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Consumer Price Index: सुस्त विकास और महंगाई की चुनौती...

By डॉ जयंती लाल भण्डारी | Updated: December 20, 2024 13:52 IST

Consumer Price Index: 11 दिसंबर को भारतीय रिजर्व बैंक के नवनियुक्त 26वें गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि वे महंगाई नियंत्रण और विकास दर के बीच उपयुक्त संतुलन बनाने की डगर पर आगे बढ़ेंगे. साथ ही अर्थव्यवस्था के लिए सर्वोत्तम काम करने की कोशिश करेंगे.

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ठळक मुद्देरिजर्व बैंक के महंगाई के निर्धारित दायरे से अधिक है.विकास दर और महंगाई की चुनौती का परिदृश्य उभरकर दिखाई दे रहा है.अप्रैल से जून की पहली तिमाही में 6.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी.

Consumer Price Index: हाल ही में सांख्यिकी व कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार, भारत की उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति दर बीते महीने नवंबर में 5.48 प्रतिशत रही. इससे पहले अक्तूबर में खुदरा महंगाई दर 6.21 प्रतिशत थी. इसी प्रकार नवंबर में थोक मूल्य मुद्रास्फीति घटकर 1.89 प्रतिशत पर आ गई. जो कि अक्तूबर में 2.36 प्रतिशत थी. यद्यपि महंगाई दर में कमी आई है, फिर भी अभी यह रिजर्व बैंक के महंगाई के निर्धारित दायरे से अधिक है. गौरतलब है कि 11 दिसंबर को भारतीय रिजर्व बैंक के नवनियुक्त 26वें गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि वे महंगाई नियंत्रण और विकास दर के बीच उपयुक्त संतुलन बनाने की डगर पर आगे बढ़ेंगे. साथ ही अर्थव्यवस्था के लिए सर्वोत्तम काम करने की कोशिश करेंगे.

गौरतलब है कि इस समय देश में धीमी विकास दर और महंगाई की चुनौती का परिदृश्य उभरकर दिखाई दे रहा है. बीते दिनों राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के द्वारा जारी रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2024-25 की दूसरी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 5.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जबकि इसके पहले अप्रैल से जून की पहली तिमाही में 6.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी.

इस सुस्त विकास दर के परिदृश्य से प्रभावित हुए बिना हाल ही में 6 दिसंबर को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक में विकास दर बढ़ाने के लिए ब्याज दर में कमी नहीं करते हुए महंगाई नियंत्रण को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है. उल्लेखनीय है कि रिजर्व बैंक ने लगातार 11वीं बार ब्याज दर यानी नीतिगत दर (रेपो) में कोई बदलाव नहीं किया और इसे 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा.

रेपो वह ब्याज दर है, जिस पर कमर्शियल बैंक अपनी तात्कालिक जरूरतों को पूरा करने के लिए केंद्रीय बैंक से कर्ज लेते हैं. आरबीआई मुद्रास्फीति को काबू में रखने के लिए इस दर का उपयोग करता है.  नि:संदेह खाद्य पदार्थों की महंगाई रोकने के लिए सरकार के द्वारा तात्कालिक उपायों के साथ दीर्घकालीन उपायों पर भी ध्यान दिया जाना जरूरी होगा.

इस समय ग्रामीण भारत में जल्द खराब होने वाले ऐसे कृषि उत्पादों की आपूर्ति श्रृंखला बेहतर करने पर प्राथमिकता से काम करना होगा, जिनकी खाद्य महंगाई के उतार-चढ़ाव में ज्यादा भूमिका होती है. ऐसे में सरकार को खाद्य उत्पादन में वृद्धि के साथ-साथ कृषि उपज की बर्बादी को रोकने के बहुआयामी प्रयासों के तहत खाद्य भंडारण और वेयरहाउसिंग की कारगर व्यवस्था की डगर पर बढ़ना होगा.

हम उम्मीद करें कि रिजर्व बैंक के नए गवर्नर संजय मल्होत्रा सरकार के साथ रिजर्व बैंक के विभिन्न समन्वित रणनीतिक प्रयासों से देश में महंगाई को नियंत्रित करने और सुस्त विकास दर को बढ़ाने के परिप्रेक्ष्य में नई रणनीति के साथ आगे बढ़ेंगे. इससे रिजर्व बैंक के लक्ष्य के मुताबिक खुदरा महंगाई दर चालू वित्त वर्ष 2024-25 में 4.5 प्रतिशत तथा आगामी वित्त वर्ष 2025-26 में चार प्रतिशत के दायरे में रहते हुए दिखाई दे सकेगी.

टॅग्स :मुद्रास्फीतिनरेंद्र मोदीभारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई)संजय मल्होत्रा
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