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Semiconductor Chip: सेमीकंडक्टर चिप देंगी भारत में रोजगार?, 2026 तक 10 लाख नौकरियां पैदा होने की उम्मीद...

By ऋषभ मिश्रा | Updated: December 2, 2024 05:25 IST

Semiconductor Chip: अमेरिका ने ताजा निर्देश में ताइवान की कंपनी ‘टीएसएमसी’ को निर्देश दिया है कि वह चीन के साथ चिप का बिजनेस रोक दे.

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ठळक मुद्देचिप्स की मदद से ही कई आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट्स को ‘पावर’ मिलती है.अमेरिका और चीन के बीच तो ‘चिप वॉर’ तक शुरू हो गया है. अमेरिका कोशिश कर रहा है कि चीन को एआई चिप्स किसी भी कीमत पर न मिले.

Semiconductor Chip: 20वीं सदी में जैसे दुनिया में तेल को लेकर होड़ थी, 21वीं सदी में अब लड़ाई सेमीकंडक्टर व्यापार की है. सेमीकंडक्टर चिप्स का उपयोग हर जगह है. हमारी कारों में, हमारे मोबाइल फोन में, कम्प्यूटर, लैपटॉप में और तो और हथियारों तक में भी इनका उपयोग होता है. यानी कि  भविष्य सेमीकंडक्टर चिप्स के बिना संभव ही नहीं है. सेमीकंडक्टर चिप को इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्ट्स का दिल माना जाता है. यह सिलिकॉन से बनाई जाती है, जिसे ‘इलेक्ट्रिसिटी’ का अच्छा ‘कंडक्टर’ कहते हैं. इन चिप्स की मदद से ही कई आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट्स को ‘पावर’ मिलती है.

अमेरिका और चीन के बीच तो ‘चिप वॉर’ तक शुरू हो गया है. अमेरिका ने ताजा निर्देश में ताइवान की कंपनी ‘टीएसएमसी’ को निर्देश दिया है कि वह चीन के साथ चिप का बिजनेस रोक दे. 2022 में भी अमेरिका ने ‘एनवीडिया’ और ‘एएमडी’ कंपनी को चीन को एआई चिप्स बेचने से मना किया था. अमेरिका कोशिश कर रहा है कि चीन को एआई चिप्स किसी भी कीमत पर न मिले.

भारत भी ‘सेमीकंडक्टर हब’ बनने की योजना पर तेजी से काम कर रहा है. भारत ने 15 अरब डॉलर (लगभग 1.26 लाख करोड़ रुपए) की लागत से तीन सेमीकंडक्टर प्लांट लगाने की योजना बनाई है. सेमीकंडक्टर के बाजार में हमारी दिलचस्पी इसलिए भी है क्योंकि ‘एनएलबी सर्विसेज’ द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में भारत में 2026 तक लगभग 10 लाख नौकरियां पैदा होने की उम्मीद है. रिपोर्ट के अनुसार भारत में एक कुशल वर्कफोर्स की आवश्यकता पैदा होगी. जिसमें इंजीनियर, ऑपरेटर और तकनीशियन शामिल होंगे.

यही वजह है कि भारत इस क्षेत्र में अपनी भागीदारी को बढ़ा रहा है. ‘इंडिया ब्रांड इक्विटी फाउंडेशन’ के अनुसार भारत का इलेक्ट्रॉनिक्स बाजार 2025 तक 400 अरब डॉलर (33 लाख करोड़ रुपए) तक पहुंचने की उम्मीद है. इसके पीछे मुख्य कारण भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स की बढ़ती घरेलू मांग है. स्मार्टफोन, लैपटॉप और टीवी उपकरण (डिवाइसेज) के बाजार में बढ़ोत्तरी की वजह से भारत सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री में आत्मनिर्भर होना चाहता है. वर्तमान में भारत अपनी सेमीकंडक्टर जरूरतों का 80 प्रतिशत से अधिक आयात करता है, जिसकी वार्षिक लागत लगभग 24 अरब डॉलर (2 लाख करोड़ रुपए) है.

गौरतलब है कि भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने हाल ही में ‘सेमीकाॅन इंडिया कॉन्फ्रेंस’ में कहा था कि भारत का सेमीकंडक्टर मिशन सिर्फ घरेलू मांग को पूरा करने के लिए नहीं है, बल्कि वह ग्लोबल डिमांड में अपना योगदान देना चाहता है. भारत ने 10 अरब डॉलर की प्रोत्साहन राशि का बजट भी इस सेक्टर के लिए रखा है. इससे भारत ग्लोबल सेमीकंडक्टर दिग्गजों को आकर्षित करना चाहता है.  

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