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कनाडा के लिए अल्पमत की सरकार कभी अच्छी तो कभी बुरी क्यों है

By भाषा | Updated: September 22, 2021 16:38 IST

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(अलेक्स मारलैंड, प्रोफेसर, राजनीतिक विज्ञान, मेमोरियल यूनिवर्सिटी ऑफ न्यूफाउंडलैंड)

न्यूफाउंडलैंड (कनाडा), 22 सितंबर (द कन्वरसेशन) कनाडा में एक बार फिर अल्पमत की सरकार बनी है। यह कनाडा के लोकतंत्र के लिए अच्छा है या बुरा? अभी तक ज्यादातर यह अच्छा रहा है।

कई लोगों को यह बात पसंद है कि हाउस ऑफ कॉमंस में कम सीटों के साथ सरकार चलाने वाली पार्टी को विपक्षी दलों के साथ मिलकर काम करने की जरूरत होगी।

अल्पमत की सरकार संसदीय प्रणाली की पुरानी समस्या को कम करती है जिसके तहत प्रधानमंत्री और वरिष्ठ राजनेताओं के पास ज्यादा ताकत होती है। जन नीति को आगे बढ़ाने या संसद में सांसदों के समर्थन पर यकीन कर बेरोकटोक आगे बढ़ने की जगह अल्पमत की सरकार विचार-विमर्श पर अधिक समय देती है।

अल्पमत की सरकार में छोटे दल भी मायने रखते हैं। सांसदों के मत का ज्यादा प्रभाव रहता है, अगर उनका समर्थन नहीं मिला तो सरकार गिर सकती है। शासक दल संसदीय समितियों पर हावी नहीं होते। इसके बजाए समितियों के पास सरकार पर नजर रखने की ज्यादा स्वतंत्रता होती है।

जीत जीत होती है

त्रूदो और उनके मुख्य राजनीतिक सहयोगियों के नजरिए से देखें तो अल्पसंख्यक सरकार की भी जीत होती है। वह अब भी प्रधानमंत्री हैं, उनके अधिकतर मंत्री फिर से निर्वाचित हुए हैं और लिबरल्स के पास पर्याप्त सीटें हैं जिससे उनके नेतृत्व को अंदर से फिलहाल कोई खतरा नहीं है।

लेकिन त्रूदो कई कारणों से बहुमत की सरकार चाहते थे। प्रधानमंत्री और उनकी टीम ने महामारी के समय जिस तरीके से काम किया, बहुमत की सरकार नहीं होने पर उसमें बाधा आ सकती है।

अगर संसदीय समितियां उनकी सरकार की नैतिक खामियों की जांच करती है तो वह चीजों को बंद कर सकते हैं और गवर्नर जनरल से संसद को भंग करने के लिए कह सकते हैं। अगली बार जब वह जल्द चुनाव कराना चाहेंगे तो सत्ता में बने रहने के उनके प्रयास कनाडा के लोगों की जेहन में तरोताजा रहेंगे।

हाल के इतिहास से हमें पता चलता है कि कनाडा के लोग अल्पसंख्यक सरकार के दौरान हुए राजनीतिक खेल से कितने उब गए थे। 2004 से 2011 के दौरान पॉल मार्टिन ने लिबरल अल्पसंख्यक सरकार का नेतृत्व किया तथा स्टीफन हार्पर ने लगातार दो बार कंजरवेटिव अल्पसंख्यक सरकार का नेतृत्व किया।

आने वाली चुनौतियां

अल्पसंख्यक सरकार में हम चुनौतियों की उम्मीद करते हैं। लगातार राजनीति होगी। राजनीतिक दल चुनावी मोड में होंगे। मीडिया और राजनीतिक विश्लेषक हमेशा कयास लगाएंगे कि सरकार गिरेगी या बचेगी या मध्यावधि चुनाव होंगे।

विपक्षी दल हर अवसर पर सरकार को घेरने का प्रयास करेंगे और मीडिया के लिए हमेशा कुछ न कुछ रिपोर्ट करने का मसाला मौजूद रहेगा। राजनीतिक दल एक ही भय से एकजुट रह सकेंगे कि चुनाव होने पर उन्हें धन और सीट दोनों लिहाज से महंगा पड़ेगा।

प्रधानमंत्री अल्पसंख्यक सरकार नहीं चाहते या वे नहीं चाहते कि उनके अधिकार सीमित हों। महामारी के दौरान कनाडा ने अच्छा काम किया और आगे अब ससंद एवं सांसदों की बड़ी भूमिका होगी।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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