वर्तमान में मानव गतिविधियों से जितनी मिट्टी, पत्थर और रेत अपनी जगह से हटाई जाती है, वह सभी प्राकृतिक कारणों से हटने वाली कुल मात्रा से बहुत अधिक है। हरेक वर्ष जितने कांक्रीट का उत्पादन किया जाता है उससे पूरी पृथ्वी पर 2 मिलीमीटर मोटी परत चढ़ाई जा सकती ...
आपको बता दें कि नौकरशाह ही वास्तव में देश के विकास को गति देते हैं। लेकिन इनमें जब काम करने के बजाय पैसे कमाने की होड़ और काम अटकाने की प्रवृत्ति दिखाई देती है तो ऐसे में केवल इनसे केवल निराशा ही होती है। ...
पर्यूषण पर्व का शाब्दिक अर्थ है-आत्मा में अवस्थित होना. यह पर्व मानव-मानव को जोड़ने व मानव हृदय को संशोधित करने का पर्व है, यह मन की खिड़कियों, रोशनदानों व दरवाजों को खोलने का पर्व है. ...
भारत दुनिया में तेजी से आर्थिक महाशक्ति बनने की ओर अग्रसर होता राष्ट्र है. देश में विकास की फिजां बन रही है. रोजगार एवं व्यापार की अनेक संभावनाएं आ रही हैं, इसके बावजूद बड़ी संख्या में भारतीय पलायन कर रहे हैं. ...
रेगिस्तान या मरुस्थल के रूप में बंजर, शुष्क क्षेत्रों का विस्तार होता जा रहा है. इसके लिए हम मानव ही दोषी हैं. अति दोहन एवं प्रकृति के प्रति उपेक्षा के कारण ऐसा हो रहा है. ...