हारे हुए खिलाड़ियों का हौसला बढ़ाता है शख्स, रोज दो घंटे करता है ये काम

By वैशाली कुमारी | Published: August 7, 2021 03:26 PM2021-08-07T15:26:11+5:302021-08-07T15:26:11+5:30

जापान का रहने वाला यह शख्स हर सुबह अपने हाथ में खिलाड़ियों का हौसला बढ़ाने वाला बोर्ड लेकर ओलंपिक विलेज के बाहर खड़ा हो जाता है।

The person encourages the lost players, does this work for two hours every day | हारे हुए खिलाड़ियों का हौसला बढ़ाता है शख्स, रोज दो घंटे करता है ये काम

जापान का रहने वाला यह शख्स रोज ओलंपिक विलेज के बाहर खिलाड़ियों का हौसला बढ़ाने आ जाता है।

Highlightsएक प्रतिद्वंदी केवल तभी तक प्रतिद्वंदी होता है जबतक वो आपके सामने मैदान में होखेल को खेल की तरह लेना और सामने वाले को भी सम्मान देना खेल भावना हैएक शख्स हर रोज ओलंपिक विलेज के बाहर खिलाड़ियों का हौसला बढ़ाने आ जाता है

"गुड मॉर्निंग एथलेटिक्स, अगर आप कोई मेडल नहीं जीतते तब भी आप बेस्ट हैं, इसलिए अपने आप पर विश्वास कीजिए।" इस हौसला बढ़ाने वाले बैनर के साथ एक शख्स हर रोज ओलंपिक विलेज के बाहर आ जाता है। 

जापान का रहने वाला यह शख्स हर सुबह अपने हाथ में खिलाड़ियों का हौसला बढ़ाने वाला बोर्ड लेकर ओलंपिक विलेज के बाहर खड़ा हो जाता है, जिसपर लिखी लाइन हर खिलाड़ी का हौसला बढ़ाती है। यह शख्स हर रोज खिलाड़ियों के हौसला अफजाई के लिए इस बोर्ड को हाथ में थामे दो घंटे खड़ा रहता है।

रोज जब एथलेटिक्स की बसें इस रास्ते से गुजरती हैं तो हर खिलाड़ी इस शख्स को निहारता है। और वापस आते वक्त चाहे उसने पदक जीता हो या ना जीता हो इस शख्स से मिलता है। कई सारे खिलाड़ियों ने इस शख्स की प्रशंशा की है और उनसे मिलने वाली प्रेरणा के बारे में बताया। 

खेल को खेल की तरह लेना और सामने वाले को भी सम्मान देना खिलाड़ी भावना है। हर खेल में हम देखते है की जीतने वाला, हारने वाले को सम्मान देता है और उसके प्रति सम्मान व्यक्त करता है। मगर हाल फिलहाल के समय में यह चीज गायब होती जा रही है जिसका खिलाड़ियों पर नकारात्मक असर हो रहा है।

हाल ही में एक एक अमेरीकी जिमनास्ट ने फाइनल से यह कहकर विदा लिया कि उन्हें पहले अपनी मानसिक सेहत पर ध्यान देना है। उनके इस कदम की चारो ओर प्रशंसा हो रही है। जब एक खिलाड़ी दूसरे के पास जाकर उनके जीत या हार का साथी बनता है तो यह खेल के लिए अच्छा होता है। 

एक प्रतिद्वंदी केवल तभी तक प्रतिद्वंदी होता है जबतक वो आपके सामने मैदान में हो। मैदान के बाहर वो एक इंसान होता है। और जब बात ओलंपिक जैसे खेलों के महाकुंभ की हो तो हर खिलाड़ी के ऊपर इतना ज्यादा दबाव होता है जिससे उबारना और खेलना मुश्किल होता है।

हाल ही में जब भारतीय टीम ब्रिटेन से हारी तो ब्रिटेन के खिलाड़ियों ने आगे आकर भारतीयों के साथ अच्छा व्यवहार किया जोकि एक अच्छा संकेत है। भारतीय मुक्केबाज जब उज़्बेकिस्तान के मुक्केबाज से हारता है तो उज़्बेकिस्तान के मुक्केबाज ने भी भारतीय की तारीफ की और उनका हौसला बढ़ाया।

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