Bihar Politics News: जदयू के भीतर सियासी उठापटक, बीजेपी के दोनों हाथों में लड्डू, नीतीश कुमार पर कुर्सी छोड़ने का दबाव, जानें क्या होगा समीकरण
By एस पी सिन्हा | Published: December 27, 2023 04:50 PM2023-12-27T16:50:49+5:302023-12-27T16:52:32+5:30
Bihar Politics News: नीतीश कुमार को लेकर भाजपा में हलचल तेज हो गई है। इन सभी गतिविधियों के बीच भाजपा निश्चिंत मुद्रा में है।
Bihar Politics News: जदयू के भीतर जारी सियासी उठापटक से भाजपा काफी खुश है। भाजपा के दोनों हाथ में लड्डू है। सूत्रों का कहना है कि जदयू में जारी खटपट और ललन सिंह के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से संभावित इस्तीफे के बाद कुछ विधायक अलग अलग रास्ता पकड़ सकते हैं। पार्टी में अगर टूट होती है तो वैसी स्थिति में नीतीश कुमार कमजोर होंगे और इसका सीधा लाभ भाजपा को होगा।
यह भी कहा जा रहा है कि सहयोगी दल की तरफ से नीतीश कुमार पर कुर्सी छोड़ने का दबाव है। अगर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इसके लिए तैयार नहीं होते हैं तब दूसरा फार्मूला अपनाया जायेगा। यानी जदयू विधायकों को तोड़ने की कोशिश होगी। नीतीश कुमार को लेकर भाजपा में हलचल तेज हो गई है। इन सभी गतिविधियों के बीच भाजपा निश्चिंत मुद्रा में है।
भले ही विधानसभा अध्यक्ष की कुर्सी राजद के पास है, लेकिन नई सरकार बनाने में राजभवन की बड़ी भूमिका होती है। केंद्र में भी भाजपा की ही सरकार है। लिहाजा तेजस्वी के नेतृत्व में नई सरकार के गठन में राजभवन बाधक बन सकता है। ऐसे में एक बार फिर से नीतीश कुमार और भाजपा नेतृत्व के बीच समझौता होगा, जिसका लाभ भाजपा को मिलना तय है।
भाजपा के विश्वस्त सूत्र बताते हैं कि नेतृत्व पूरे घटनाक्रम पर नजदीक से नजर रखे हुए है। बिहार में जो भी राजनीतिक घटनाक्रम हो रहा है पल-पल की जानकारी केंद्रीय नेतृत्व को है। जदयू सूत्रों की मानें तो देर रात बिहार भाजपा के एक बड़े नेता की केंद्र के एक बड़े मंत्री से मुलाकात हुई है।
भाजपा सूत्रों की मानें तो नीतीश कुमार के लिए भाजपा में नो एंट्री का जो बोर्ड लगा था, उसे कुछ शर्तों के साथ हटाने की बात चल रही है। भाजपा ने कुछ शर्तें तय की है, जिसे अगर नीतीश मानेंगे तो गठबंधन में एंट्री हो सकती है। इसको लेकर नीतीश कुमार अगले 48 घंटे में बड़ा ऐलान कर सकते हैं।
सूत्रों की मानें तो जदयू के कई सांसद भाजपा में आने के लिए व्याकुल हैं। ये सारे सांसद नीतीश कुमार को लगातार संवाद भिजवा रहे थे कि राजद से गठबंधन करना उनके लिए नुकसानदेह है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह इन सांसदों की बातों को लगातार अनसुना कर रहे थे। यही वजह है कि कुछ दिन पहले नीतीश कुमार ने अपने सभी सांसदों से दिल्ली में मुलाकात की और उनके मन को टटोला।
इधर, मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भाजपा की जीत के बाद हालात बदल गए हैं। इंडिया गठबंधन में भी नीतीश कुमार को लगातार नजरअंदाज किया जा रहा है। शायद नीतीश कुमार को इन वजहों से पार्टी टूटने का भी डर सता रहा होगा और इसी वजह से नीतीश कुमार परेशान हैं।’
बता दें कि 243 सीटों वाली बिहार विधानसभा में राजद के विधायकों की संख्या वर्तमान में 79 है। बिहार में सरकार बनाने के लिए 122 विधायकों की जरूरत होती है। राजद को कांग्रेस के 19 और वामदलों के 16 विधायकों का शुरू से ही समर्थन है। यानी राजद, कांग्रेस और वामदलों को जोड़कर 114 विधायक हैं। वहीं एक निर्दलीय सुमित सिंह हैं।
साथ ही एक ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम के विधायक हैं। इस तरह 114 के अलावा 2 अन्य विधायकों को जोड़ने पर यह राजद के नेतृत्व वाले गठबंधन की संख्या 116 हो सकती है। जबकि बहुमत के जादुई आंकड़े के लिए 122 चाहिए, यानी बहुत से 6 कम है।
अगर राजभवन बीच में आड़े नहीं आए तो तेजस्वी यादव जदयू के कुछ विधायकों को तोड़कर और विधानसभा में अलग गुट की मान्यता दिलवाकर मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंच सकते थे। लेकिन नई सरकार के गठन के लिए राज्यपाल आमंत्रित करते हैं, अगर जदयू के कुछ विधायकों की टूट होती है तब नीतीश कुमार चुप नहीं बैठेंगे।
ऐसे में गेंद राज्यपाल के पाले में चली जायेगी। वैसी राजनीतिक स्थिति में नीतीश कुमार और भाजपा नेतृत्व मिलकर बड़ा खेल कर सकता है। भाजपा के विश्वस्त सूत्र बताते हैं कि हम लोग निश्चिंत हैं, कहीं कोई परेशानी नहीं है।