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ब्लॉगः बजट के समक्ष चुनौतियां भी हैं और संभावनाएं भी

By अवधेश कुमार | Updated: February 1, 2023 09:16 IST

अंतरराष्ट्रीय मुद्रास्फीति पिछले 50 साल में अधिकतम ऊंचाई को छू गई है। अंतरराष्ट्रीय वित्तीय एजेंसियां विश्व की अर्थव्यवस्था की गति का अनुमान बरतने को लेकर ज्यादा सतर्क हैं।

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भारतीय अर्थव्यवस्था के विपरीत वैश्विक अर्थव्यवस्था के संकेत उत्साहित करने वाले नहीं हैं। दिसंबर में ही भारतीय रिजर्व बैंक ने आर्थिक स्थिति पर अपनी रिपोर्ट में वैश्विक अर्थव्यवस्था की तरफ से उत्पन्न जोखिमों की चर्चा कर चिंता व्यक्त की। वैश्विक स्तर पर महंगाई दर अपनी ऊंचाई पर पहुंच चुकी है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रास्फीति पिछले 50 साल में अधिकतम ऊंचाई को छू गई है। अंतरराष्ट्रीय वित्तीय एजेंसियां विश्व की अर्थव्यवस्था की गति का अनुमान बरतने को लेकर ज्यादा सतर्क हैं। अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने पिछले 40 साल में सर्वाधिक कड़े फैसले लेने का इतिहास बनाया है। डॉलर की मजबूती ने अपने रिकॉर्ड तोड़े और चीन ने पिछले 45 वर्ष में सबसे कम आर्थिक विकास दर हासिल की। 

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने अनुमान लगाया है कि वर्ष 2023 में आर्थिक विकास दर 2.7 प्रतिशत रहेगी। इन चुनौतियों के बीच भारत को तेज विकास हासिल करने के लिए बहुत कुछ करना है जिसमें निर्यात वृद्धि भी है। अगर दूसरे देश संरक्षणवाद को बढ़ावा देंगे तो निर्यात कठिन होगा। विनिर्माण क्षेत्र अभी तक अपेक्षा अनुरूप नहीं दिख रहा है। अक्तूबर में आठ प्रमुख उद्योगों की विकास दर 20 महीने के न्यूनतम स्तर तक चली गई थी। इसमें सुधार हुआ है लेकिन यह जारी रहेगा या नहीं, कहना मुश्किल है। कारखानों की क्षमता का उपयोग 2015 से समस्या बना हुआ है। कारखाने अपनी क्षमता का 75 प्रतिशत ही उत्पादन कर रहे हैं। जब तक ये अपनी पूरी क्षमता का उपयोग नहीं करेंगे, विकास दर में वृद्धि कठिन है। यह नए पूंजी निवेश के रास्ते में भी बाधा है।

विशेषज्ञ मानते हैं कि सरकार को विनिर्माण को प्रोत्साहन देने के साथ-साथ लोगों की खपत बढ़ाने का भी रास्ता तलाशना होगा। आम लोगों की जेब में धन होगा तभी ऐसा हो सकेगा। अर्थशास्त्री आयकर में राहत को महत्वपूर्ण बता रहे हैं। रोजगार बढ़ाने वाले क्षेत्रों को भी प्रोत्साहन देने का लक्ष्य है। वैसे क्षेत्र जहां रोजगार ज्यादा पैदा होते हैं उनको उत्पादन आधारित प्रोत्साहन यानी पीएलआई योजना का लाभ विस्तार हो सकता है। सरकार पहले लगभग दो लाख करोड़ रुपए की पीएलआई योजना वाहन, वाहन के कलपुर्जे, बड़े इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, औषधि, कपड़ा, उच्च  क्षमता वाले सौर पीवी मॉडल्स, उन्नत रसायन सेल और विशिष्ट इस्पात समेत कुल 14 क्षेत्रों में लागू कर चुकी है। इनका लक्ष्य घरेलू विनिर्माण करने वालों को अंतरराष्ट्रीय बाजार में ज्यादा प्रतिस्पर्धी और सफल बनाना है। वैसे खिलौनों, साइकिल, चमड़ा, जूता-चप्पल के निर्माण आदि के वित्तीय प्रोत्साहन की मांग हुई है और बजट में इसकी संभावना है। इन क्षेत्रों में भी पीएलआई बढ़ाया जा सकता है। यह छोटे और मध्यम उद्योग और रोजगार, सामाजिक कल्याण की दृष्टि से महत्वपूर्ण है।  

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