देश के सर्वोच्च कॉर्पोरेट घराने के मुनाफे के आंकड़ों पर नजर जाती है और अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों की बदहाली के आंकड़ों से उसकी तुलना की जाती है. ...
चुनावी संघर्ष इतना सघन और जटिल है कि 23 मई बहुत पास होते हुए भी बहुत दूर दिखाई पड़ती है. हर हफ्ते चुनावी मुहिम के आख्यान की दिशा बदल जाती है. पलड़ा कभी इधर झुकता है, तो कभी उधर. लोकतंत्र प्रतीक्षा कर रहा है कि उसे अंतत: क्या और कौन सा लोकलुभावनवाद मि ...
कहने के लिए भाजपा पूरे देश के पैमाने पर राजग के नेतृत्वकारी दल की हैसियत से चुनाव लड़ रही है, लेकिन ऐसा उसने केवल बिहार के संदर्भ में ही करना क्यों पसंद किया? ...
गांधी मैदान में पहले उन्होंने पुलवामा के संदर्भ में राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रश्न को चुनावी वितंडे की शैली में पेश किया और फिर उसके बाद पांच साल में शुरू की गई अपनी योजनाओं और उनकी सफलता की दावेदारियों को गिनाने लगे. ...
कांग्रेस और भाजपा के रवैये में यही फर्क है। भाजपा ने चुनाव से पहले कुछ भी किया हो, लेकिन चुनाव के ठीक पहले वह विनम्र होकर हर किस्म के गठजोड़ के मूड में है, बावजूद इसके कि उसका पलड़ा पहले से भारी है। ...
जैसे-जैसे बीतते वक्त के साथ पुलवामा में सीआरपीएफ पर हुए आत्मघाती हमले का सदमा कम होगा, वैसे-वैसे राजनीतिक दल (सत्तारूढ़ और विपक्षी) यह आकलन करने की तरफ बढ़ेंगे ...
कुंभ की धर्म संसद में जैसे मोहन भागवत ने चार महीने रुकने और अगले साल तक इंतजार करने का आग्रह किया, वैसे ही वे भगवाधारी उनके विरोध में खड़े हो गए जो किसी समय विहिप के इशारे पर चलते थे. ...
किसानों के साथ इस बजट ने मध्यवर्ग के तीन करोड़ करदाताओं को भी राहत देने का दावा किया है. इसके मुताबिक पांच लाख तक की आमदनी पर एक करदाता को साढ़े बारह हजार रुपए सालाना का लाभ होगा. ...