Indian Economic: जिस तरह सरकार सरल कर व्यवस्था के लिए एक के बाद एक लगातार प्रभावी कदम आगे बढ़ा रही है, उससे अर्थव्यवस्था की रफ्तार तेज होगी. हाल ही में 21 दिसंबर को जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) काउंसिल की जैसलमेर में हुई 55वीं बैठक में जीएसटी के सरलीकरण व राहत संबंधी कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं. खासतौर से छोटे कर्जदारों को राहत देते हुए यह कहा गया है कि ऋण शर्तों का पालन नहीं करने पर ऋणदाताओं द्वारा जो जुर्माना लगाया जाएगा, उस पर कोई जीएसटी नहीं लगेगा. खास किस्म के फोर्टिफाइड चावल पर जीएसटी कम किया गया है.
कैंसर की जीन थेरेपी को कर मुक्त किया गया है. यहां यह भी उल्लेखनीय है कि इसी वर्ष अगस्त 2024 में आयकर अधिनियम सरल बनाने के लिए मुख्य आयकर आयुक्त वी. के. गुप्ता की अध्यक्षता में गठित समिति कर रियायतों को तर्कसंगत बनाने, कर गणना के तरीके का स्तर बढ़ाकर इसे विश्वस्तरीय बनाने और अपील करने की व्यवस्था में जटिलता कम करने संबंधी सुधारों पर तेजी से काम कर रही है.
यह समिति कर विशेषज्ञों और विभिन्न निकायों से प्राप्त सिफारिशों की समीक्षा कर रही है. ज्ञातव्य है कि आयकर अधिनियम, 1961 की करीब 90 धाराएं अपनी प्रासंगिकता खो चुकी हैं. ये धाराएं विशेष आर्थिक क्षेत्र, दूरसंचार, पूंजीगत लाभ सहित कर छूट एवं कटौती जैसे मामलों में कारगर नहीं रह गई हैं.
मौजूदा स्रोत पर कर कटौती (टीडीएस), स्रोत पर कर संग्रह (टीसीएस) व्यवस्था को सरल करने सीमा शुल्क कानून की तरह ही समिति दरों की एक व्यापक अनुसूची बनाने पर आगे बढ़ रही है. इससे कानूनी जटिलताएं और मुकदमेबाजी में काफी कमी आएगी तथा कर कटौती प्रक्रिया अधिक सरल और पारदर्शी होगी.
उम्मीद है कि वी.के. गुप्ता समिति की रिपोर्ट शीघ्र प्रस्तुत होगी और इसके आधार पर विधि मंत्रालय की मदद से नए आयकर विधेयक का मसौदा तैयार किया जाएगा. चूंकि देश ने 2047 में विकसित भारत का लक्ष्य रखा है, उस दिशा में आगे बढ़ने के लिए कर सुधारों के साथ कर संग्रह में लगातार इजाफा जरूरी होगा और तकनीक के ज्यादा इस्तेमाल से कर संग्रह में वृद्धि तेज की जानी होगी.
ऐसे में यह उपयुक्त होगा कि आयकर अधिनियम को सरल बनाने के लिए गठित की गई वी.के. गुप्ता समिति शीघ्रतापूर्वक अपनी रिपोर्ट पूर्ण करते हुए इस बात पर ध्यान दे कि प्रति व्यक्ति आय के लिए छूट की सीमा को कम करने के मद्देनजर छूट के स्तर को निकट भविष्य में अपरिवर्तित रखा जाए.
समिति को ध्यान देना होगा कि करदाताओं की संख्या में इजाफा कर व्यवस्था को अधिक निष्पक्ष बनाया जाए ताकि इससे कर भुगतान को लेकर दृष्टिकोण को सही दिशा में बढ़ावा मिल सके. साथ ही विभिन्न दृष्टिकोणों से आयकर प्रणाली को सरल बनाने की दिशा में आगे बढ़ने की रणनीति प्रस्तुत की जानी होगी.
इसी प्रकार जीएसटी की जटिलताओं को कम करके इसे अधिक सरल व कारगर बनाना होगा. नई टेक्नोलॉजी के उपयोग से जीएसटी अनुपालन जितना अधिक कारगर होगा, उतना ही अधिक जीएसटी संग्रह बढ़ाया जा सकेगा. इसके अलावा सरकार के द्वारा जीएसटी चोरी के खिलाफ प्रभावी अभियान चलाया जाना होगा, क्योंकि अभी कई कारोबारी फर्जी बिल के इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ उठा रहे हैं. टैक्स चोरी रोकने के लिए प्रशासनिक स्तर पर भी प्रभावी बदलाव किए जाने होंगे.