ब्लॉग: मोहन भागवत के बयान पर गौर करना जरूरी, शिक्षा-चिकित्सा क्षेत्र में बड़ा बदलाव समय की मांग

By वेद प्रताप वैदिक | Published: March 10, 2023 03:28 PM2023-03-10T15:28:04+5:302023-03-10T15:28:04+5:30

Mohan Bhagwat statement and need for rejuvenation of education-medical sector | ब्लॉग: मोहन भागवत के बयान पर गौर करना जरूरी, शिक्षा-चिकित्सा क्षेत्र में बड़ा बदलाव समय की मांग

ब्लॉग: मोहन भागवत के बयान पर गौर करना जरूरी, शिक्षा-चिकित्सा क्षेत्र में बड़ा बदलाव समय की मांग

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मुखिया मोहन भागवत ने कहा है कि अंग्रेजों के आने के पहले भारत में 70 प्रतिशत लोग शिक्षित थे जबकि इंगलैंड में उस समय सिर्फ 17 प्रतिशत अंग्रेज शिक्षित थे. अंग्रेजों ने, खासकर लॉर्ड मैकाले ने जो शिक्षा पद्धति भारत में चलाई, उसके कारण भारत में शिक्षितों की संख्या घटती गई. आज भारत के साक्षरों की संख्या सिर्फ 77 प्रतिशत है जबकि चीन, जापान, श्रीलंका, ईरान जैसे देशों में यह संख्या 90 से 99 प्रतिशत है. 

भारत के ये लोग शिक्षित नहीं माने जा सकते हैं. इन्होंने कोई विशारद या शास्त्री या एम.ए.-बी.ए. पास नहीं किया है. ये केवल साक्षर हैं यानी सिर्फ अक्षरों और अंकों को जानते-पहचानते हैं. इतनी बड़ी संख्या भी इन लोगों की पिछले 15-20 साल में बढ़ी है. इसका मूल कारण है हमारी वर्तमान शिक्षा प्रणाली. इसमें आजकल बड़ी ठगी चल रही है. 

छात्रों की फीस कई कॉलेजों में 50-50 हजार रु. महीना हो गई है, जबकि भारत के गुरुकुलों में कोई फीस नहीं होती थी. सारे ब्रह्मचारियों को भोजन, वस्त्र और निवास की सुविधाएं निःशुल्क होती थीं. हमारी वर्तमान शिक्षा प्रणाली भारत को दो टुकड़ों में बांटने का काम करती है. एक टुकड़ा अंग्रेजीदां लोगों का और दूसरा स्वभाषाओं का! अंग्रेजी बोलने वाला टुकड़ा ऊंची जात बन गया है. वह खुद नकलची है और हर साल लाखों नकलचियों को पैदा करता रहता है. 

भागवतजी ने चिकित्सा की लूटपाट की तरफ भी हमारा ध्यान आकर्षित किया है. हमारे वैद्य लोग मरीजों से कोई शुल्क नहीं मांगते थे. इसका 60-70 साल पहले मुझे खुद अनुभव रहा है. वैद्यों को मरीज लोग या तो दवा का पैसा देते थे या वहां रखे दानपात्र में कुछ राशि डाल देते थे. मोहन भागवत के कथन से सीख लेकर यदि सरकार हमारी शिक्षा व चिकित्सा व्यवस्था में बुनियादी परिवर्तन कर सके तो देश को उसका यह स्थायी योगदान होगा. 

Web Title: Mohan Bhagwat statement and need for rejuvenation of education-medical sector

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