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अच्छे मानसून पर टिकी अर्थव्यवस्था की उम्मीदें, जयंतीलाल भंडारी का ब्लॉग

By डॉ जयंती लाल भण्डारी | Updated: June 25, 2021 15:48 IST

देश में जून की शुरुआत से मानसून ने दस्तक दे दी है. दो, फसल वर्ष 2020-21 से संबंधित खाद्यान्न के रिकॉर्ड उत्पादन के अनुमान प्रस्तुत हुए हैं.

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ठळक मुद्दे2021 में भारत में मानसून के अच्छे रहने के संबंध में विभिन्न मौसम विज्ञान एजेंसियों की अध्ययन रिपोर्ट प्रस्तुत हुई हैं.देश में कोरोना महामारी बढ़ने के बीच अच्छा मानसून महंगाई रोकने व अर्थव्यवस्था के लिए लाभप्रद है. खाद्यान्न पैदावार पिछले वर्ष की कुल पैदावार 29.75 करोड़ टन के मुकाबले 79.4 लाख टन अधिक है.

इस समय देश में कोरोना की दूसरी घातक लहर से निर्मित हुई आर्थिक और औद्योगिक चुनौतियों के बीच अर्थव्यवस्था और कृषि क्षेत्र में सुकूनभरी उम्मीदों के दो चमकीले आधार दिखाई दे रहे हैं.

एक, वर्ष 2021 में भारत में मानसून के अच्छे रहने के संबंध में विभिन्न मौसम विज्ञान एजेंसियों की अध्ययन रिपोर्ट प्रस्तुत हुई हैं और देश में जून की शुरुआत से मानसून ने दस्तक दे दी है. दो, फसल वर्ष 2020-21 से संबंधित खाद्यान्न के रिकॉर्ड उत्पादन के अनुमान प्रस्तुत हुए हैं.

यह भी महत्वपूर्ण है कि हाल ही में भारतीय रिजर्व बैंक ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि देश में कोरोना महामारी बढ़ने के बीच अच्छा मानसून महंगाई रोकने व अर्थव्यवस्था के लिए लाभप्रद है. भारतीय मौसम विज्ञान और अन्य वैश्विक मौसम एजेंसियों के द्वारा वर्ष 2021 में अच्छे मानसून के जो अनुमान प्रस्तुत किए गए हैं, उससे फसल वर्ष 2021-22 में कृषि उत्पादन के ऊंचाई पर पहुंचने की संभावनाएं निर्मित हुई हैं.

पिछले वर्ष की कुल पैदावार 29.75 करोड़ टन के मुकाबले 79.4 लाख टन अधिक

एक खास बात यह भी है कि अब तक मानसून एवं वर्षा का पूर्वानुमान लगाने के लिए जिस तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा था, वह नियमित अंतराल पर पूर्वानुमान बताने के लिए पर्याप्त नहीं थी. ऐसे में इस वर्ष 2021 में मौसम विभाग के द्वारा जून से सितंबर की अवधि के लिए मासिक आधार पर लॉन्ग रेंज फॉरकास्ट (एलआरएफ) पूर्वानुमान दिए जाने से देश के किसान और देश का संपूर्ण कृषि क्षेत्न अधिक लाभान्वित होगा.

यदि हम कृषि मंत्नालय की ओर से हाल ही जारी चालू फसल वर्ष 2020-21 के लिए मुख्य फसलों के तीसरे अग्रिम अनुमान को देखें तो पाते हैं कि कोरोना की आपदा के बावजूद देश में खाद्यान्न की कुल पैदावार रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचते हुए 30.54 करोड़ टन अनुमानित है. यह खाद्यान्न पैदावार पिछले वर्ष की कुल पैदावार 29.75 करोड़ टन के मुकाबले 79.4 लाख टन अधिक है.

कृषि क्षेत्र में उत्पादन रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया

9 जून को केंद्र सरकार ने फसल सत्न जुलाई से जून 2021-22 के लिए खरीफ फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) घोषित किया है. उसमें इस बार दलहन और तिलहन के एमएसपी में सबसे अधिक बढ़ोत्तरी किए जाने से खरीफ फसलों की पैदावार बढ़ेगी. कृषि मंत्नी नरेंद्र सिंह तोमर के मुताबिक सभी प्रमुख फसलों के एमएसपी में उत्साहजनक वृद्धि, पीएम किसान के मार्फत किसानों को सराहनीय आर्थिक मदद उपलब्ध कराने और विभिन्न कृषि विकास की योजनाओं से कृषि क्षेत्र में उत्पादन रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है.

गौरतलब है कि पिछले वर्ष 2020 में भी कोविड-19 की पहली लहर की चुनौतियों के बीच अर्थव्यवस्था के दूसरे सेक्टरों में भारी गिरावट के बीच कृषि ही एकमात्न ऐसा क्षेत्न रहा है जिसने सर्वाधिक वृद्धि बताई है. आर्थिक सर्वेक्षण 2020-21 में कहा गया है कि कोविड-19 महामारी के दौरान जहां देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में बड़ी गिरावट आई और वह ऋणात्मक हो गई.

वहीं कृषि की विकास दर में तीन फीसदी से अधिक की वृद्धि हुई है. ऐसे में जीडीपी में कृषि की हिस्सेदारी 17.8 फीसदी से बढ़कर 19.9 फीसदी के स्तर पर पहुंच सकती है. एक खास बात यह भी है कि वर्ष 2021 में रिकॉर्ड खाद्यान्न उत्पादन कोरोना की दूसरी घातक लहर की चुनौतियों के बीच गरीब वर्ग की अतिरिक्त खाद्यान्न जरूरतों की पूर्ति में अहम भूमिका निभाते हुए दिखाई देगा.

खाद्यान्न का निर्यात भी किया जा सकेगा

भारतीय खाद्य निगम के मुताबिक देश में 1 अप्रैल 2021 को सरकारी गोदामों में करीब 7.72 करोड़ टन खाद्यान्न का सुरक्षित भंडार था, जो बफर आवश्यकता से करीब 3 गुना है. ऐसे में वर्ष 2021 में कोरोना की चुनौतियों के बीच एक बार फिर केंद्र सरकार के द्वारा लागू की गई प्रधानमंत्नी गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत 80 करोड़ लाभार्थियों को नवंबर 2021 तक खाद्यान्न की अतिरिक्त आपूर्ति को भी सरलता से पूरा किया जा सकेगा. खाद्यान्न के रिकॉर्ड उत्पादन के मद्देनजर देश की खाद्यान्न संबंधी विभिन्न जरूरतों की पूर्ति के साथ-साथ उपयुक्त मात्ना में खाद्यान्न का निर्यात भी किया जा सकेगा.

यद्यपि कोरोना की आर्थिक चुनौतियों के बीच इस समय देश के कृषि परिदृश्य पर विभिन्न अनुकूलताएं हैं, लेकिन कृषि क्षेत्न की भरपूर प्रगति और अच्छे मानसून का लाभ लेने के लिए कई बातों पर विशेष ध्यान देना होगा. सरकार के द्वारा कृषि उपज का अच्छा विपणन सुनिश्चित किया जाना होगा. इससे ग्रामीण इलाकों में मांग में वृद्धि की जा सकेगी.

कृषि एवं ग्रामीण विकास को नया आयाम देना होगा

ग्रामीण मांग बढ़ने से ग्रामीण क्षेत्नों में मैन्युफैक्चरिंग एवं सर्विस सेक्टर बढ़ सकेंगे. खराब होने वाले कृषि उत्पादों जैसे फलों ओर सब्जियों के लिए लॉजिस्टिक्स सुदृढ़ किया जाना होगा. साथ ही पिछले वर्ष 2020 से शुरू  की गई किसान ट्रेनों के माध्यम से कृषि एवं ग्रामीण विकास को नया आयाम देना होगा.

किसान ट्रेन से जहां उत्पादन करने वाले किसानों को अच्छी कीमत मिलेगी, वहीं उपभोक्ताओं को उचित कीमत पर फलों तथा सब्जियों की प्राप्ति होगी. सरकार ने एक लाख करोड़ रु पए के जिस कृषि बुनियादी ढांचा कोष का निर्माण किया है, उससे उपयुक्त रूप से शीघ्रतापूर्वक आवंटन किया जाना होगा.

अच्छे कृषि बुनियादी ढांचे से फसल तैयार होने के बाद होने वाले नुकसान में कमी आ सकेगी. इससे छोटे किसानों को ऐसी ताकत मिलेगी कि वे अपने उत्पादों को खुद के गोदाम बनाकर बेहतर देखभाल कर सकेंगे. साथ ही गोदाम सुविधा के कारण अपनी फसल को उपयुक्त समय पर बेचकर बेहतर दाम प्राप्त कर सकेंगे.

हम उम्मीद करें कि कोरोना की दूसरी लहर और लॉकडाउन की चुनौतियों के बीच सरकार बेहतर कृषि के लिए चालू वित्त वर्ष 2021-22 के बजट के तहत घोषित की गई विभिन्न योजनाओं के क्रियान्वयन की डगर पर तेजी से आगे बढ़ेगी.

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