं चाहते कि पाकिस्तान पूरी तरह से चीन के साथ चला जाए.
उन्हें यह तो पता ही है कि भारत कहीं और नही जाएगा, इसलिए पाकिस्तान को पुचकार कर उसका शेयर बढ़ा देने की चाल चल रहे हैं. अब आप देखिए कि भारत के संदर्भ में एप्पल के सीईओ टिम कुक को ट्रम्प कैसी धमकी दे रहे हैं! एप्पल ने हाल ही में आईफोन का अधिकांश प्रोडक्शन चीन से भारत में शिफ्ट करने की बात कही थी.
2017 में एप्पल ने भारत में आईफोन का उत्पादन शुरू किया था. इसके बाद से उत्पादन लगातार बढ़ा है और यहां से आईफोन का निर्यात भी तेजी से बढ़ा है. अब ट्रम्प कह रहे हैं कि वे नहीं चाहते कि आईफोन का निर्माण भारत में हो. इसका सीधा सा मतलब है कि ट्रम्प भारत के पर कतरने की कोशिश कर रहे हैं.
उन्हें शायद भय है कि चीन के बाद भारत में ही यह क्षमता है कि वह भविष्य में चुनौती बन सकता है. हमें ट्रम्प की चाल से सचेत रहने की जरूरत है. ये शख्स खुद को हमारा दोस्त कहता है लेकिन खंजर से वार करता है. हम भारतीयों को अपनी ताकत समझने की जरूरत है. हम दुनिया में बहुत बड़ा उपभोक्ता बाजार हैं, ये हमारी ताकत है. कोई भी फन्ने खां हमारी उपेक्षा नहीं कर सकता !