Country Development Electricity: चौबीसों घंटे बिजली मुहैया करवाने की दिशा में उठे ठोस कदम
By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Updated: December 31, 2024 12:28 IST2024-12-31T12:27:24+5:302024-12-31T12:28:36+5:30
Country Development Electricity: सरकार इस तथ्य से वाकिफ है और उसने 2025 में बिजली की 24 घंटे आपूर्ति सुनिश्चित करने की दिशा में ठोस कदम उठाए हैं.

सांकेतिक फोटो
Country Development Electricity: किसी भी देश के विकास के लिए बिजली की निर्बाध आपूर्ति अत्यंत आवश्यक है. बिजली के बिना विकास के पहिए थम से जाते हैं. देश की छवि भी दुनिया में धूमिल होती है. भारत ने लंबे समय तक गांवों से लेकर महानगरों तक बिजली संकट का दंश झेला है. इससे देश का विकास भी बुरी तरह प्रभावित हुआ. पिछले एक दशक में विद्युत उत्पादन तथा आपूर्ति के मोर्चे पर जबर्दस्त सुधार हुआ है और उसका नतीजा विकास की ऊंची दर के रूप में भी सामने आया है.
इसके बावजूद देश के गांवों तथा कस्बों एवं छोटे शहरों को चौबीसों घंटे बिजली की आपूर्ति नहीं हो पा रही है. सरकार इस तथ्य से वाकिफ है और उसने 2025 में बिजली की 24 घंटे आपूर्ति सुनिश्चित करने की दिशा में ठोस कदम उठाए हैं. केंद्रीय ऊर्जा राज्यमंत्री श्रीपाद येसो नाईक ने रविवार को 24 घंटे बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए सरकार द्वारा उठाए जा रहे कदमों की जानकारी दी.
नाईक के मुताबिक केंद्र सरकार नए बिजली घरों की स्थापना पर जोर दे रही है. नए वर्ष में कोयला आधारित तथा पनबिजली संयंत्रों की स्थापना की जाएगी एवं वितरण व्यवस्था को मजबूत बनाया जाएगा. बिजली उत्पादन बढ़ाने एवं उसकी सुचारु आपूर्ति के लिए मजबूत बुनियादी ढांचा तैयार किया जा रहा है.
पिछली सदी के अंतिम दो दशकों तथा 21वीं सदी के पहले डेढ़ दशक यानी करीब 35 वर्षों तक देश ने अभूतपूर्व बिजली संकट झेला है. उत्पादन के साथ-साथ बिजली की मांग बढ़ती गई लेकिन उसके अनुपात में बिजली का उत्पादन नहीं बढ़ा. कुप्रबंधन के कारण बिजली घरों का रखरखाव ठीक से नहीं हो पा रहा था और वे पूरी क्षमता के साथ उत्पादन नहीं कर पा रहे थे.
इसके अलावा पर्यावरण सुरक्षा के ढांचे को मजबूत करने और बिजली के उत्पादन को बढ़ाने के लिए ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों के दोहन की ओर ध्यान ही नहीं दिया गया. वैसे कहने के लिए देश में अपारंपारिक ऊर्जा नवीनीकरण मंत्रालय भी बनाया गया लेकिन यह मंत्रालय सफेद हाथी बनकर रह गया था. इससे देश में गंभीर बिजली संकट पैदा होने लगा और महानगरों तक ने आठ से दस घंटे की विद्युत कटौती का दौर झेला. छोटे शहरों तथा कस्बों में 12 से 18 घंटे बिजली की सप्लाई नहीं होती थी और ग्रामीण क्षेत्रों में तो दो-दो दिन तक बिजली नहीं आती थी.
बिजली कटौती से उद्योग-धंधे बुरी तरह से प्रभावित हुए. कृषि कार्यों पर भी बहुत बुरा असर पड़ा. बिजली संकट के कारण विदेशी उद्योग भारत आने से कतराने लगे. अब हालात तेजी से बदले हैं. सन् 2014 में सत्ता परिवर्तन के बाद मोदी सरकार ने ऊर्जा क्षेत्र को सर्वोच्च प्राथमिकता देनी शुरू कर दी.
नए बिजली घर बनाने, सौर तथा ऊर्जा उत्पादन के अन्य गैरपारंपरिक स्रोतों को विकसित करने, बिजली घरों की उत्पादन क्षमता बढ़ाने, वितरण ढांचे को मजबूत बनाने पर ध्यान केंद्रित किया गया. इसका नतीजा यह हुआ कि जो बिजलीघर मौजूद थे, उन्होंने पूरी क्षमता के साथ काम करना शुरू कर दिया. नए बिजली घरों की स्थापना के अलावा सौर ऊर्जा के उत्पादन में क्रांति आई.
आज हम यह कह सकते हैं कि विद्युत संकट का दौर काफी हद तक खत्म हो चुका है लेकिन देश के बड़े हिस्से में आज भी विद्युत कटौती होती ही है. ग्रामीण इलाके दो से चार घंटे तक बिजली से वंचित रहते हैं और कृषि कार्यों के लिए 8 से 10 घंटे ही विद्युत आपूर्ति हो पा रही है. उद्योगों को जरूर उनकी मांग के अनुरूप पर्याप्त बिजली उपलब्ध हो रही है.
सरकार बिजली क्षेत्र की समस्याओं तथा चुनौतियों से अच्छी तरह वाकिफ है. वह जानती है कि कोयले से बनने वाली बिजली से पर्यावरण के लिए गंभीर खतरा पैदा होता है. इसीलिए उसने सौर तथा पवन ऊर्जा जैसे विकल्पों पर ध्यान देना शुरू किया है और उसमें इसे जबर्दस्त सफलता भी हासिल हुई है. विशेषकर सौर ऊर्जा को आम उपभोक्ता परंपरागत बिजली के विकल्प के तौर पर तेजी से अपनाने लगे हैं.
आने वाले वर्षों में देश के अधिकतर घर सौर ऊर्जा से रोशन होते दिख सकते हैं. अगर सरकार चौबीसों घंटे बिजली उपलब्ध करवाने के लक्ष्य में सफल हो जाए तो न केवल आम आदमी की जिंदगी और सुविधाजनक हो जाएगी बल्कि देश के तेज विकास को भी पंख लग जाएंगे. सरकार इस मामले में जिस गति तथा मजबूती के साथ कदम उठा रही है, उससे यह लक्ष्य हासिल करना कठिन नहीं है.