ब्लॉग: पूर्वोत्तर में भाजपा का बढ़ता वर्चस्व राष्ट्रीय एकता के लिए शुभ-संकेत
By वेद प्रताप वैदिक | Published: March 4, 2023 05:45 PM2023-03-04T17:45:35+5:302023-03-04T17:47:47+5:30
पूर्वोत्तर में भाजपा का बढ़ता हुआ वर्चस्व राष्ट्रीय एकता के लिए शुभ-संकेत है. इससे पूर्वोत्तर के राज्यों में जो अलगाववादी प्रवृत्तियां सक्रिय रहती हैं, वे अब शिथिल पड़ जाएंगी.

पूर्वोत्तर में भाजपा का बढ़ता वर्चस्व राष्ट्रीय एकता के लिए शुभ-संकेत
भारत में गुरुवार घटी चार घटनाओं ने विशेष ध्यान खींचा. पूर्वोत्तर के तीन राज्यों के चुनाव परिणाम, चुनाव आयोग की नियुक्ति, अदानी-हिंडनबर्ग विवाद की जांच और जी-20 का विदेश मंत्री सम्मेलन. इसमें भारत के द्विपक्षीय हितों का उत्तम संपादन हो सका. भारत के प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री से कई विदेशी नेताओं की आपसी भेंट में कई नए समीकरण बने.
जहां तक त्रिपुरा, नगालैंड और मणिपुर के चुनावों का सवाल है, तीनों राज्यों में भाजपा का बोलबाला हो गया है. दूसरे शब्दों में पूर्वोत्तर में भाजपा का बढ़ता हुआ वर्चस्व राष्ट्रीय एकता के लिए शुभ-संकेत है. एक तो पूर्वोत्तर के राज्यों में जो अलगाववादी प्रवृत्तियां सक्रिय रहती हैं, वे अब शिथिल पड़ जाएंगी. दूसरा, भाजपा के अपने स्वरूप को बदलने में इन चुनावों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है.
गोवा और पूर्वोत्तर के इसाइयों का यह समर्थन भाजपा के लिए दुनिया के इसाई राष्ट्रों में भी लाभदायक सिद्ध हो सकता है. इन चुनावों की जीत पर नरेंद्र मोदी ने जो भाषण दिया, वह काफी संतुलित, तर्कपूर्ण और प्रभावशाली था. कल सर्वोच्च न्यायालय ने जो दो फैसले दिए हैं, उनसे हमारी न्यायपालिका की इज्जत में इजाफा ही हुआ है. उसने चुनाव आयोग की नियुक्ति के लिए प्रधानमंत्री, विपक्षी नेता और मुख्य न्यायाधीश- ये तीन सदस्य अनिवार्य बताए हैं लेकिन यह भी कह दिया है कि यह प्रावधान संसद के कानून द्वारा लागू किया जाना चाहिए.
कानून बनने तक अदालत का फैसला प्रभावी रहेगा. इस फैसले से चुनाव आयोग की प्रामाणिकता बढ़ेगी. जहां तक अदानी-हिंडनबर्ग विवाद का सवाल है, इस मामले में विपक्ष मोदी सरकार की काफी खिंचाई कर रहा था. ‘सेबी’ ने जांच तो बिठाई है लेकिन सरकार की चुप्पी विपक्ष को काफी मुखर कर रही थी.