संयोजक पद को लेकर विपक्षी गठबंधन "इंडिया" के एकता पर उठ सकता है सवाल!, राजद प्रमुख लालू यादव ने कहा- सीएम नीतीश ही नहीं कोई और हो सकता है...
By एस पी सिन्हा | Updated: August 23, 2023 16:25 IST2023-08-23T16:23:46+5:302023-08-23T16:25:24+5:30
Lok Sabha Elections 2024: मायावती की बीएसपी और असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम जैसी पार्टियों के अलावा केसीआर की बीआरएस, जगन मोहन रेड्डी की वाईएसआर कांग्रेस, कर्नाटक में जेडीएस और ओडिशा में बीजद जैसी पार्टियां भी है जो कि स्वतंत्र रूप से मैदान में होंगी।

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पटनाः विपक्षी दलों के बने गठबंधन "इंडिया" में सब कुछ ठीक-ठाक नहीं चलने की चर्चाएं शुरू हो गई हैं। दरअसल, 31 अगस्त और एक सितंबर को "इंडिया" की तीसरी बैठक मुंबई में प्रस्तावित है। इस बीच राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने बयान दे दिया है कि विपक्षी दलों के गठबंधन इंडिया का संयोजक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही नहीं बल्कि कोई और भी हो सकता है।
हालांकि उन्होंने यह भी कहा है कि गठबंधन में संयोजक को लेकर किसी तरह का कोई विवाद नहीं है और अगली बैठक में सभी दलों के लोग मिल बैठकर तय कर लेंगे। तीन चार राज्यों का एक संयोजक होगा। सहूलियत के लिए राज्यों में भी संयोजक नियुक्त किए जाएंगे।
उल्लेखनीय है कि पटना में हुई विपक्षी दलों की पहली बैठक से ही इस बात की चर्चा हो रही थी कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को इस गठबंधन का संयोजक बनाया जा सकता है। इसको लेकर खूब सियासत भी हुई। लेकिन अब लालू ने साफ कर दिया है कि गठबंधन का संयोजक नीतीश ही नहीं बल्कि कोई और भी हो सकता है।
इसके बाद से सियासी हलचलें तेज हो गई और राजनीतिक पंडितों को अपनी तरह से व्याख्या करने लगे हैं। विपक्षी एकता के जनक नीतीश कुमार ही रहे हैं। लेकिन, उनकी वह सक्रियता अब क्यों नहीं दिख रही है? आखिर नीतीश कुमार विपक्षी गठबंधन "इंडिया" से अपनी दूरी क्यों बना रहे हैं? राहुल गांधी से वादा करने के बावजूद अपने मंत्रिमंडल में नीतीश कुमार कांग्रेस कोटे से किसी को जगह क्यों नहीं दे रहे हैं?
कहा जा रहा है कि नीतीश कुमार के दिल्ली दौरे के बाद इस विवाद को और बल मिला है। दो दिनों तक नीतीश कुमार दिल्ली में थे। लेकिन उनकी किसी भी विपक्षी दल के नेता से मुलाकात नहीं हुई। इसके साथ ही उनके अटल प्रेम ने भी सभी को चौंका दिया है। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की मौत के पांच साल बाद नीतीश कुमार उनको श्रद्धांजलि अर्पित करने उनके दिल्ली स्थित समाधि स्थल पर गए थे।
बता दें कि दिल्ली में लोकसभा की सात सीटों पर बयानबाजी के बाद आप और कांग्रेस आमने सामने हो गए हैं। वहीं, कांग्रेस नेता अलका लांबा के बयान के बाद जिस प्रकार से दोनों ओर से बयानबाजी का दौर शुरू हुआ वह इंडिया की एकता पर सवाल खड़ा करता है।
राजनीतिक पंडितों का मानना है कि अगर नीतीश कुमार को संयोजक जैसा महत्वपूर्ण जगह नहीं दी जाएगी तो उनका मन भी पलट सकता है। कारण कि गठबंधन के निर्माणकर्ता नीतीश कुमार को ही तवज्जो नही मिला तो गठबंधन की एकता पर सवाल उठना शुरू हो जाएगा।
ऐसे में टूट और बिखराव के खतरे और भी हैं। मायावती की बीएसपी और असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम जैसी पार्टियों के अलावा केसीआर की बीआरएस, जगन मोहन रेड्डी की वाईएसआर कांग्रेस, कर्नाटक में जेडीएस और ओडिशा में बीजद जैसी पार्टियां भी है जो कि स्वतंत्र रूप से मैदान में होंगी।