ब्लॉग: इलेक्ट्रिक वाहनों पर भारी पड़ते हाइब्रिड वाहन

By ऋषभ मिश्रा | Updated: July 18, 2024 16:12 IST2024-07-18T16:11:58+5:302024-07-18T16:12:08+5:30

Hybrid vehicles outweigh electric vehicles | ब्लॉग: इलेक्ट्रिक वाहनों पर भारी पड़ते हाइब्रिड वाहन

फोटो क्रेडिट- (एक्स)

हाल ही में भारत के ऑटोमोबाइल सेक्टर के ट्रेंड्स में कुछ बड़े बदलाव देखने को मिले हैं। देश में लोग इलेक्ट्रिक व्हीकल (ईवी) से दोगुनी कीमत होने के बावजूद हाइब्रिड व्हीकल पर भरोसा कर रहे हैं। अप्रैल से जून के बीच हाइब्रिड वाहनों ने ईवी की बिक्री को पीछे छोड़ दिया है। 'वाहन डैशबोर्ड' के डाटा के मुताबिक देश में अप्रैल से 11 जून के बीच 7,500 प्रतिमाह के हिसाब से 15,000 ईवी बिकी।जबकि हाइब्रिड की बिक्री 59,814 रही। 'प्योर' इलेक्ट्रिक कारें 8 लाख रुपए से शुरू होती हैं।वहीं हाइब्रिड कारों की कीमत 17 लाख से शुरू है। 'मॉर्गेन स्टेनली' के अनुसार फरवरी में अमेरिका में ईवी बिक्री की तुलना में हाइब्रिड की बिक्री पांच गुना की तेजी से बढ़ी है।

हाइब्रिड व्हीकल वह गाड़ियां हैं जिसमें पेट्रोल अथवा डीजल का इंजन तो होता ही है, साथ ही बैटरी और इलेक्ट्रिक मोटर भी इसमें संलग्न रहती है। हाइब्रिड व्हीकल बैटरी के साथ-साथ पेट्रोल एवं डीजल से भी चलती है। साथ ही इसमें बैटरी को अलग से चार्ज करने की आवश्यकता भी नहीं होती है क्योंकि ये चलती हुई गाड़ी से ही चार्ज हो जाती है। गाड़ी (व्हीकल) चलती रहे, इसके लिए दोनों साथ मिलकर काम करते हैं।

हाइब्रिड व्हीकल में एक इंजन और एक इलेक्ट्रिक मोटर लगा रहता है। इंजन ईंधन के दहन द्वारा गाड़ी को ऊर्जा प्रदान (पॉवर जनरेट) करता है। इलेक्ट्रिक मोटर के साथ एक बैटरी भी लगी रहती है। इलेक्ट्रिक मोटर के साथ ही बैटरी में भी अलग-अलग तरीके की तकनीक उपयोग में लाई जाती है। बैटरी में ऊर्जा संरक्षण (पावर स्टोरेज) की सुविधा रहती है। इसे चार्ज करने के लिए बिजली (इलेक्ट्रिसिटी) चाहिए होती है, जो कि संरक्षित ऊर्जा (स्टोरेज) से मोटर को मिल जाती है, जिससे कि इलेक्ट्रिक मोटर गाड़ी को शक्ति (पावर) प्रदान करता है। चार्जिंग के लिए भी अलग-अलग तरीके की तकनीक इस्तेमाल की जाती है। जिसमें 'प्लग इन हाइब्रिड' से सीधे तौर पर चार्जिंग कर सकते हैं या फिर इंजन से भी सीधे तौर पर चार्जिंग कर सकते हैं।गाड़ी में ब्रेक लगने की स्थिति में ब्रेक लगने के द्वारा भी चार्जिंग हो सकती है। जिसे 'रिजनरेटिव ब्रेकिंग सिस्टम' भी कहते हैं।

हाइब्रिड कारें बेहतर माइलेज देती हैं। यह लंबी दूरी (लॉन्ग रूट) पर 25-30 किमी प्रति लीटर माइलेज देती हैं। ऑटोमोबाइल एक्सपर्ट के मुताबिक हाइब्रिड कारों की 'रनिंग कॉस्ट' लंबी अवधि में ईवी से कम होती है। ईवी के लिए 'चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर' की कमी बड़ी समस्या है। हाइब्रिड कारें फ्यूल और बैटरी दोनों से चल सकती हैं। ईवी में 'रेंज एंग्जाइटी' यानी कम चार्जिंग में लंबी दूरी तय करने को लेकर चिंता भी बरकरार है। हाइब्रिड कारें इस चिंता से निजात दिलाती हैं। बैटरी चार्ज नहीं होने की स्थिति में पेट्रोल से चला सकते हैं।

ऑटो कंपनियों के संगठन 'सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटो मोबाइल मैन्युफैक्चरर्स' के आंकड़ों के मुताबिक भारत में हाइब्रिड कारों की बिक्री पिछले साल 30 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ी है। हाइब्रिड व्हीकल में पेट्रोल या डीजल जैसे 'इंटरनल कम्बशन इंजन' (आईसीई) के साथ ही इलेक्ट्रिक बैटरी भी होती है, जो वाहनों की रेंज और ईंधन की दक्षता को बढ़ाने में मददगार है।दुनिया में स्ट्रांग हाइब्रिड, माइल्ड हाइब्रिड, प्लग इन हाइब्रिड और प्योर इलेक्ट्रिक वाहनों की लोकप्रियता बढ़ रही है।

Web Title: Hybrid vehicles outweigh electric vehicles

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