उत्तरी अफगानिस्तान में तालिबान के बढ़ते प्रभाव के कारण लोग घर छोड़कर जाने को मजबूर

By भाषा | Updated: July 13, 2021 13:25 IST2021-07-13T13:25:03+5:302021-07-13T13:25:03+5:30

The growing influence of the Taliban in northern Afghanistan forced people to leave their homes. | उत्तरी अफगानिस्तान में तालिबान के बढ़ते प्रभाव के कारण लोग घर छोड़कर जाने को मजबूर

उत्तरी अफगानिस्तान में तालिबान के बढ़ते प्रभाव के कारण लोग घर छोड़कर जाने को मजबूर

कैंप इस्तिकलाल (अफगानिस्तान), 13 जुलाई (एपी) उत्तरी अफगानिस्तान में तालिबान की सक्रियता बढ़ने के कारण हजारों लोग अपने घर छोड़ने को मजबूर हो गए हैं। इन हजारों लोगों में से ही एक है 11 या शायद 12 वर्षीय सकीना, जिसे तालिबान के उसके गांव पर कब्जा करने और स्थानीय स्कूल को जलाकर खाक करने के बाद अपने परिवार के साथ अपना घर छोड़ना पड़ा।

देश के उत्तरी हिस्से में स्थित मजार-ए-शरीफ में एक चट्टान पर बने एक अस्थायी शिविर में ऐसे करीब 50 मजबूर परिवार रह रहे हैं। वे प्लास्टिक के टेंट में चिलचिलाती गर्मी में रहते हैं, जहां दोपहर में पारा 44 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है। इस स्थान पर एक भी पेड़ नहीं है और पूरे शिविर के लिए केवल एक शौचालय है। वह एक गंदा सा तंबू है, जो एक गड्ढे पर बना है, जिसमें से काफी दुर्गंध आती है।

सरकार के शरणार्थी एवं प्रत्यावर्तन मंत्रालय के अनुसार, तालबिान की गतिविधियों के बढ़ने के कारण पिछले 15 दिन में 56,000 से अधिक परिवार अपना घर छोड़ने को मजबूर हुए हैं, जिनमें से अधिकतर देश के उत्तरी हिस्से से हैं।

कैंप इस्तिकलाल में एक के बाद एक परिवार ने तालिबानी कमांडर द्वारा भारी-भरकम हथकंडे अपनाने की बात बताई, जिन्होंने उनके कस्बों तथा गांवों पर कब्जा कर लिया है। इनमें से अधिकतर लोग जातीय अल्पसंख्यक समुदाय ‘हजारा’ से नाता रखते हैं। तालिबान की इन हरकतों से उसके उस वादे के संदर्भ में सवाल खड़े हो गए हैं, जिसमें उसने कहा था कि वे अतीत के अपने कठोर शासन को नहीं दोहराएगा।

शिविर में रह रही सकीना ने बताया कि आधी रात की बात है जब उसके परिवार ने अपना सामान उठाया और वे बल्ख प्रांत स्थित अपने अब्दुलगन गांव से भाग निकले, लेकिन उनके यह कदम उठाने से पहले तालिबान स्थानीय स्कूल में आग लगा चुका था। सकीना ने कहा कि उसे समझ नहीं आता की आखिर उसका स्कूल क्यों जलाया गया।

उन्होंने बताया कि कैंप इस्तिकलाल में बिजली नहीं है और कई बार रात के अंधरे में उन्हें आवाजे सुनाई देते हैं। ‘‘ मुझे लगता है कि शायद तालिबानी यहां आ गए हैं। मैं बहुत डरी हुई हूं।’’ सकीना का सपना एक दिन इंजीनियर बनने का है।

वहीं, सांग शंदा गांव से भागकर आए याकूब मरादी ने बताया कि तालिबान ने उनके गांव के लोगों को धमकाया। मरादी के भाई और परिवार के कई सदस्यों को गिरफ्तार भी कर लिया गया है..‘‘ उन्हें बंधक बना लिया गया है ताकि वह वहां से जाएं नहीं।’’

मरादी ने कहा, ‘‘ शायद उसे आज छोड़ दिया जाए, लेकिन उसे वहां से जाने नहीं दिया जाएगा। ’’

अमेरिका और तालिबान के बीच फरवरी 2020 में हुआ समझौता विद्रोहियों को प्रांतीय राजधानियों पर कब्जा करने से रोकता है, लेकिन अब भी दक्षिण में कंधार और उत्तर में बादगीस पर उनका कब्जा है।

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Web Title: The growing influence of the Taliban in northern Afghanistan forced people to leave their homes.

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