रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को अगले दशक के मध्य तक सत्ता में बने रहने के लिए मतदाताओं का समर्थन मिला है। रूसी मतदाताओं ने उस संविधान में बदलावों को मंजूरी दे दी है, जो राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को 2036 तक सत्ता पर काबिज होने की अनुमति देगा।
चुनाव कमीशन द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार 72 प्रतिशत लोगों ने संविधान संशोधन का समर्थन किया है। चुनाव अधिकारियों ने यह आंकड़ा 20 फीसदी वोटों की संख्या के आधार पर जारी किया है। हालांकि बुधवार को संपन्न हुए सप्ताह भर के जनमत संग्रह में मतदाताओं पर दबाव और अन्य अनियमितताओं की व्यापक रिपोर्ट सामने आईं।
कोरोना वायरस महामारी के कारण भीड़भाड़ कम करने के उद्देश्य से पहली बार रूस में मतदान की प्रकिया एक सप्ताह तक चली। इस संविधान संशोधन कानून के जरिए व्लादिमीर पुतिन का वर्तमान कार्यकाल साल 2024 में समाप्त होने के बाद उन्हें छह छह साल के दो अतिरिक्त कार्यकाल के लिए राष्ट्रपति पद मिलना तय है।
राजनीतिक विश्लेषक और क्रेमलिन के पूर्व राजनीतिक सलाहकार ग्लेब पाव्लोव्स्की ने कहा कि कोरोना वायरस संक्रमण के खतरे को दरकिनार कर पुतिन द्वारा मतदान कराया जाना उनकी संभावित कमजोरी को दर्शाता है। पाव्लोव्स्की ने कहा, “पुतिन को अपने करीबियों का विश्वास हासिल नहीं है और वह इस बात को लेकर चिंतित हैं कि भविष्य में क्या होगा।” उन्होंने कहा, “उन्हें इस बात का पुख्ता सबूत चाहिए कि जनता उनका समर्थन करती है।”
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने संविधान में बदलाव का प्रस्ताव जनवरी में किया था, लेकिन इस बात से इनकार कर रहे थे कि वह अपना कार्यकाल बढ़ाना चाहते हैं। बता दें कि 67 साल व्लादिमीर पुतिन 20 साल से रूस के राष्ट्रपति हैं और 2036 में जब उनका कार्यकाल समाप्त होगा तब वह 84 साल के हो जाएंगे।