Interim Budget 2024: देश की नरेंद्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के आखिरी बजट(अंतरिम) में 2047 तक विकसित भारत बनाने पर जोर है और बुनियादी ढांचे के निवेश को प्राथमिकता देते हुए एक स्थायी राजकोषीय दृष्टिकोण पर जोर दिया गया है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में देश के प्रमुख स्तंभों- किसानों, महिलाओं, युवाओं और गरीबों को सशक्त बनाने पर ध्यान दिया है. बजट का उद्देश्य 25 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकालना है. सरकार की जो प्रमुख योजनाएं चल रही हैं, उनमें कोई बदलाव नहीं किया गया है. महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए तीन करोड़ लखपति दीदी बनाने का लक्ष्य रखा गया है. बेशक, महिलाओं की अर्थव्यवस्था में भागीदारी को बढ़ाना बेहद जरूरी है.
अंतरिम बजट में हर महीने 300 यूनिट की मुफ्त बिजली उन 1 करोड़ परिवारों को मिल सकेगी जो सरकार द्वारा हाल में की गई घोषणा के तहत घर पर सोलर ऊर्जा की व्यवस्था करेंगे. गौरतलब है कि अयोध्या में राम मंदिर में राम लला की प्राण प्रतिष्ठा पूजा के बाद प्रधानमंत्री सूर्योदय योजना का ऐलान किया गया था.
अंतरिम बजट में सरकार ने जिन योजनाओं की घोषणा की है, उनमें रेलवे आर्थिक कॉरिडोर अहम है, साथ ही यात्री ट्रेनों के परिचालन पर ध्यान केंद्रित करने की बात कही गई है. वेतनभोगी करदाता आयकर स्लैब में बदलाव और अधिक कटौती की उम्मीद कर रहे थे, लेकिन कोई बदलाव फिलहाल नहीं किया गया है.
इससे उनमें स्वाभाविक निराशा है. वित्त मंत्रालय ने मोबाइल हैंडसेट के लिए आवश्यक विभिन्न पार्ट्स पर लगने वाले आयात शुल्क में 5 प्रतिशत की कटौती की घोषणा एक दिन पहले ही कर दी है. यह देश के इलेक्ट्रॉनिक बिजनेस से जुड़े लोगों के लिए एक अच्छी खबर है. इससे आने वाले समय में स्मार्ट मोबाइल हैंडसेट के दामों में कमी देखने को मिल सकती है.
देश में इसी साल लोकसभा चुनाव होने वाले हैं, लेकिन अंतरिम बजट में सरकार ने किसी भी तरह की लोकलुभावन घोषणाएं करने से परहेज किया है. चुनावी साल होने के बावजूद सरकार का बजट चुनावी नहीं है. शायद सरकार को इसकी आवश्यकता महसूस नहीं हो रही है, वह आत्मविश्वास से भरी दिख रही है.
वैसे आम इंसान को बजट से उम्मीद रहती है कि महंगाई कम हो और उसके हाथ में कुछ पैसा बचे, पर इस बजट में ऐसा कुछ भी होता नहीं दिख रहा है. अंतरिम बजट पेश करने के साथ ही मोरारजी देसाई के बाद निर्मला सीतारमण देश की दूसरी वित्त मंत्री बन चुकी हैं, जिन्हें छह बार बजट पेश करने का मौका मिला है.