ब्लॉग: नगालैंड से सारी दुनिया को सीखना चाहिए
By वेद प्रताप वैदिक | Published: March 13, 2023 03:30 PM2023-03-13T15:30:43+5:302023-03-13T15:42:11+5:30
सभी आठों पार्टियों के जीते हुए विधायकों ने कहा है कि हम सत्तारूढ़ गठबंधन के साथ हैं। मेरी राय में वह दुनिया के सभी लोकतंत्रों के लिए आदर्श है।
नगालैंड, त्रिपुरा और मेघालय में भाजपा का डंका बज गया, यह देश ने जमकर देखा लेकिन वहां जो असली विलक्षण घटना हुई है, उसकी तरफ लोगों का ध्यान बहुत कम गया है। वह विलक्षण घटना यह है कि जिन पार्टियों ने चुनाव में एक-दूसरे का डटकर विरोध किया, उन्होंने भी अब नई सरकार बनाने के लिए मेलजोल कर लिया है।
इतना ही नहीं, वे छोटी-मोटी पार्टियां, जो राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा आदि का विरोध करती रही हैं, वे भी नगालैंड में ऐसी सरकार बनाने के लिए एकजुट हुई हैं, जैसी दुनिया के किसी भी लोकतांत्रिक देश में नहीं है।
नगालैंड की ताजा सरकार ‘नेशनलिस्टिक डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी’ के नेतृत्व में बनी है। उसके नेता नेफ्यू रियो मुख्यमंत्री हैं। उनकी 60 सदस्योंवाली विधानसभा में एक भी सदस्य ऐसा नहीं है जो कहे कि मैं विपक्ष में हूं या मैं विरोधी दल हूं, तो क्या हम यह मान लें कि रियो ने साठ की साठ सीटें जीत लीं? नहीं, ऐसा नहीं हुआ है।
उनकी पार्टी और भाजपा को सबसे ज्यादा सीटें मिली हैं लेकिन उनकी संख्या कुल 37 है। 60 में से 37 यानी आधी से सिर्फ 7 ज्यादा फिर भी क्या बात है कि नगालैंड में कोई विरोधी दल नहीं है? जिन आठ दलों ने विरोधी बनकर चुनाव लड़ा था, उनमें 4 पार्टियां नगालैंड के बाहर की थीं।
सभी आठों पार्टियों के जीते हुए विधायकों ने कहा है कि हम सत्तारूढ़ गठबंधन के साथ हैं। मेरी राय में वह दुनिया के सभी लोकतंत्रों के लिए आदर्श है। दुनिया की संसदों में पक्ष और विपक्ष की पार्टियां जो फिजूल का दंगल करती हैं और अपना तथा देश का समय नष्ट करती रहती हैं, उससे भारत, एशिया, अफ्रीका, अमेरिका और यूरोप के लोकतांत्रिक देशों को छुटकारा मिलेगा।
जो भी सरकार सर्वसम्मति से बने, उसमें दलीय संख्या के अनुपात में मंत्री बना दिए जा सकते हैं। मंत्रिमंडल के सभी फैसले बहुमत के आधार पर हों।