देश के बड़े उद्योगपति रतन टाटा के सपनों की कार कही जाने वाली टाटा नैनो को भले ही बड़ी सफलता नहीं मिली लेकिन रतन टाटा को आज भी उस पर गर्व है। एक इंटरव्यू के दौरान रतन टाटा ने अपनी निजी जिंदगी से जुड़ी कई बातों पर खुलकर चर्चा की..पेश है आपके लिए उस चर्चा के दौरान हुई कुछ महत्वपूर्ण बातें जिसमें उन्होंने नैनो को लेकर भी बात की..
रतन टाटा का नैनो से लगावइंटरव्यू के दौरान जब रतन टाटा से पूछा गया कि नैनो कार को बनाने के पीछे उनकी क्या सोच थी? क्यों उन्होंने नैनो को बनाने में इतनी दिलचस्पी दिखाई? इन सवालों का जवाब देते हुए उन्होंने कहा " एक बार मैंने बरसात में एक परिवार को बाइक पर जाते देखा, उसी समय मैंने यह तय कर लिया कि भारतीय मध्यम वर्ग परिवार के लिए एक सस्ती और सुरक्षित कार लेकर आऊंगा।" रतन टाटा ने बताया कि विकल्प के अभाव में लोग अपनी जान जोखिम में डालते हैं, यह देखते हुए नैनो कार को तैयार करने की प्रेरणा मिली। जिससे मध्यम वर्गीय परिवार के लोग भी अपनी जिंदगी को सरल और सुविधाजनक बना सकें। रतन टाटा ने बताया कि जिस वक्त नैनो को लॉन्च किया गया था उस समय लागत बहुत ज्यादा थी। लेकिन खुद से किया हुआ वादा निभाते हुए उन्होंने इस कार को लॉन्च किया और जब वह पीछे मुड़कर देखते हैं तो उन्हें अपने फैसले पर गर्व होता है।
नैनो के फेल होने का कारणनेनो की असफलता पर बात करते हुए रतन टाटा ने बताया कि भारत की सबसे सस्ती कार के रूप में दस साल पहले साल 2008 में टाटा नैनो को लॉन्च किया गया था। लेकिन, नैनो ग्राहकों की पसंद पर खरी नहीं उतर पाई। इसका सबसे बड़ा कारण था कि इस कार के इंजन में तकनीकी खामी और कार में आग लगने की कई खबरों ने नैनो की छवि को काफी नुकसान पहुंचाया।
एक और कारण उन्होंने नैनो के प्लांट को पश्चिम बंगाल से गुजरात शिफ्ट करने में उत्पादन में आई देरी को बताया जिससे नैनो की बिक्री गिर गई। नैनो के उत्पादन को लेकर रतन टाटा ने बताया कि परियोजना से भावनात्मक रूप से जुड़ा होने के कारण कंपनी ने 2017 में नैनो के उत्पादन को जारी रखने का निश्चय किया, लेकिन 2018 में आखिरकार इसे बंद करना पड़ा।
टाटा नैनो 624 सीसी वाले 2 सिलेंडर पेट्रोल इंजन के साथ आती थी। इस कार में चार लोग आराम से बैठ सकते थे। टाटा नैनो को दुनिया की सबसे किफायती कार होने की उपलब्धि हासिल थी।