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श्रीलंका में स्थानीय चुनावों के स्थगित होने पर भड़की हिंसा, 15 जख्मी

By आशीष कुमार पाण्डेय | Updated: February 27, 2023 09:58 IST

श्रीलंका में स्थानीय चुनावों के स्थगित होने के कारण लोगों का गुस्सा फूट पड़ा। इस कारण रविवार को आम जनता और पुलिस के बीच जमकर संघर्ष हुआ। हालात इतने खराब हो गये कि नाराज प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस को पानी की बौछारों और आंसू गैस का सहारा लेना पड़ा। इस संघर्ष में 15 लोगों के जख्मी होने की सूचना है।

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ठळक मुद्देश्रीलंका की राजधानी कोलंबो में फिर भड़की हिंसा, 15 लोग हुए जख्मी स्थानीय चुनावों के स्थगित होने के कारण फूटा लोगों का गुस्साश्रीलंका सरकार ने आर्थिक बदहाली का हवाला देते हुए स्थगित किया था स्थानीय चुनाव

कोलंबो:श्रीलंका सरकार द्वारा आर्थिक बदहाली का हवाला देते हुए स्थगित किये गये स्थानीय चुनावों के स्थगित होने के कारण लोगों का गुस्सा फूट पड़ा। इस कारण रविवार को आम जनता और पुलिस के बीच जमकर संघर्ष हुआ। हालात इतने खराब हो गये कि नाराज प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस को पानी की बौछारों और आंसू गैस का सहारा लेना पड़ा।

बताया जा रहा है कि इस हिंसक संघर्ष में कम से कम 15 लोगों के घायल होने की सूचना है, जिनका इलाज कोलंबो नेशनल हॉस्पिटल में किया जा रहा है। दरअसल स्थिति तब ज्यादा खराब हो गई जब श्रीलंका की मुख्य विपक्षी पार्टी नेशनल पीपुल्स पावर पार्टी के हजारों समर्थक राजधानी कोलंबो की सड़क पर उतर गये। जबकि अदालत ने उन्हें ऐसा करने से मना किया था और उन्होंने प्रदर्शनकारियों ने पुलिस चेतावनी को भी अनदेखा कर दिया।

मामले में हिंसा तब भड़की जब भीड़ उस क्षेत्र में प्रवेश करने लगी, जहां राष्ट्रपति के आवास, उनका कार्यालय और साथ में कई अन्य प्रमुख सरकारी भवन शामिल हैं। इस घटना से पूर्व भी पिछले जुलाई में बड़े पैमाने पर प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति कार्यालय और उनके निवास पर धावा बोल दिया था और उन पर कई दिनों तक कब्जा बनाये रखा था। उससे पहले तत्कालीन राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे देश से भागने पर मजबूर हो गये थे।

दरअसल भारी आर्थिक तबाही के कारण श्रीलंका दिवालिया हो गया, जिसके कारण वहां पर खाद्य पदार्थों, ईंधन, रसोई गैस और जरूरी दवाइयों की भारी किल्लत पैदा हो गई थी क्योंकि श्रीलंका विदेशी ऋण का भुगतान करने में पूरी तरह से फेल हो गया था।

गोटबाया राजपक्षे के पद छोड़ने के बाद राष्ट्रपति बने रानिल विक्रमसिंघे ने अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के साथ चार वर्षों में 2.9 बिलियन डॉलर के राहत पैकेज के लिए बातचीत की, लेकिन अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने उसे देने के लिए शर्त रख दी है कि श्रीलंका पहले अपने लोन रिव्यू का आश्वासन दें। मौजूदा समय में श्रीलंका पर कुल विदेशी ऋण 51 अरब डॉलर से अधिक का है, जिसमें से उसे 28 अरब डॉलर तो 2027 तक चुकाना है।

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