UNHRC में भारत ने पाकिस्तान को किया बेनकाब, दिया ये करारा जवाब
By भाषा | Published: September 10, 2019 09:11 PM2019-09-10T21:11:40+5:302019-09-10T21:11:40+5:30
विदेश मंत्रालय की सेक्रेटरी (ईस्ट) विजय ठाकुर सिंह ने जिनेवा में यूएनएचआरसी में पाकिस्तान को बेनकाब करते हुए कहा कि सीमा पार आतंकवाद के खतरों को देखते हुए लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कश्मीर में अस्थायी एहतियाती कदम उठाये गये।
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) में भारत ने कहा कि जम्मू कश्मीर में भारत द्वारा हाल में उठाये गये विधायी कदम देश के संविधान के कार्य ढांचे के तहत है। यह एक संप्रभु निर्णय और भारत का आंतरिक मामला था। कोई भी देश अपने आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप स्वीकार नहीं कर सकता है।
विदेश मंत्रालय की सेक्रेटरी (ईस्ट) विजय ठाकुर सिंह ने जिनेवा में यूएनएचआरसी में पाकिस्तान को बेनकाब करते हुए कहा कि सीमा पार आतंकवाद के खतरों को देखते हुए लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कश्मीर में अस्थायी एहतियाती कदम उठाये गये। हमें उन लोगों की निंदा करनी चाहिए जो मानवाधिकारों की आड़ में दुर्भावनापूर्ण राजनीतिक एजेंडों के लिए इस मंच का दुरुपयोग कर रहे हैं।
भारत ने कहा कहा कि जम्मू कश्मीर प्रशासन बुनियादी सेवाओं, संस्थानों के सामान्य कामकाज, आवागमन और लगभग पूर्ण संपर्क सुनिश्चित कर रहा है। असम में एनआरसी एक वैधानिक, पारदर्शी, भेदभावरहित कानूनी प्रक्रिया है और इसकी निगरानी उच्चतम न्यायालय द्वारा की गई है।
बता दें इससे पहले पाकिस्तान ने कश्मीर में स्थिति पर मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद द्वारा एक अंतरराष्ट्रीय जांच कराने की मांग की और कहा कि भारत द्वारा जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने के बाद के हालात पर विश्व मानवाधिकार संस्था को ‘‘उदासीन’’ नहीं रहना चाहिए।
पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने यहां संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) के 42वें सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि शीर्ष मानवाधिकार निकाय को मुद्दे को लेकर अपनी निष्क्रियता से विश्व मंच पर शर्मसार नहीं होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि यूएनएचआरसी को भारत द्वारा पांच अगस्त को जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म किए जाने के बाद कश्मीर की स्थिति के प्रति तटस्थ भाव नहीं अपनाना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘आज मैंने कश्मीर के लोगों के लिए न्याय और सम्मान की खातिर मानवाधिकार पर विश्व की अंतरात्मा के महत्वपूर्ण स्थल मानवाधिकार परिषद का दरवाजा खटखटाया है।’’
कुरैशी ने परिषद को भारत से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद प्रस्तावों और अन्य मानवाधिकार नियमों के तहत प्रतिबद्धता पूरी करने के लिए पैलेट गन का इस्तेमाल रोकने, कर्फ्यू हटाने, पाबंदियां खत्म करने और संचार पर रोक हटाने, मौलिक आजादी बहाल करने, राजनीतिक बंदियों को छोड़ने के वास्ते तुरंत अनुरोध करने को कहा।
उन्होंने परिषद से मानवाधिकार के लिए संयुक्त राष्ट्र आयुक्त कार्यालय की सिफारिश के अनुसार कश्मीर में स्थिति की जांच के लिए एक आयोग गठित करने को कहा । कुरैशी ने कहा, ‘‘ हमें इस प्रतिष्ठित संस्था को वैश्विक मंच पर लज्जित नहीं होने देना चाहिए। इस परिषद का संस्थापक सदस्य होने के नाते पाकिस्तान ऐसा होने से रोकने के लिए नैतिक रूप से बाध्य है।’’
उन्होंने कहा कि जो हुआ है उसके प्रति निकाय को उदासीन नहीं रहना चाहिए। पिछले महीने भारत ने जम्मू कश्मीर से जुड़े अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को निरस्त कर दिया था और इसे दो केंद्रशासित प्रदेश में बांट दिया था। भारत के कदम पर पाकिस्तान की तरफ से तीखी प्रतिक्रिया आयी और प्रधानमंत्री इमरान खान ने लगातार भारत विरोधी बयानबाजी की। भारत ने इन बयानों को ‘गैरजिम्मेदाराना’ बताया।
डॉन अखबार ने कुरैशी के हवाले से कहा, ‘‘हमें निर्णायक रूप से और दृढ़ विश्वास के साथ काम करना चाहिए।’’ कुरैशी ने कहा कि कश्मीरी लोगों को मौलिक मानवाधिकारों से वंचित किया गया है। कश्मीर के लोगों की बुनियादी सुविधा और संचार के माध्यमों तक पहुंच नहीं है।
उन्होंने दावा किया कि क्षेत्र में दुकानों और अस्पतालों में सामानों की आपूर्ति नहीं हो पा रही और कश्मीर के राजनीतिक नेतृत्व को नजरबंद कर दिया गया या उन्हें बंदी बना लिया गया। उन्होंने कहा कि पांच अगस्त को अनुच्छेद 370 खत्म करने का भारत का एकतरफा फैसला अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत अवैध है। उनका बयान ऐसे वक्त आया है, जब एक दिन पहले संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख मिशेल बैचलेट ने कश्मीर में पाबंदियों के असर पर ‘‘गहरी चिंता’’ प्रकट की थी और भारत को बुनियादी सेवा तक लोगों की पहुंच सुनिश्चित करने के लिए मौजूदा पाबंदियों में ढील देने को कहा था।