संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन में 66 देशों ने जताया शून्य कार्बन उत्सर्जन का संकल्प

By भाषा | Updated: September 24, 2019 06:44 IST2019-09-24T06:44:50+5:302019-09-24T06:44:50+5:30

इस सम्मेलन में ब्राजील के राष्ट्रपति जैर बोलसोनारो भी मौजूद नहीं होंगे जिनके नेतृत्व के दौरान अमेजन के वर्षावन में आग लगातार भड़की हुई है। ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री स्कॉट मोरिसन भी इस दौरान उपलब्ध नहीं होंगे।

UN More than 60 nations vow to be carbon free by 2050 | संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन में 66 देशों ने जताया शून्य कार्बन उत्सर्जन का संकल्प

प्रतीकात्मक फोटो

Highlightsन्यूयॉर्क में 136 राष्ट्रों या सरकारों के प्रमुखों में आधे से कुछ कम सोमवार को संरा महासभा में उपस्थित होंगे। जो लोग अनुपस्थित रहेंगे उस सूची में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का नाम भी शामिल है।

पेरिस समझौते को फिर बल देने के लिये संयुक्त राष्ट्र में करीब 60 देशों के नेता सोमवार को “जलवायु आपदा” शिखर सम्मेलन के लिये साथ आए। यह सम्मेलन ऐसे वक्त हो रहा है जब वायुमंडल में हरित गैसों का उत्सर्जन सार्वकालिक उच्च स्तर पर है। भीषण लू से लेकर तूफान और चक्रवात से लेकर महासागरों में बढ़ती अम्लता ये सब बढ़ते वैश्विक तापमान के प्रभाव हैं जिन्हें पहले से कहीं ज्यादा महसूस किया जा सकता है। यह तब हो रहा है जब वैज्ञानिकों ने इस विनाशक्रम को रोकने के लिये कार्बन उत्सर्जन को घटाने की मांग की है। इस दिशा में अब तक की गई कार्रवाई के बावजूद यह अंतर बढ़ ही रहा है। 

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने सम्मेलन की औपचारिक शुरुआत से पहले एक बयान में कहा, “जलवायु आपदा एक ऐसी दौड़ है जिसमें हम पिछड़ रहे हैं, लेकिन यह ऐसी दौड़ है जिसे हम जीत सकते हैं।” इस सम्मेलन में घोषणा की गई कि 66 राष्ट्रों ने 2050 तक शून्य कॉर्बन डाईऑक्साइड उत्सर्जन के लक्ष्य को हासिल करने की मंशा जताई है। इसे जलवायु परिवर्तन के दीर्घकालिक प्रभावों को रोकने की दिशा में अहम लक्ष्य माना जा रहा है। अभी सिर्फ 20 देशों ने अपने राष्ट्रीय कानून में इसे शामिल किया है या इसे लागू करने के लिये ठोस नीतियां बनाई हैं। यूरोपीय संघ को इस बारे में 2020 तक सदस्य देशों के बीच आम सहमति बनने की उम्मीद है। 

एक अन्य शुरुआती घोषणा में फ्रांसीसी राष्ट्रपति एमेनुएल मैक्रों ने वर्षावनों के संरक्षण को अहम मुद्दा बनाते हुए चिली, कोलंबिया और बोलीविया के अपने समकक्षों को एक बैठक के लिये आमंत्रित किया जिसमें 50 करोड़ डॉलर के अतिरिक्त कोष की व्यवस्था विश्व बैंक, अंतर अमेरिकी विकास बैंक और गैर लाभकारी कन्जर्वेशन इंटरनेशनल के जरिये की गई है। यह शिखर सम्मेलन ऐसे वक्त हो रहा है जब युवाओं के नेतृत्व में जलवायु परिवर्तन को लेकर नए सिरे से अलख जलती दिख रही है और इसकी प्रतीक बनकर उभरी है स्वीडेन की किशोरी ग्रेटा थनबर्ग जो गुतारेस के संबोधन के बाद सुबह मंच संभालेगी। 

न्यूयॉर्क में 136 राष्ट्रों या सरकारों के प्रमुखों में आधे से कुछ कम सोमवार को संरा महासभा में उपस्थित होंगे। जो लोग अनुपस्थित रहेंगे उस सूची में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का नाम भी शामिल है जिन्होंने अपने देश को पेरिस समझौते से अलग कर लिया था। ट्रंप ने हालांकि रविवार को संवाददाताओं को कहा था कि वह ह्यूस्टन में बाढ़ प्रभावित लोगों से मिलने जाएंगे। उन्होंने कहा था, ‘‘बाढ़ मेरे लिये बेहद महत्वपूर्ण है। और जलवायु परिवर्तन-सभी चीजें बेहद जरूरी है।’’ 

इस सम्मेलन में ब्राजील के राष्ट्रपति जैर बोलसोनारो भी मौजूद नहीं होंगे जिनके नेतृत्व के दौरान अमेजन के वर्षावन में आग लगातार भड़की हुई है। ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री स्कॉट मोरिसन भी इस दौरान उपलब्ध नहीं होंगे। अब तक दुनिया का सबसे बड़े कार्बन उत्सर्जक रहा चीन इस सम्मेलन में शामिल होगा और उसका प्रतिनिधित्व विदेश मंत्री वांग यी करेंगे।

चीन अक्षय उर्जा के क्षेत्र में भी अग्रणी है और गुतारेस ने पिछले हफ्ते संकेत दिये थे कि पूर्वी एशिया का यह दिग्गज देश नए उपायों को अपनाने को लेकर प्रतिबद्ध है। सुबह के सत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपना संबोधन देंगे। उनके साथ न्यूजीलैंड, मार्शन आइलैंड और जर्मनी की एंजला मर्केल भी सम्मेलन को संबोधित करेंगी।

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