ज्यादातर अर्थशास्त्री आखिर क्यों लॉकडाउन का लगातार कर रहे हैं समर्थन?

By भाषा | Updated: July 10, 2021 16:09 IST2021-07-10T16:09:44+5:302021-07-10T16:09:44+5:30

Why are most economists constantly supporting the lockdown? | ज्यादातर अर्थशास्त्री आखिर क्यों लॉकडाउन का लगातार कर रहे हैं समर्थन?

ज्यादातर अर्थशास्त्री आखिर क्यों लॉकडाउन का लगातार कर रहे हैं समर्थन?

(जॉन क्वीग्गीन, प्राध्यापक, स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स, द यूनिवर्सिटी ऑफ क्वींसलैंड और रिचर्ड होल्डेन, प्रोफेसर ऑफ इकोनॉमिक्स, यूएनएसडब्ल्यू)

सिडनी/ब्रिस्बेन, 10 जुलाई (द कन्वरसेशन) ऑस्ट्रेलिया के सिडनी में कहीं अधिक लंबे लॉकडाउन की संभावना के बीच कोरोना वायरस के साथ रहने का विचार एक बार फिर से जोर पकड़ रहा है।

हालांकि, ऑस्ट्रेलिया के दक्षिण पूर्वी प्रांत न्यू साउथ वेल्स (एनएसडब्ल्यू) के स्वास्थ्य मंत्री ब्रैड हजार्ड ने बुधवार को संवाददाता सम्मेलन में लॉकडाउन को छोड़ने और यह स्वीकार करने पर जोर दिया कि वायरस का एक जीवनकाल होता है, जो समुदाय में बना रहेगा।

प्रांत के प्रीमियर ग्लेडीस बेरेजिकलियन और देश के प्रधानमंत्री मॉरीसन ने इस विचार को खारिज कर दिया है, लेकिन मीडिया में कुछ विशेषज्ञ इसका समर्थन कर रहे हैं।

जन स्वास्थ्य विशेषज्ञ जीवन बचाने का समर्थन करते देखे जा रहे हैं, जबकि अर्थशास्त्री पैसे बचाने की हिमायत कर रहे हैं।

हालांकि, वास्तविकता यह है कि ऑस्ट्रेलियाई अर्थशास्त्रियों का एक बड़ा हिस्सा संक्रमण के मामलों को घटा कर शून्य के करीब करने या संक्रमण का प्रसार शुरू होने का खतरा पैदा होने पर सख्त कदम उठाने की नीतियों का समर्थन कर रहे हैं।

व्यापक सहमति :

महामारी विशेषज्ञों के मुताबिक किसी खास मामले में उपयुक्त प्रतिक्रिया को लेकर कई विचारों पर व्यापक सहमति है।

कुछ अर्थशास्त्री और कुछ महामारी विशेषज्ञों ने लॉकडाउन में विलंब करने के प्रांतीय सरकार के फैसले का समर्थन किया है जबकि अन्य चाहते हैं कि शीघ्र कार्रवाई हो। लेकिन दोनों समूहों में कुछ ही लोग पाबंदियां खत्म करने के विचार का समर्थन कर रहे हैं और समुदाय में प्रतिरक्षा उत्पन्न होने का इंतजार कर रहे हैं।

घातांकी वृद्धि को समझना:

क्या कारण है कि अर्थशास्त्री, नेताओं और प्रमुख कारोबारियों की तुलना में कहीं अधिक उत्साह से मामले को घटा कर शून्य करने पर सहमत हुए हैं?

पहला कारण यह है कि अर्थशास्त्री (संक्रमण की) घातांकी वृद्धि की अवधारणा को समझते हैं।

जब आप यह समझ लेते हैं कि किस तीव्रता से घातांकी प्रक्रियाएं बढ़ सकती हैं, तो लॉकडाउन अपना महत्व खोने लगता है, जैसा कि द ऑस्ट्रेलियन ने अपने संपादकीय में कहा है।

द कन्वरसेशन ने (राष्ट्रीय लॉकडाउन खत्म होने के बाद) मई 2020 में एक सर्वक्षेण किया था, जिसमें ज्यादातर अर्थशास्त्रियों ने सामाजिक दूरी के नियमों को सख्ती से लागू किये जाने का समर्थन किया था।

तथ्यों के विपरीत विचार करते हुए:

दूसरा यह कि अर्थशास्त्रियों ने तथ्यों के विपरीत विचार करते हुए यह समझा कि एक वैकल्पिक नीति के तहत क्या हो सकता है।

यह रेखांकित करना आसान है कि लॉकडाउन न सिर्फ आर्थिक दृष्टिकोण से महंगा है बल्कि यह मनोवैज्ञानिक रूप से भी परेशान करने वाला है, लेकिन तथ्य के विपरीत बात यह है कि अर्थव्यवस्था प्रभावित नहीं है और हर कोई खुश है। वायरस के डर के साये में जीना, परिवार और मित्रों को इससे संक्रमित और मरते देखना मनोवैज्ञानिक रूप से सदमा देने वाला है।

जहां तक इसके आर्थिक पहलुओं की बात है लोग संक्रमण से बचने के लिए, जो कदम उठाते हैं वह अपने आप में महंगा है।

दो विपरीत स्थितियों के बीच संतुलन बनाना:

तीसरा और सबसे महत्वपूर्ण यह कि अर्थशास्त्री दो विपरीत वांछनीय स्थितियों के बीच संतुलन बनाना जानते हैं। अर्थशास्त्री यह भी समझते हैं कि सभी विकल्पों में दो विपरीत स्थितियों के बीच संतुलन बनाया जाता है।

मामलों की संख्या घटा कर शून्य के करीब करना बनाम समुदाय में प्रतिरक्षा उत्पन्न होने के केंद्रीय सवाल पर एकमात्र यह निष्कर्ष निकला है कि वायरस को अनियंत्रित तरीके से फैलने देने पर अस्थायी लॉकडाउन की तुलना में कहीं अधिक आर्थिक नुकसान होगा।

जोखिम और अनिश्चितता:

आखिरकार, अर्थशास्त्री जोखिम और अनिश्चितता की जटलिताओं को समझते हैं।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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