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बाइडन-जिनपिंग मुलाकात के दौरान उठा ताइवान का मुद्दा, शी ने कहा- ताइवान को हथियार देना बंद करे अमेरिका

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: November 16, 2023 19:59 IST

शी ने ताइवान के प्रति अमेरिकी नीति के बारे में अपनी चिंताओं को भी जाहिर किया। शी ने बाइडन से कहा कि ताइवान का मुद्दा हमेशा चीन-अमेरिका संबंधों में सबसे महत्वपूर्ण और संवेदनशील विषय रहा है।

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ठळक मुद्देअमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन और उनके चीनी समकक्ष शी जिनपिंग के बीच मुलाकात हुई उच्च स्तरीय सैन्य संचार फिर से शुरू करने पर सहमति मुलाकात के दौरान उठा ताइवान का मुद्दा

नई दिल्ली: अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन और उनके चीनी समकक्ष शी जिनपिंग ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में तनावपूर्ण संबंधों के दौर के बाद कामकाजी संबंध स्थापित करने के लिए चार घंटे की मुलाकात के दौरान उच्च स्तरीय सैन्य संचार, मादक द्रव्य विरोधी सहयोग और कृत्रिम मेधा पर चर्चा फिर से शुरू करने पर सहमति व्यक्त की है।

दोनों नेताओं ने सैन फ्रांसिस्को में एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग शिखर सम्मेलन से इतर बैठक के दौरान अमेरिका-चीन सरकार की वार्ता के माध्यम से उन्नत कृत्रिम मेधा (एआई) प्रणालियों के जोखिमों को दूर करने और एआई सुरक्षा में सुधार करने की जरूरत पर बल दिया। बाइडन ने कहा कि जी20 से इतर बाली में उनकी आखिरी बैठक के बाद से, दोनों सरकारों के प्रमुख सदस्यों ने उन मुद्दों पर महत्वपूर्ण चर्चा की है जो दोनों देशों और दुनिया के लिए महत्व रखते हैं। बाइडन ने कहा, "हमेशा की तरह, कई बार परिस्थितियां ऐसी होती हैं कि आमने-सामने की चर्चा नहीं हो पाती, लेकिन मैंने हमारी चर्चाओं को सीधा और स्पष्ट रखा है।"

उन्होंने कहा कि हम हमेशा सहमत हों, यह जरूरी नहीं है और इसमें आश्चर्य की कोई बात नहीं है। अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, "लेकिन हमारी बैठकें हमेशा बिंदुओं पर आधारित रही हैं और उपयोगी साबित हुई है। आपने मुझे जो कुछ भी कहा है, उस पर मैंने कभी भी संदेह नहीं किया है। मैं बातचीत को महत्व देता हूं क्योंकि मुझे लगता है कि यह सबसे जरूरी है कि बिना किसी गलतफहमी के आप और मैं एक-दूसरे को स्पष्ट रूप से समझें।"

व्हाइट हाउस ने कहा कि दोनों नेताओं ने क्षेत्रीय और वैश्विक चुनौतियों पर विचारों का आदान-प्रदान किया। राष्ट्रपति बाइडन ने विवाद मुक्त हिंद-प्रशांत के लिए अमेरिका के समर्थन को रेखांकित किया। व्हाइट हाउस ने कहा कि बाइडन ने अपने हिंद-प्रशांत सहयोगियों की रक्षा के लिए अमेरिका की दृढ़ प्रतिबद्धता पर जोर दिया। राष्ट्रपति ने दक्षिण चीन सागर और पूर्वी चीन सागर में शांति एवं स्थिरता बनाए रखने के साथ ही नौवहन एवं उड़ानों की स्वतंत्रता, अंतरराष्ट्रीय कानून का पालन तथा कोरियाई प्रायद्वीप के पूर्ण परमाणु निरस्त्रीकरण के लिए अमेरिका की स्थायी प्रतिबद्धता पर जोर दिया। वहीं चीन की आधिकारिक मीडिया ने शी और बाइडन के बीच हुए समझौतों के बारे में जानकारी दी। चीनी नेता ने अमेरिकी राष्ट्रपति के साथ अपनी बैठक के दौरान प्रारंभिक भाषण में शीर्ष दो अर्थव्यवस्थाओं के बीच तनाव को कम करने की वकालत की, खासकर ऐसे समय में जब चीनी अर्थव्यवस्था मंदी का सामना कर रही है। शी ने कहा, "एक दूसरे को बदलने के लिए जोर डालना अवास्तविक होगा। संघर्ष और टकराव के परिणाम दोनों पक्षों को भुगतने होते हैं। मेरा अब भी मानना है कि प्रमुख देशों के बीच प्रतिस्पर्धा वर्तमान समय के लिए उचित नहीं है और इससे चीन तथा अमेरिका के सामने आने वाली समस्याओं का समाधान नहीं निकाला जा सकता।"

शी ने ताइवान के प्रति अमेरिकी नीति के बारे में अपनी चिंताओं को भी जाहिर किया। शी ने बाइडन से कहा, "ताइवान का मुद्दा हमेशा चीन-अमेरिका संबंधों में सबसे महत्वपूर्ण और संवेदनशील विषय रहा है, अमेरिका को ‘‘ताइवान की स्वतंत्रता’’ का समर्थन नहीं करने के अपने वादे पर कायम रहना चाहिए, ताइवान को हथियार देना बंद करना चाहिए और चीन के शांतिपूर्ण एकीकरण का समर्थन करना चाहिए।"

आधिकारिक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार शी ने कहा, "चीन अंततः फिर से एक हो जाएगा।" ताइवान के बारे में, बाइडन ने शी से दोहराया कि वह एक-चीन नीति को नहीं बदलेंगे। उन्होंने कहा कि इस नीति को पिछले अमेरिकी राष्ट्रपतियों ने भी बरकरार रखा था। उन्होंने कहा कि अमेरिका को उम्मीद है कि ताइवान में आगामी राष्ट्रपति चुनाव में चीन हस्तक्षेप नहीं करेगा। चीनी सरकारी मीडिया के अनुसार शी ने बुधवार की व्यापक वार्ता के दौरान अमेरिका से "चीन पर दबाव बनाने या उसे नियंत्रित करने की योजना पर काम नहीं करने" का आह्वान किया।

एक संवाददाता सम्मेलन में बाइडन ने कहा, "क्या जरूरी है और क्या नहीं है, क्या हानिकारक है और क्या संतोषजनक है, यह सब कुछ निर्धारित करने के लिए यह सही दिशा में उठाया गया कदम है। अमेरिका पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना के साथ अपनी प्रतिस्पर्धा जारी रखेगा, लेकिन हम इस प्रतिस्पर्धा को जिम्मेदारी के साथ जारी रखेंगे, ताकि यह किसी विवाद में न बदल जाए।"

बाइडन ने कहा कि जब दोनों पक्षों में बातचीत नहीं होती है तो मतभेद बढ़ जाते हैं, ऐसे में अब दोनों राष्ट्रपतियों को सीधे तौर पर एक दूसरे की बात सुननी चाहिए। पिछले साल तत्कालीन अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की अध्यक्ष नैंसी पेलोसी के ताइवान दौरे के बाद चीन ने सैन्य संचार बंद कर दिया था। बीजिंग स्व-शासित ताइवान को अपना क्षेत्र मानता है और जरूरत पड़ने पर बलपूर्वक इस पर अधिकार स्थापित करने की धमकी देता है। 

(इनपुट -- भाषा)

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